कैंसर में जल भान्गरो, उबकाई लगे तो नुस्खे को सुधारो

कैंसर में जल भान्गरो, उबकाई लगे तो नुस्खे को सुधारो

पंकज अवधिया

आपका कहना है कि यह जल भान्गरो है पर स्थानीय नाम के साथ यह मुश्किल है कि एक ही नाम से कई प्रकार की जड़ी-बूटियों को पहचाना जाता है. आप इसका ताजा या सूखा पौधा लेकर नही आये हैं बलिक इसका चूर्ण लेकर आये हैं.

सुगंध ने सही पहचान का दायरा कम कर दिया है. मुझे इसके आमनिया, बर्जिया और भृंगराज में से एक होने का यकीन है. अब इस चूर्ण को चखने के अलावा कोई रास्ता नही है. यदि यह इन तीनो में से एक नही है और कोई दूसरी जहरीली वनस्पति है तो जान का खतरा हो सकता है. पर चखना तो पड़ेगा ही.

आप दिल्ली से आये हैं और मुंह के कैंसर से प्रभावित हैं. आपके चिकित्सक वेल्लोर के हैं और वे राजस्थान से जल  भान्गरो नाम बूटी मंगवाकर चूर्ण के रूप में कैंसर के घाव में लगाने के लिए देते हैं.

आपका कहना है कि इससे आपको उबकाई आती है और बहुत बार उल्टी हो जाती है. इससे यह लेप केवल कुछ समय तक ही मुंह में ठहर पाता है.

चिकित्सक का कहना है कि यह मुँह में जितनी देर लगा रहेगा उतना ही अधिक लाभ होगा. आप अपने चिकित्सक को बिना बताये मेरे पास आये हैं ताकि नये सिरे से उपचार शुरू हो सके.

मैंने आपको सुझाव दिया है कि आप बीच में चिकित्सक न बदलें. आपको फायदा तो हो रहा था.  सिर्फ उल्टी की समस्या है. जिसे सुलझाने की कोशिश मैं करूंगा.

लीजिये, मैंने चख लिया. यह तो भृंगराज और बर्जिया नही है. ये अमानिया जिसे हम यहाँ लाल वन के नाम से जानते हैं, का चूर्ण है. 

मुझे आश्चर्य है कि  आपके चिकित्सक इसे राजस्थान से क्यूं मंगा रहे हैं. यह तो उनके घर के आस-पास बेकार नम जमीन में मिल जाता है. शायद उनको इस बात की जानकारी न हो.

आप लाल वन के चूर्ण में चुटकी भर हल्दी और पीसी हुयी हरड मिला लें, बस आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा. मुझे आशा है कि आपके चिकित्सक को इस छोटे से परिवर्तन से कोई परेशानी नही होगी.

आप उनसे चिकित्सा करवाइए. यदि और किसी तरह की असंतुष्टि लगे तो मैं आपको अपनी सेवायें देने को तैयार हूँ.

कैंसर में अक्सर चिकित्सक लम्बे समय की योजना बनाकार उपचार शुरू करते हैं. ऐसे में बीच में उपचार छोड़ना और फिर नया उपचार शुरु करना रोगियों को भारी पड़ जाता है. इसलिए मैंने ये सुझाव दिया है.

मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं. 


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