कैंसर में रसना या रास्ना जड़ी, नाकुली रास्ना है असर में बड़ी

कैंसर में रसना या रास्ना जड़ी, नाकुली रास्ना है असर में बड़ी
पंकज अवधिया  

आपने पेट के कैंसर की अंतिम अवस्था में रसना या रास्ना जड़ी के सफल प्रयोग के बारे में पढ़ा है. आप कैंसर विशेषज्ञ हैं और आपने लम्बे समय तक आस्ट्रेलियाई वनस्पतियों पर गहन शोध किया है.

अब आपका ध्यान भारत में पायी जाने वाली कैंसर में उपयोगी वनस्पतियों पर है. आपके भारतीय अध्यात्मिक गुरु आपको इस कार्य में मदद कर रहे हैं.

उन्होंने ही आपको रास्ना से सम्बन्धित ग्रन्थ दिए हैं जिन्हें आप अंग्रेजी में अनुवाद करके पढ़ रहे हैं.

आप भारतीय चिकित्सालयों में कैंसर की दवाएं भी दे रहे हैं और बड़ी संख्या में कैंसर रोगी आपके गुरु के आश्रम में आते हैं.

आप उनसे ध्यान करवाते हैं और फिर जड़ी-बूटियां देते हैं. आप यह कहते जरुर हैं कि कैंसर ध्यान से ठीक होगा पर आप भी जानते हैं अहम भूमिका जड़ी-बूटियों की होती है.

आप रास्ना की पेट के कैंसर में भूमिका पर मुझसे विस्तार में चर्चा करना चाहते हैं इसलिए आपने मुझसे समय लिया है.  मैं आपकी मदद करूंगा.

मैं आपको बताना चाहूंगा कि रास्ना नामक बहुत सी वनस्पतियाँ हमारे प्राचीन ग्रन्थों में उल्लेखित हैं . रास्ना पर आधारित बीस हजार से अधिक पारम्परिक औषधीय मिश्रण हैं जिसमे रास्ना का प्रयोग मुख्य घटक के रुप्प में होता है. इनमे से सात हजार से अधिक मिश्रण पेट के कैंसर के लिए हैं.

केवल रास्ना के प्रयोग से आप शायद ही पेट के कैंसर के रोगियों को राहत दिलवा पायें. आपको  रास्ना पर आधारित औषधीय मिश्रणों का सहारा लेना पड़ेगा.

आपने छत्तीसगढ़ के वनोपज व्यापारियों से जो रास्ना जड़ी ली है वह पेट के कैंसर में कम उपयोगी है और यह दूसरी प्रजाति है.

आपने पंसारी की दुकान से जो रास्ना जड़ी ली है वह हमारे क्षेत्र में नही मिलती है. यह हिमालय में मिलती है पर इसका पेट के कैंसर की चिकित्सा से कोई लेना-देना नही है.

आपके गुरु ने जो रास्ना जड़ी आपको दी है वह किडनी के लिए बहुत उपयोगी है पर पेट के कैंसर में शायद की काम आये. 

बस्तर के पारम्परिक चिकित्सकों ने आपको रास्ना जड़ी देने से इनकार कर दिया है क्योंकि वे जिस बूटी को रास्ना कहते हैं वह कैंसर में काम नही आती. आप उनसे कौआगोड़ी बूटी मांगते तो वे आपको एक जंगली आर्किड देते जिसका प्रयोग कैंसर की चिकित्सा में होता है.  यह वही वनस्पति है जिसकी आपको तलाश है.

मैं आपको बताना चाहता हूँ कि आप रास्ना के स्थान पर नाकुली रास्ना नामक बूटी पर ध्यान केन्द्रित करें. यह पेट के कैंसर के लिए विशेषकर अंतिम अवस्था में बहुत उपयोगी है. मैं आपको इसके साथ उपयोगी की जाने वाली बूटियों की लम्बी सूची देता हूँ ताकि आप औषधीय मिश्रण तैयार कर सकें.

मैंने पश्चिमी घाट के अपने मित्र पारम्परिक चिकित्सक को कह दिया है वे नाकुली रास्ना आप तक पहुंचा देंगे.

आशा है मेरे द्वारा दी गयी जानकारी आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी.  
  
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 
सर्वाधिकार सुरक्षित

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