कैंसर की दवा के साथ दवा थाइराइड की, आपको जरूरत है एक अच्छे गाइड की

कैंसर की दवा के साथ दवा थाइराइड की, आपको जरूरत है एक अच्छे गाइड की
पंकज अवधिया 

मैं आपको पिछले तीस वर्षों से जानता हूँ. उस समय आप फारेस्ट विभाग में कार्यरत थे. आपने नौकरी छोड़ने के बाद जड़ी-बूटियों से इलाज करना शुरू किया और बहुत जल्दी ही देश-विदेश में आपका नाम होने लगा. आज आप जाने-माने कैंसर विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते हैं. यह मेरा सौभाग्य है जो आप मुझसे मिलने आये हैं.

आप जंगल में उगने वाली जड़ी-बूटियों से कैंसर की चिकित्सा करते हैं. आप चाहते हैं रोगी कम से कम एक सप्ताह आपके पास रहे ताकि आप ताजी जड़ी-बूटियाँ उन्हें दे सकें. सूखी बूटियों में वे गुण नही होते जो कि ताजी बूटियों में होते हैं-ऐसा आपका मानना है और यह सही भी है.

आपने बताया कि आपके बहुत से औषधीय मिश्रण अब गलत परिणाम देने लगे हैं. पहले ऐसा नही होता था पर अब शहरों से आने वाले रोगियों पर ये उलटा असर कर रहे हैं.

आपने कैंसर के लिए उपयोग की जाने वाली बूटियों के बारे में विस्तार से बताया तो मैं आपके ज्ञान से अभिभूत हो गया. मैंने आपसे उन औषधीय मिश्रणों के बारे में पूछा जिनसे रोगियों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही थी और फिर एक-एक करके मिश्रण पर बात करने का प्रस्ताव दिया.

आप कुसुम नामक जंगली वृक्ष की छाल से कैंसर की चिकित्सा करते हैं. आप कुसुम की छाल को मुख्य घटक के रूप में उपयोग करते हैं और अन्य घटक के रूप में तीस बूटियाँ डालते हैं.

आपने बताया कि पिछले महीने दस रोगियों पर इसका उलटा असर हुआ. पहले तो उनके पेट में तेज दर्द हुआ और फिर पेशाब और मल में खून आने लगा. इसके बाद पूरे शरीर में लाल चकत्ते हो गये और उन्हें खुजलाने पर संतरे के छिलके की तरह आसानी से त्वचा निकलने लगी. उससे खून आने लगा. आप बुरी तरह घबरा गये और फिर अपनी दवा रोक दी.

कुछ दिनों बाद बड़ी मुश्किल से स्थिति सुधरी तो आपने रोगी से क्षमा याचना कर उन्हें वापस भेजा. आपको समझ नही आ रहा है कि ऐसा कैसे हो गया.

मैं यदि उन रोगियों से बात कर पाता तो शायद बेहतर तरीके से इस समस्या का समाधान खोज पाटा. मुझे तो आपका  फार्मूला ठीक लगता है. इसमें ऐसी कोई भी बूटी नही है जिससे ऐसे लक्ष्ण आयें.

मैं झारखंड के पारम्परिक चिकित्सकों के साथ रहकर लिए गये अनुभवों को आपसे बांटना चाहूंगा. वे भी कुसुम की छाल का प्रयोग करते हैं और एक समय वे भी इस तरह के बुरे दौर से गुजरे.

उनके पास आने वाले बहुत से रोगी हाइपर थाइराइडिसम Hyperthyroidism के लिए Methimazole नामक दवा का सेवन कर रहे थे. बिना इसके बारे में जाने पारम्परिक चिकित्सकों ने कह दिया कि आप उनकी दवाओं के साथ इस अंग्रेजी दवा को ले सकते हैं.

दोनों दवा के शरीर में पहुंचते ही इसी तरह के उत्पात शुरू हो गये. मेरा अपना अनुभव यह है कि  Methimazole  दवा के साथ बहुत सी जंगली जड़ी-बूटियाँ विपरीत असर दिखाती हैं. कुसुम की छाल उनमे से एक हैं. मैंने झारखंड के पारम्परिक चिकित्सकों के पास आये रोगियों का एक वीडियों भी बनाया है जिसे आपने देखा है.

आप इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि ऐसे ही लक्ष्ण आपके रोगियों में भी आये थे. मेरी विवेचना सही दिशा में हो रही है ऐसा लगता है.

मैं आपको सलाह देना चाहूंगा कि आप अपने  पास आने वाले रोगियों को साफ़ कह दें कि वे आपकी दवा के अलावा किसी और तरह की दवा का सेवन नही करें. आपको कैंसर के अलावा उनकी दूसरी समस्याओं का समाधान भी करना होगा ताकि दूसरी समस्याओं के लिए उन्हें बाहरी दवाओं का सहारा न लेना पड़े.

चलिए अब दूसरे औषधीय मिश्रणों पर बात करते हैं जिनसे आपके रोगियों को परेशानी हो रही है.      

सर्वाधिकार सुरक्षित

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