कैंसर में श्रीलंका की इपाला, हमारी चिटकी ने जाने कितनो को सम्भाला
कैंसर में श्रीलंका की इपाला, हमारी चिटकी
ने जाने कितनो को सम्भाला
पंकज अवधिया
जी मैं इपाला को जानता हूँ.
थाइराइद कैंसर के रोगियों पर यह रामबाण
की तरह कार्य करती है. आप सभी श्रीलंका से आये हैं और कैंसर विशेषज्ञ हैं. आपने
अपने रोगियों पर इपाला का सफल प्रयोग किया है और अब दुनिया भर के कैंसर विशेषज्ञों
के बीच इसका प्रचार कर रहें हैं.
यह अच्छी बात है कि आपने इपाला का कोई
व्यवसायिक उत्पाद नही बनाया है और केवल वनस्पति के बारे में ही बता रहे हैं. इपाला
वनस्पति का श्रीलंका में स्थानीय नाम है.
आप सभी का स्वागत है.
इपाला का प्रयोग न केवल थाइराइद कैंसर
में बल्कि दूसरे कैंसरों में भी होता है. हमारे पारम्परिक चिकित्सक इसका प्रयोग
हजारों औषधीय मिश्रणों में करते हैं और इन सभी मिश्रणों में इपाला की अहम भूमिका
होती हैं.
थाइराइद कैंसर में इसकी विशेष भूमिका
होती है. मैंने अपने अनुभव से जाना है कि कैंसर की अंतिम अवस्था में भी यह जादू की
तरह कार्य करती है.
आप भले ही केवल इपाला का प्रचार कर रहे हैं पूरी दुनिया में पर आप भी इस
बात को मानते हैं कि केवल इपाला ही कारगर नही है. इसके साथ आप श्रीलंका की दूसरी
वनस्पतियों का भी प्रयोग करते हैं. मेरा सुझाव है कि आप लोगों को पूरा सच बताएं.
हमारे छत्तीसगढ़ में इपाला चिकटी के नाम
से जानी जाती है और जंगलों में आसानी से मिल जाती है. इसकी जड़ बहुत कडवी होती है.
मुझे उत्तरी छत्तीसगढ़ में उगने वाली इपाला औषधीय प्रभावों में दक्षिण छत्तीसगढ़ में
उगने वाली इपाला से अधिक कारगर लगी.
आज ही मैंने फेसबुक पर मैसेज देखा जिसमे
रशियन फल के बारे में दावा किया गया था कि इससे कैंसर ३० मिनट में ठीक हो जाता है.
हमारे आस-पास के पढ़े-लिखे गंवार आँखे मूंदकर इस सन्देश को शेयर कर रहे थे.
उनसे से आपका इपाला के प्रचार का अभियान
लाख गुना अच्छा है. आप वैज्ञानिक अनुमोदनो के आधार पर इपाला का प्रचार कर रहे हैं.
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
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