कैंसर में सहजन, असहनीय खुजली को जब सह न पाए तन

कैंसर में सहजन, असहनीय खुजली को जब सह न पाए तन

पंकज अवधिया 

आप तो सेवा का कार्य कर रहें हैं इलाहाबाद में. आयुर्वेद के प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्त होने की बाद आप रोगियों को अपनी मुफ्त सेवा दे रहे हैं. मैं आप से मिलकर धन्य हुआ.
आपको फीस जमा करने की जरूरत नही. नाई से नाई न लेत, धोबी से न धोबी वाली बात तो आपने सुनी ही होगी. फीस देकर मुझे शर्मिदा न करें.

आपने बताया कि आपने हाल ही में कैंसर के कुछ रोगियों की चिकित्सा आरम्भ की है और आपको सफलता भी मिल रही है. आप कैंसर के अर्बुद यानि टयूमर के लिए मुनगा या सहजन की छाल का आंतरिक प्रयोग कर रहे हैं.

आप इसके असर से संतुष्ट हैं पर जिन मरीजों को आप यह दे रहे हैं उन्हें इसे खाने के बाद पूरे शरीर में खुजली हो जाती है. इतनी खुजली कि खुजलाते-खुजलाते खून निकल जाता है. आप सहजन से लाभ को देखते हुए इसका प्रयोग जारी रखना चाहते हैं और ऐसे उपाय की तलाश में हैं जिससे खुजली वाली समस्या भी न हो. इसलिए आप मेरे पास आयें हैं.

प्रोफेसर साहब, इसका एक सरल उपाय तो यह है कि आप सहजन की छाल के साथ गुड़ भी खिलाएं. इससे पूरी तरह तो नही पर कुछ हद तक खुजली कम हो सकती है.

आप मीठे सहजन के वृक्ष की छाल का प्रयोग कर रहे हैं. बेहतर होगा कि आप कडवे सहजन के वृक्ष का चुनाव करे और तने की छाल के स्थान पर जड़ की छाल लें. 

मुझे मालूम है कि आपको पंसारियों के पास मिलने वाली छाल पर भरोसा नही है इसलिए आप स्वयं छाल एकत्र करते हैं और घर में तैयार दवा रोगियों को देते हैं.

प्रोफेसर साहब, आप कडवे सहजन के वृक्ष का चुनाव कर लें और फिर उसकी जड़ में पाँचों किस्म की हल्दी का सत्व डालें हर सात दिन में. ऐसा आप 5 सप्ताह तक करें और फिर जड़ की छाल एकत्र करें.

इसके प्रयोग से रोगियों को खुजली बिल्कुल भी नही होगी और आपको अर्बुद की चिकित्सा में अधिक सफलता मिलेगी. इस छाल को और अधिक उपयोगी आप बनाना चाहते हैं तो मुझे बताएं. मैं हल्दी के सत्व की तरह दूसरी जड़ी-बूटियों के सत्व बता दूंगा जिनका प्रयोग सरल और प्रभावी है.

प्रोफेसर साहब, आप सहजन के साथ सिंदुवार, बेल और कपास की गाँठ जैसी औषधीयों का प्रयोग भी कर सकते हैं अधिक लाभ पाने के लिए. 

आशा है आपकी समस्या का समाधान हो गया होगा.   


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