कैंसर के लिए करे जहर से इंकार, दिव्य बूटीयाँ आसानी से मिटाए विकार
कैंसर के लिए करे जहर से इंकार, दिव्य बूटीयाँ
आसानी से मिटाए विकार
पंकज अवधिया
मैनसिल नाम की कोई जड़ी-बूटी नही होती है
तो कैसे मैं यह आपके साथ जंगल में जाकर एकत्र कर सकता
हूँ.
मुझे मालूम है कि आपकी माँ को थाइराइड
कैंसर है और वे इस रोग की अंतिम अवस्था में है. मैं आपकी पूरी मदद करना चाहता हूँ.
आप अधीर न हो. यदि आपको लगता है कि मैं आपसे पैसे ऐठने के लिए शुरुआती इंकार कर
रहा हूँ तो आप गलत हैं.
आपने बताया कि आप बंगलुरु से हैं और अपनी
माँ का इलाज करवाकर थक गये हैं. डाक्टरों ने तो पहले ही हाथ खड़े कर दिए थे पर अब
वैद्यों ने भी जवाब दे दिया है. कैंसर बहुत फैल गया है पर आपने हौसला नही छोड़ा है
और दुनिया के किसी भी कोने से आप माँ के इलाज के लिए दवा ले आना चाहते हैं. आपके
हौसले को सलाम है.
आप कनाडा के किसी भारतीय वैद्य से अब दवा
ले रहे हैं. उसने मैनसिल नामक जड़ी-बूटी का प्रबंध करने को कहा है. मेरा पता भी
दिया है कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में यह जड़ी-बूटी मिलती है और मुझसे मिलने को कहा
है. वह वैद्य अभी भारत के दौरे पर है. यदि उसे मैनसिल मिल गया तो वह भारत में ही
दवा तैयार करके दे देगा-ऐसा आपने बताया है.
मैंने मैनसिल के विषय में पिछले बीस
वर्षों में बहुत कुछ लिखा है और साथ ही कैंसर में इसके प्रयोग को प्रत्यक्ष देखा
है. मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि मैनसिल एक तरह का रसायन है. आर्सेनिक सल्फाइड
को मैनसिल कहा जाता है. यह जड़ी-बूटी नही है. यह बेहद विषाक्त है और दुनिया भर में
इसे विष के रूप में जाना जाता है. विदेशों में तो पीढीयों से ये चूहों को मारने के
लिए प्रयोग हो रहा है.
हमारे प्राचीन ग्रन्थों में कैंसर के
अर्बुद यानी टयूमर के लिए इसके बाहरी प्रयोग के बारे में लिखा है. इसे जड़ी-बूटियों
के साथ प्रयोग किया जाता है. केवल मैनसिल का प्रयोग बहुत कम ही किया जाता है और
इसका केवल बाहरी प्रयोग होता है.
मैंने कैंसर में मैनसिल के बाहरी प्रयोग
के ७०० मामलो की पड़ताल की है. इसमें रोग की अंतिम अवस्था में मैनसिल को बाहरी तौर
पर प्रयोग किया गया और कैंसर से नही बलिक मैनसिल की विषाक्तता से रोगियों की जान
चली गयी. इसलिए मैं सुरक्षित उपायों के पक्ष में हूँ.
आपको पंसारी की दुकान से मैनसिल मिल सकता
है. यह जासोन के फूल की तरह लाल रंग का होता है. आप चाहे तो इसे अपने वैद्य के पास
ले जा सकते हैं पर मुझे आश्चर्य है कि कैसे आपके वैद्य ने गंधक के यौगिक को
जड़ी-बूटी करार दिया.
मैनसिल चूंकि विषाक्त है इसलिए भारतीय
पारम्परिक चिकित्सक बड़ी मेहनत से इसका शोधन करते रहे हैं पर बहुत से मामलो में
हुयी मौतों के कारण वे अब इसका प्रयोग कम करते हैं. मैनसिल का उल्लेख हमारे पुराणों
में भी है. मुझे लगता है कि इसकी सही शोधन विधि पूरे व्सितार से हमारे पूर्वजों ने
नही बताई.
आपकी माँ कैंसर की अंतिम अवस्था में है
फिर भी आप चाहे तो मैं आपकी मदद कर सकता हूँ.
पर पहले आप अपने विश्वास के अनुसार कनाडा
के वैद्य से मिल लें पर हां मैनसिल के प्रयोग से पहले शोधन जरुर करवाईयेगा और यदि
वह बिना शोधन के इसे इस्तमाल करने को कहे तो उसे दूर से ही नमस्कार कर दीजिएगा.
आप परेशान न हो . सब कुछ ठीक हो जाएगा.
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