कैंसर के साथ डायबीटीज में दारुहल्दी का फार्मूला, हरड के साथ सही मायने में खरा

कैंसर के साथ डायबीटीज में दारुहल्दी का फार्मूला, हरड के साथ सही मायने में खरा
पंकज अवधिया  

हाँ, मुझे याद है. आप पिछली बार मुझसे बिना समय लिए एम्बुलेंस में अपने बेटे को लेकर नागपुर से सीधे आ गये थे.

आपका बेटा कैंसर की अंतिम अवस्था में था और जब डाक्टरों और वैद्यों ने हाथ खड़े कर दिए तो आप सीधे ही मुझसे मिलने चले आये.

मैं उस समय राजस्थान से आये पारम्परिक चिकित्सकों के दल से चर्चा कर रहा था. आपने रोना शुरू कर दिया और कहने लगे कि मैं आपके बेटे को अपने पास रख लूं.

मेरे पास न तो अस्पताल है और न ही क्लिनिक जैसी कोई चीज. न ही कैंसर के रोगियों की देखभाल करने में दक्ष स्टाफ. ऐसे में मैंने आपको शाम को आने को कहा था.

कैंसर की अंतिम अवस्था में रोगियों की निरंतर देखभाल की जरूरत होती है. मेरा अनुभव है कि इस अवस्था में आधुनिक और पारम्परिक दोनों ही चिकित्सा पद्धतियों की जरूरत होती है इसलिए रोगियों को विशेषज्ञों की निगरानी में ही रखना चाहिए.

कैंसर की अंतिम अवस्था में एक वैज्ञानिक के स्थान पर आपको एक चिकित्सक को चुनना चाहिए और यदि चिकित्सक हाथ खड़े कर दे तो भी वैज्ञानिक के अनुमोदनो को किसी दक्ष चिकित्सक के मार्गदर्शन में ही अपनाना चाहिए.

शाम की मुलाक़ात में मैंने स्पष्ट कह दिया था कि कैंसर की इस बढी हुयी अवस्था में मैं एक चिकित्सक की तरह आपके बेटे को सेवा नही दे पाउँगा. सप्ताह में कई बार मुझे बाहर जाना होता है. अक्सर यात्राएं अचानक आई सूचना के आधार पर होती है. फिर महीनों पहले से टेलीफोन पर बात करने वालों ने समय लिया होता. ऐसे में कैसे एक कैंसर रोगी को पूरा समय दिया जा सकता है. यह काम चिकित्सक ही सही ढंग से कर सकते हैं.

आपके लगातार पीछे पड़ने पर मैंने आपसे पूछा था कि आपके बेटे ने इससे पहले कहां-कहां इलाज करवाया और कौन-कौन सी दवाएं ली. सारी जानकारियाँ आपने विस्तार से दी और आपने बताया कि अकोला के पास किसी वैद्य की दवा से बेटे को लाभ हो रहा था पर चूंकि आपके बेटे को मधुमेह की समस्या भी है इसलिए वैद्य की दवा ठीक से काम नही कर रही थी.

जब कैंसर का फैलाव बढने लगा तो आपने बेटे को नागपुर के किसी बड़े अस्पताल में भर्ती करवा दिया और फिर उसके बाद जब अस्पताल ने दो टूक कह दिया कि अब इसके गिनती के दिन बचे हैं तो आप मेरे पास आ गये.

मैंने आपके वैद्य से बात की. उन्होंने आपको दी जाने वाली बूटियों के बारे में विस्तार से बताया.मुझे वे सही दिशा में जाते लगे बस एक फार्मूले में कुछ समस्या लगी.

वे आपके बेटे को दारुहल्दी, गुड और तेल सहित दस बूटियों से बना मिश्रण दे रहे थे. यह मिश्रण सुबग खाली पेट दिया जाता था. मैंने आपके वैद्य को सलाह दी कि वे इस फार्मूले में चेतकी नाम हरड को जोड़ दें. इससे फार्मूले के दोष दूर हो जायेंगे और  कैंसर की दवाएं फिर ठीक से काम करने लगेंगी. उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया.

आप वापस न जाने की जिद पर अड़े रहे और काफी समझाने-बुझाने के बाद वापस लौटे. आपने वैद्य से फिर से इलाज शुरू किया. दस दिन बड़े ही तनाव भरे रहे.

आज एक  महीने बाद आप फिर से मिलने आये हैं इस खुशखबरी के साथ कि बेटे का स्वास्थ अब अच्छा है.

मैंने आपसे पहले ही कहा था कि एक वैज्ञानिक केवल सलाह दे सकता है उस पर कार्य तो चिकित्सक को ही करना है.
   
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.   

सर्वाधिकार सुरक्षित

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