कैंसर में फ़ुटबाल फ्रूट, खूनी उल्टियाँ और दम जाता घुट
कैंसर में फ़ुटबाल फ्रूट, खूनी उल्टियाँ
और दम जाता घुट
पंकज अवधिया
देखिये आपको खून की उल्टियां हो रही हैं
ऐसे में आपको इतना लम्बा सफर करके मेरे पास नही आना चाहिए था . आप आराम कीजिये और
फिर कुछ घंटों बाद ठीक लगने पर मेरे पास आइये. ओह तो आप मुझसे मिले बिना कहीं नही
जायेंगे. चलिए मैं आपकी बात सुनता हूँ.
आपने बताया कि आपको पेट का कैंसर है और
आप दक्षिण भारत से आये हैं. आप श्रीलंका के जाने-माने चिकित्सक से इलाज करवा रहे
हैं पिछले पांच महीनों से.
आपको दर्द से आराम मिला है पर एक मुश्किल
है कि जब भी आप दवा लेते हैं तो आपको पेट में बहुत दर्द होता है और उल्टियां होने
लगती हैं. कभी-कभी खून की उल्टियां होती हैं जैसी कि अभी हुयी.
इन उल्टियों से आपकी तबियत बिगडती जा रही
है. आपको चक्कर आने लगे हैं और आँखों की रोशनी धुंधली पड़ गयी है. आपके चिकित्सक ने
आपको बताया है कि वे कौन सी दवा दे रहे हैं और आश्वस्त किया है कि धैर्यपूर्वक दवा
लेते रहें और सब कुछ सहन करते रहें. इससे कैंसर ठीक हो जाएगा. पर जब आप थक कर चूर
हो गये तो आपने मुझसे परामर्श लेना सही समझा.
मैं आपकी मदद करने को तैयार हूँ.
मैं आपको बताना चाहता हूँ कि बहुत से
कैंसर विशेषज्ञ जो कि कैंसर की अंतिम अवस्था में रोगी की चिकित्सा का जोखिम उठाते
हैं वे चिकित्सा के लिए अपने मार्गदर्शन में विष का प्रयोग करते हैं.
उनका मानना होता है कि विष की दवा विष
है.
पर विष तो विष है. वह तो सामान्य मनुष्य
के शरीर में भी अपना प्रभाव दिखाता है फिर कैंसर का मरीज तो वैसे ही रोग से लड़कर
कमजोर पड़ गया होता है, उस पर विष का असर और अधिक खतरनाक होता है. आप तो कैंसर की
अंतिम अवस्था में हो आपको विष का उपयोग दवा के रूप में करना सबसे भारी पड़ता है. ये
तो चिकित्सकों का दबाव है जो आप सब कुछ सहन करके उनकी बात मानते रहते हैं.
श्रीलंका के बहुत से चिकित्सक फिलीपींस
और इंडोनेशिया से फ़ुटबाल फ्रूट नामक विषाक्त फल मंगाते हैं. इस फल में हाइड्रोजन
साइनाइड होता है.
इंडोनेशिया के स्थानीय लोग इस फल के जहरीलेपन
को जानते हैं इसलिए वे ४० दिनों तक इस फल को मिट्टी में दबाकर रखते हैं और फिर
पानी से धोते रहते हैं. उसके बाद इन्हें उबलते पानी में डाला जाता है. फिर जब फल
विषमुक्त हो जाता है तो सूअर के मांस से बनने वाले लजीज व्यंजनों में इन्हें डाला
जाता है. ऐसा वे पीढीयों से कर रहे हैं.
श्रीलंका के चिकित्सक इसे पूरी तरह से
विषमुक्त नही करते हैं और अन्य औषधीयों के साथ मिश्रण में डाल देते हैं और कैंसर
के रोगियों को दे देते हैं. ये उनके इलाज करने का पुराना तरीका है और उन्हें इस पर
विशवास है. मैं इसे सही नही मानता हूँ. आप जैसे जाने कितने रोगी इस विष युक्त फल
के कारण बेवजह कितना कष्ट उठाते हैं.
मैं आपको यही सलाह दूंगा कि इस दवा का
सेवन रोकें ताकि आप खूनी उल्टियों से बच स्क्रे और शरीर को ताकत मिल सके ताकि वह
फिर से कैंसर से लड़ सके. इस दवा को बंद करने से आपकी आँखों की रोशनी भी बची रहेगी.
चलिए कुछ सरल परीक्षण करते हैं ताकि पता
चल सके कि क्या वाकई आप कैंसर की अंतिम अवस्था में है. इन परीक्षणों से आपकी जीवनी
शक्ति का अंदाज भी लग जाएगा.
उसके बाद आप आराम कीजिएगा.
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