कैंसर यानी कर्कट रोग के लिए कर्कट, गोरोचन करे ठीक आँखों को झटपट

कैंसर यानी कर्कट रोग के लिए कर्कट, गोरोचन करे ठीक आँखों को झटपट

पंकज अवधिया

आप इस उम्र में इतना लम्बा सफर करके आये हैं डाक्टर मेहता. आराम से बैठिये. मैं आपके लिए हर्बल चाय मंगवाता हूँ.

आप अपने जमाने के जाने –माने कैंसर विशेषज्ञ रहे हैं और अमेरिका में आप तात्कालीन राष्ट्रपति के चिकित्सकीय सलाहकार समिति में भी रहे हैं.

आपने बताया कि ४५ वर्ष की उम्र में अचानक ही एक सुबह आप उठे तो आपकी दोनों आँखों की रोशनी जा चुकी थी. आपने बहुत इलाज करवाया. इजराइल के डाक्टरों को भी दिखाया पर बात नही बनी.

अब आपको प्रोस्टेट कैंसर हो चुका है. आप अभी ८५ वर्ष के हैं और पुणे के पास किसी धर्मार्थ अस्पताल के कैम्पस में रहते हैं. आपकी डाक्टर पत्नी अमेरिका की है और उसी अस्पताल में अपनी सेवायें देती हैं.

आपने बताया है कि किसी ने आपको अपने मस्तक यानि तीसरे नेत्र वाले स्थान पर गोरोचन का तिलक लगाने को कहा है और आश्वस्त किया है कि इससे आपकी दोनों आँखों की रोशनी फिर से वापस आ सकती है.

आपको यह भी बताया गया कि आप असली गोरोचन मुझसे प्राप्त कर सकते हैं और इस बात की सत्यता का भी पता लगा सकते हैं. आपके आने का एक और कारण भी है. इसका खुलासा मैं आगे करूंगा.

डाक्टर मेहता, गोरोचन के ऐसे प्रयोग हमारे प्राचीन ग्रन्थों में वर्णित हैं पर मेरा अनुभव है कि गोरोचन के साथ सात तरह की जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाए तो अधिक लाभ होता है पर पहले इस बात का पता लगाना जरूरी है कि आखिर आँखों की रोशनी यूँ ही अचानक से कैसे चली गयी.

आप उस समय जो भी दवा ले रहे थे उसकी पूरी जानकारी मुझे चाहिए होगी. मैंने ऐसे बहुत से मामले देखे जिसमे दवा के दुष्प्रभाव से ऐसा हो जाता है. ऐसे मामलों को उसी समय ठीक भी किया जा सकता है पर अब सालों बाद कैसे बात बनेगी  इस पर गहन चिन्तन करना होगा.
यहाँ गाँवों में या पारम्परिक चिकित्सकों के पास खबर छोड़ देने पर वे गोरोचन उपलब्ध करवा देंगे. यदि आप जडी-बूटियों के बिना इसका प्रयोग करना चाहते है तो आप उसके लिए स्वतंत्र है.
आपकी दूसरी समस्या प्रोस्टेट कैंसर और इसके इलाज की है. महाराष्ट्र के कोई पारम्परिक चिकित्सक आपकी चिकित्सा कर रहे हैं. आपने बताया कि वे आपको रोज सुबह जड़ी-बूटियों के घोल में पकाया हुआ केक्कड़े का मांस खाने को कहते हैं. पारम्परिक चिकित्सक कहते हैं कि इस एकमात्र उपाय से आपका कैंसर चूंकि अभी आरम्भिक अवस्था में है, इसलिए ठीक हो जाएगा.
आप खुद  डाक्टर हैं इसलिए आपको इस इलाज पर कम ही विशवास है और आप इस इलाज का वैज्ञानिक आधार जानने के लिए मेरे पास आये हैं.

मैं आपको बताना चाहता हूँ कि ऐसे बहुत से उपाय हमारे प्राचीन ग्रन्थों में लिखे हुए हैं और ये ग्रन्थ वैज्ञानिक अनुमोदनो को  सरल भाषा में प्रस्तुत करते हैं. इससे बड़ा वैज्ञानिक आधार और क्या हो सकता है.

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान इसके बारे में नही जानता इसलिए टिप्पणी नही करता है. हां, मैंने जो 1000 घंटों की एक सीरीज इंटरनेट पर प्रस्तुत की है जिसमे ३५००० से अधिक कैंसर के फार्मुलेशंस हैं उनमे यह फार्मूला भी शामिल है. इसमें केकड़े के मांस से ज्यादा प्रयोग की गयी जड़ी-बूटियों की अहम भूमिका रहती है. 

आप मेरी व्याख्या से संतुष्ट दिखते हैं. इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है मेरे लिए.  


सर्वाधिकार सुरक्षित

Comments

Popular posts from this blog

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)