कैंसर की पहचान मनुष्य को देखकर , गर्व है ऐसे पारम्परिक ज्ञान पर
कैंसर की पहचान मनुष्य को देखकर , गर्व
है ऐसे पारम्परिक ज्ञान पर
पंकज अवधिया
जब तक कैंसर का पता चलता है तब तक बहुत
देर हो चुकी होती है और रोगी को बचाना
मुश्किल हो जाता है.
आधुनिक चिकित्सक भी कहते हैं कि कैंसर का
यदि पहली अवस्था में पता लग जाए तो कैंसर
से सफलतापूर्वक लड़ा जा सकता है. इसलिए
साधारण मनुष्य को देखकर उसे कैंसर है या नही यह जान लेने की पारम्परिक विद्या को
सीखने के लिए आप १५ शोधार्थियों का समूह एक सप्ताह तक मेरे साथ समय गुजारने के लिए
आया है.
मैं आपको बताना चाहता हूँ कि कई तरह के
परीक्षण करके पारम्परिक ज्ञान की सहयता से यह पता लगाया जा सकता है कि सामने वाले व्यक्ति
को कैंसर है या नही. मैं आपको प्रतिदिन पांच ऐसे
परीक्षणों के बारे में बताउंगा. सम्भव हुआ तो कैंसर रोगियों की मदद ली
जायेगी ताकि इस ज्ञान में आप पारंगत हो
सकें.
किसी साधारण मनुष्य को दूर से देखकर वह
कैंसर रोगी है नही –हमारे पारम्परिक चिकित्सक जान लेते हैं. मैंने उनसे इस ज्ञान
को सीखा है पर पारंगत नही हो पाया हूँ.
मैंने अब अब ऐसे 600 रोगियों की पहचान की है और समय रहते कैंसर की पहचान हो जाने
से उनकी जान बच गयी. 150 से अधिक मामलों में मैं असफल भी हुआ हूँ. पर असफलता से
निराश नही हुआ और अब इस ज्ञान में पारंगत होने की कोशिश कर रहा हूँ.
पिछले कुछ वर्षों से मैं फेसबुक प्रोफाइल
देखकर सामने वाले व्यक्ति के स्वास्थ की स्थिति जाननेका प्रयास कर रहा हूँ. पर
इसमें मुश्किल यह है कि सभी व्यक्ति खुलकर अपनी स्वास्थ समस्याए नही बताते है
जिससे इस बात की पुष्टि नही हो पाती कि अनुमान सही है या गलत.
मैं आपको सलाह दूंगा कि आप पारम्परिक
चिकित्सकों के पास भी कुछ दिन गुजारें ताकि आप इस अनोखे पारम्परिक ज्ञान को सीख
सकें.
मैं यह भी आपको बताना चाहूंगा कि बहुत से
बुजुर्ग पारम्परिक चिकित्सक साधारण मनुष्यों को देखकर और उनसे बात कर भविष्य में
होने वाले रोगों के बारे में भी बता देते हैं.
तो चलिए आज पहले दिन पांच परीक्षणों पर
चर्चा शुरू करते हैं.
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