कैंसर से जरा सा आराम, फिर रोगियों की लापरवाही सारे प्रयास करे नाकाम

कैंसर से जरा सा आराम, फिर रोगियों की लापरवाही सारे प्रयास करे नाकाम
पंकज अवधिया   

पत्थर की तरह कड़ा टयूमर अब रुई की तरह नर्म हो गया है और टुकड़ों के रूप में मुँह से बाहर आ रहा है. आपने यह बड़ी अच्छी खबर दी है.

आपके बेटे को मुँह का कैंसर हुआ है और जब आप मुझसे पहली बार मिले तो वह कैंसर की अंतिम अवस्था में था और डाक्टरों ने उसे चंद दिनों का मेहमान बताया था.

आप ने मुझसे संपर्क किया और फिर पारम्परिक विधि से उसे बचाने का दौर शुरू हुआ. आज दो महीनों के बाद आप यह एक अच्छी खबर दे रहे हैं. आपके डाक्टर शायद की इस खबर पर यकीन करें क्योंकि वे कैंसर को लाइलाज मानते हैं.

आपने बताया कि आपके बेटे के मुँह में पहले छोटी अंगुली बड़ी मुश्किल से घुस पाती थी अब वह अच्छे से ब्रश कर पा रहा है. उसने चाय पीनी भी शुरू कर दी है.

मैं आपको बताना चाहूँगा कि यह आपकी सतत और ईमान्दार मेहनत का परिणाम है.  दवाएं तभी काम करती हैं तब परिजन का पूरा सहयोग हो.

अब आपकी समस्या थोड़ी विचित्र है. मैंने आपके बेटे के मुँह के अंदर लगाने के लिए जो लेप दिए थे उसे अब वह लगाने से इनकार कर रहा है. आप तो जानते ही हैं कि इन्ही लेपों के कारण इतने अधिक गुणात्मक सुधार हुए हैं.

पहले तो आपके बेटे ने कहा कि लेप में घी का जो प्रयोग किया जा रहा है उसके कारण खांसी आ रही है. जब मैंने लेप से घी को हटाकर पानी का प्रयोग करने को कहा तब भी आपका बेटा लेप को लगाने को तैयार नही हो रहा है.

जब मैंने उससे बात करनी चाही तो उसने कहा कि वह लेप को जरुर लगाएगा पर जिस लेप को दिन में दस से ज्यादा बार लगाना है उसे वह केवल एक बार लगाने लगा वह भी कुछ समय के लिए.

यह मेरे लिए बड़ी अजीब सी स्थिति है. यह सच है कि उसकी हालत में बहुत सुधार हुआ है पर कैंसर से लड़ाई में विश्राम या लापरवाही की कोई जगह नही है. छोटी से गलती रोगी को देखते ही देखते पहली वाली खतरनाक स्थिति में ला सकती है और हो सकता है कि वही दवाएं फिर से शुरू करनी पड़े जिनका प्रयोग शुरुआत में किया जा रहा था.

आपने अनुरोध किया और मैंने आपके बेटे को समझा दिया है. अब आपकी जिम्मेदारी है.

कैंसर के रोगियों का ऐसा व्यवहार समझ से प्रे हैं. आम तौर पर जब रोगियों को एक बार लेप लगाने को कहा जाता है तो लाभ होते देखकर वे उत्साह में दसों बार लगाता है. पर यहाँ तो स्थिति बिलकुल उल्ट है.

इससे पहले कि मैं आपको आगे की दवाएं सुझाऊं कृपया आप ये सुनिश्चित करें कि आपका बेटा इसे पूरी गम्भीरता से ले.  आप उसे समझाएं और एक और अच्छी खबर के साथ मुझसे सम्पर्क करें.    

मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 
सर्वाधिकार सुरक्षित

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