कैंसर में कौन सी नीलकंठी, गलत पहचान माने खतरे की घंटी
कैंसर में कौन सी नीलकंठी, गलत पहचान
माने खतरे की घंटी
पंकज अवधिया
यह मेरी आपसे तीसरी मुलाक़ात है एक वर्ष
के भीतर.
आपको नीलकंठी नामक बूटी की तलाश है. आप
आयुर्वेद के जाने-माने चिकित्सक हैं और उत्तर भारत से आये हैं.
आप कैंसर की चिकित्सा में महारत रखते हैं
और अपने नुस्खे को पूरा करने के लिए नीलकंठी खोज रहे हैं. आपने बताया कि दो
वनस्पतियों के मेल से आप कोई अनोखा नुस्खा बनाते हैं और फिर उससे फेफड़े के कैंसर
का शर्तिया इलाज करते हैं.
पहली बार आप जब आये थे तो मैंने आपको ३५
ऐसी बूटियों की तस्वीरें दिखाई थी जिन्हें कि हिन्दी में नीलकंठी के नाम से जाना
जाता है. आप सारी तस्वीरें ले गये थे और फिर देश भर में घूम-घूम कर उन वनस्पतियों
को एकत्र करते रहे. आपने इन सभी नीलकंठी को अपने मरीजों को दिया पर जब अच्छे
परिणाम नही मिले तो आप फिर से मुझसे मिलने आये.
दूसरी बार आप जब मिले तो आप बीस ऐसी
वनस्पतियों के साथ थे जिन्हें देश भर मे नीलकंठी बताकर आपको बेचा गया था. आप मुझसे
सही नीलकंठी की पहचान करवाना चाहते थे. मैंने बार-बार नुस्खे में डाली जाने वाली दूसरी
वनस्पति का नाम पूछा तो आपने बताने से इनकार कद दिया. आपको नुस्खे का भेद खुल जाने
का डर था.
अबकी बार जब आपने फिर से मेरी फीस जमा की
है तो आप पूरे नुस्खे का राज बताने को तैयार हो कर आये हैं. आपने बताया कि वह
दूसरी वनस्पति नदिया सेन्हा है. ये हुयी न बात. अब मैं आपको नीलकंठी बूटी देता हूँ
जिसे हमारे छत्तीसगढ़ में बड़े सहदेई कहा जाता है. इसे पंजाब में नीलकंठी कहा जाता है.
आप इस नुस्खे का प्रयोग
कैंसर के लिए कर सकते हैं क्योकि हमारी पारम्परिक चिकित्सा में इसका प्रयोग
होता है. पर मुझे नही लगता कि इस अकेले नुस्खे से बात बनने वाली है. आपको दस और
नुस्खों का प्रयोग करना होगा कैंसर पर पूरी तरह से विजय पाने के लिए. आप मेरे
आनलाइन डेटाबेस से इन नुस्खों की आरम्भिक जानकारी ले सकते हैं.
मेरी शुभकानाएं आपके साथ हैं.
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