कैंसर में पेशाब में तेज बदबू और छ्पाकी, विषतेंदु और कुक्कुरजाम सम्भलकर अपनाएँ साथी

कैंसर में पेशाब में तेज बदबू और छ्पाकी,  विषतेंदु  और कुक्कुरजाम  सम्भलकर अपनाएँ साथी
पंकज अवधिया

हाँ मुझे अच्छे से याद है. आपकी पत्नी स्थानीय चर्च के पादरी के साथ मेरे पास आई थी. उन्हें ब्लड कैंसर था और उनकी हालत बहुत खराब थी.

चूँकि वे स्वयं कैंसर चिकित्सक थी,  अमेरिका में  पली-बढी थी और वहीं से कैंसर की चिकित्सा करवा रही थी इसलिए उन्हें आधुनिक दवाओं पर बहुत भरोसा था. मैंने उन्हें कहा था कि ४५ मिनट काफी है चर्चा करने के लिए पर उन्होंने जिद करके तीन घंटों का समय लिया था ताकि वे मेरी बातों को ठीक से समझ सकें.

उन्हें ब्लड कैंसर के लिए  Alemtuzumab नामक दवा दी जा रही थी. वे घूमने के लिए भारत आई थी पर पादरी के कहने पर सरगुजा के  जाने-माने पारम्परिक चिकित्सक से दवा लेनी शुरू की थी. उन्हें पारम्परिक चिकित्सा पर कम विशवास था पर फिर भी पादरी के जिद करने पर उन्होंने दवा लेनी शुरू कर दी थी.

एक दिन पादरी ने महसूस किया कि  पास के हास्टल में जहां आपकी पत्नी ठहरी थी वहां से तेज गंध आ रही है. बाद में पता चला कि यह गंध आपकी पत्नी के वाशरूम से आ रही थी. यह बदबू उनके पेशाब की थी.

पादरी ने उन्हें अधिक मात्रा में पानी पीने को कहा पर फिर भी गंध कम नही हुयी.  आपकी पत्नी को भी समस्या की जड़ समझ नही आ रही थी. उन्होंने अपने अमेरिकी डाकटर मित्रों  से बात की पर कुछ समझ नही पायी. फिर पादरी के कहने पर मुझसे मिलने का समय लिया.

सरगुजा के जिन पारम्परिक चिकित्सक से उन्होंने दवा ली थी उनके साथ मैंने लगातार कई महीनों तक रहकर ज्ञान अर्जन किया है.  वे  कैंसर के लिए कुक्कुरजाम और विषतेंदु पर आधारित उन्नीस प्रकार की जड़ी-बूटियों वाला फार्मूला उपयोग करते हैं. यह बहुत कारगर है और यही कारण है कि उनके पास लगातार कैंसर के रोगी आते रहते हैं.

आपकी पत्नी ने बताया कि पारम्परिक चिकित्सक की दवा लेने के बाद उन्हें छ्पाकी (Urticaria) भी हुयी थी जो अभी भी अकसर हो जाया करती है.  उन्होंने बहुत कमजोरी लगने की भी बात कही.

मैंने उन्हें जब बताया कि आपकी  Alemtuzumab  नामक दवा और पारम्परिक चिकित्सक की दवाएं आपस में मेल नही खा रही हैं और यह  Serious Drug Interaction का म्ममला है तो उन्हें इस पर विशवास नही हुआ.

वे लम्बे समय पर इन जड़ी-बूटियों पर चर्चा करती रही और बीच-बीच में इंटरनेट पर कुछ खोजती रही. फिर उन्होंने अपने मित्रों से भी बात की. तीन घटों के लम्बे समय में उन्हें मेरी बातों पर जब विश्वास नही हुआ तो मैंने उनसे प्रयोग के तौर पर कोई भी एक दवा बंद करने को कहा.  उन्होंने यह बात मान ली.

उन्होंने पारम्परिक चिकित्सक की दवा बंद कर दी. आशा के अनुरूप पेशाब की बदबू जाती रही और छ्पाकी भी गायब हो गयी. उसके बाद उन्होंने  Alemtuzumab नामक दवा का उपयोग बंद किया और पारम्परिक चिकित्सक की दवा शुरू कर दी तो सब कुछ सामान्य रहा. इतना सब होने के बाद भी उन्होंने इस Drug Interaction को मानने से इंकार कर दिया और फिर उनसे मेरी कभी मुलाक़ात नही हुयी.

अब आप आज दो वर्षों बाद मुझसे मिलकर बता रहे हैं कि आपकी पत्नी ने दोनों दवाओं का सेवन जारी रखा और नाना प्रकार की तकलीफों से जूझते हुए आखिर तीन महीने पहले उनकी मृत्यु हो गयी. इन सारी तकलीफों का कैंसर से कोई लेना-देना नही था.

आप भी स्वयं कैंसर चिकित्सक हैं और आपने इस Drug Interaction पर शोध करने के लिए एक प्रोजेक्ट लिया है . इसीलिये आप मुझसे मिलने आये हैं.

मैं आपका मार्गदर्शन करने के लिए तैयार हूँ.
 
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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 
सर्वाधिकार सुरक्षित
 E-mail:  pankajoudhia@gmail.com

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