तेलिया कंद से चमत्कारिक कैंसर उपचार: ठगी का एक और माध्यम
तेलिया कंद से चमत्कारिक कैंसर उपचार:
ठगी का एक और माध्यम
पंकज अवधिया
“देखिये इस अवस्था में तो कैंसर का इलाज
नामुमकिन है. आपने बताया कि सारे डाक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए हैं और अस्पताल से
छुट्टी देकर मरीज को घर जाने को कह दिया है. आपने सारी जड़ी-बूटियाँ भी आजमा ली अब
तो कुछ नही हो सकता पर आपको जिस व्यक्ति ने भेजा है वह मेरा करीबी है. मुझे कुछ तो
करना ही होगा. यदि आप तेलिया कंद ले आयें तो मैं आपके बेटे की जान बचा सकता हूँ.
पहले यह मेरे पास था पर अब यह ढूंढें नही मिलता है. “ गुटखे के कारण होने वाले मुख
के कैंसर के रोगी के पिता से एक कैंसर की चिकित्सा का दावा करने वाला व्यक्ति यह कह
रहा था.
रोगी के पिता ने बिना देर किये तेलिया
कंद की तलाश शुरू की और बीस हजार रुपयों में उन्हें कंद मिल भी गया. उलटे पाँव जब वह
वापस आये तो दावा करने वाले व्यक्ति ने नाक-भौं सिकोड़कर कहा कि यह असली तेलिया कंद
नही है. असली तेलिया कंद के लिए आपको मैं जामनगर का एक नम्बर देता हूँ वहां से आप
कंद मंगवा लीजिये. “ मरता क्या न करता. रोगी के पिता ने जामनगर का नम्बर घुमाया तो
उनके होश उड़ गये. तेलिया कंद की कीमत दो लाख बताई गयी. मोल-भाव से एक लाख पर सौदा
हो गया और कंद डाक से भेज दिया गया.
रोगी के पिता कंद लेकर उस व्यक्ति तक
पहुंचे तो उसने कहा कि कंद से दवा बनाने के पचास हजार लगेंगे. पैसे मिलने पर उस
व्यक्ति ने कंद से दवा तैयार की और कहा कि इसकी एक खुराक कैंसर का खात्मा कर देगी.
रोगी के पिता ने घर लौटते ही रोगी को दवा दी पर रोगी ने एक कौर में ही उल्टी कर
दी. वह और नही खा सकता था. रोगी के पिता
ने अपने साथ हुए बड़े धोखे को महसूस किया.
ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं कैंसर के रोगियों
को ठगे जाने के राज्य में. देशभर के आंकड़े लिए जाएँ तो आपके होश उड़ जायेंगे.
तेलिया कंद के बारे में कहा जाता है कि
इस कंद को खोदने पर जड़ के आस-पास तेल जैसा पदार्थ बिखरा मिलता है. और इस कंद को
घने जंगल में खोदना टेढ़ी खीर है क्योंकि इसकी रक्षा एक सांप करता है. तेलिया कंद
के बारे में यह बात भी फैलाई गयी है कि इसकी एक मात्रा से किसी भी प्रकार के कैंसर
का इलाज हो जाता है. तेलिया कंद के अंदर लोहे की कील घुसाने पर पर वह कुछ ही समय
में घुल जाती है –ऐसा दावा भी किया जाता है और कहा जाता है कि जिस तरह यह लोहे को
गला देता है उसी तरह कैंसर को भी गला देता है. प्राचीन ग्रन्थ तेल कंद की बात करते
हैं जिसके आस-पास तेल जैसा पदार्थ पाया जाता है पर वे रहस्मयी सांप और कैंसर में
इसकी उपयोगिता की बात नही करते हैं. तेल कंद को बाद में सुविधानुसार तेलिया कंद कह
दिया गया. पर जो कंद कैंसर रोगियों को बेचा जाता है वो न तो तेल कंद है और न ही
तेलिया कंद. उन्हें भस्म कंद बेचा जाता है जिसका वैज्ञानिक नाम है Sauromatum
venosum . यह भस्म कंद सर्वत्र उपलब्ध है बस्तर
में भी और अमरकंटक में भी. पर इसे दुर्लभ बताकर लाखों रुपयों में देश भर में बेचा
जा रहा है.
वर्ष 1990 से किये जा रहे अपने वानस्पतिक
सर्वेक्षणों में मैंने देश भर से १५० प्रकार के ऐसे कंदों के बारे में जानकारियाँ
एकत्र की जिन्हें तेलिया कंद के नाम से पहचाना जाता है. इन सभी तरह के तेलिया
कंदों को मैंने जंगल से एकत्र किया पर मुझे कभी भी सांप नही मिला (संभवत: वह अवकाश
में रहा हो). इसमें कोई शक नही कि इनमे से
कई प्रकार के तेलिया कंद का प्रयोग कैंसर की चिकित्सा में होता है पर एक खुराक में
कैंसर के खात्मे का माद्दा इनमे से किसी में भी नही है. इन्हें कैंसर की चिकित्सा
में प्रयोग होने वाले दस हजार से अधिक पारम्परिक नुस्खों में द्वितीयक घटक के रूप
में प्रयोग किया जाता है.
“सर, मेरी माँ को कैंसर है और हमे तेलिया
कंद चाहिए. क्या आप दिलवा सकते हैं.?” पंजाब से इस फरवरी को मेरे पास एक फोन आया.
“कौन-सा तेलिया कंद चाहिए?” मेरे सामने
150 प्रकार के तेलिया कंद की तस्वीर घूमने लगी.
“सर, वो तेलिया कंद जिसे खाने से एक बार
में ही कैंसर का खात्मा हो जाए.” उधर से जवाब आया.
“ऐसा तो कोई तेलिया कंद नही होता पर फिर
भी मैं आपको उड़ीसा के गंधमर्दन पर्वत के पारम्परिक चिकित्सकों का पता देता हूँ. वे
आपको तेलिया कंद उपलब्ध करवा देंगे?” मैंने जवाब दिया.
“कितने लाख में सर?” बड़ी व्यग्रता से
आवाज आई.
“यदि आपकी बातों पर उन्हें विशवास हो गया
तो वे आपको मुफ्त में इसे दे सकते हैं अन्यथा वे जंगल में जाकर इसे एकत्र करने का
व्यय आपसे लेंगे?’ मैंने कहा. उसे यह बात हजम नही हुयी.
बाद में वह व्यक्ति पारम्परिक चिकित्सकों
से मिला और उसकी माँ की दशा से व्यथित होकर उसे बिना पैसे के तेलिया कंद मिल गया
पर पारम्परिक चिकित्सकों ने साफ़ कह दिया कि इसका प्रयोग विधिपूर्वक लम्बे समय तक
करने से लाभ हो सकता है.
पंजाब लौटकर उसने तुरंत ही कैंसर की
चिकित्सा का दावा करने वाले स्थानीय व्यक्ति को यह तेलिया कंद दिया. जैसी कि
उम्मीद थी स्थानीय व्यक्ति में कंद को नकली करार दिया और कहा कि असली तेलिया कंद
जामनगर और राजकोट में मिलेगा. फिर लूट की वही चिर-परिचित कहानी शुरू हो गयी.
मुझे बड़ा आश्चर्य होता कि बाबा रामदेव ने
अपनी वेबसाईट पर भस्म कंद को असली तेलिया कंद बताया है. वे इस कंद को बाजार में
नही बेचते हैं और न ही एक खुराक से कैंसर के खात्मे का दावा करते हैं पर इस गलत
जानकारी का लाभ उठाकर ठग कैंसर रोगियों को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं.
थाईराइड कैंसर की अंतिम अवस्था में पहुंच
चुके एक धन्ना सेठ को करीब दस लाख में एक कंद तेलिया कंद बताकर दिया गया. उन्होंने
इससे दवा तैयार कर मन पर पत्थर रखकर कई महीनों तक सेवन किया पर उनका मर्ज बढ़ता ही
गया. बाद में जब वे मुझसे मिलने आये तो मैं उन्हें अमरकंटक ले कर गया जहाँ वह कंद
चंद रुपयों में मिल रहा था पेट की बीमारी की दवा के रूप में. वहां के पारम्परिक
चिकित्सकों ने उन्हें तेलिया कंद भी दिलवाया और कैंसर में उसके उपयोग को भी
समझाया. पर सेठ जी तो नकली तेलिया कंद पर जीवन भर की पूंजी लुटा चुके थे.
इस वर्ष जून में जामनगर से असली तेलिया
कंद बेचने का दावा करने वाले मुझसे मिलने आये. मैंने उन्हें तेलिया कंद पर आधारित
कैंसर के पारम्परिक नुस्खों पर तीन घंटे की फिल्म दिखाई पर उनमे से कोई तेलिया कंद
को पहचान नही पाया.
हैदराबाद में रुद्राक्ष की तर्ज पर नकली
तेलिया कंद यानी भस्म कंद की व्यापक खेती की तैयारी चल रही है. जल्दी ही कैंसर के
एकमात्र उपचार के रूप में इसे टेली मार्केटिंग के जरिये बेचने की योजना है. ऐसे
में जरूरी है आम लोगों विशेषकर कैंसर रोगियों को पहले से जागरूक किया जाए. इस आलेख
का मूल उद्देश्य यही है.
(पंकज अवधिया जैव-विविधता विशेषज्ञ हैं
और राज्य में कैंसर से सम्बन्धित पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान पर शोध कर रहे हैं.
)
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