कैंसर में बोकसुंगा कम है उपयोगी, पथरी का इलाज करते हैं इससे योगी

कैंसर में बोकसुंगा कम है उपयोगी, पथरी का इलाज करते हैं इससे योगी
पंकज अवधिया

तो आप पारम्परिक चिकित्सकों का पीछा करती रहीं और अंत में आपको ऐसी वनस्पति मिल गयी है जो कैंसर के घावों को भरती है.

आपने पारम्परिक चिकित्सकों से इस बात की पुष्टि नही करवाई है. आपने वनस्पति का स्थानीय नाम बोकसुंगा बताया है और आप अपने साथ इसे लेकर आई हैं ताकि मैं भी इसे देख सकूं.
आपने बताया कि आप जादवपुर विश्वविद्यालय की शोध छात्रा है और कैंसर के लिए उपयोगी जड़ी-बूटियों पर शोध कर रही हैं.

आप शोध अध्ययन के लिए उड़ीसा के पारम्परिक चिकित्सकों से मिलीं पर जब उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया तो आपने रोज सुबह उनका पीछा करना शुरू कर दिया ताकि आप जंगलों से वे कौन सी जड़ी-बूटी एकत्र करते हैं इसका पता लगा सकें. आपने जंगल में अकेले जाने का जोखिम उठाया और पारम्परिक चिकित्सकों को इस बात की भनक भी नही लगने दी.

वैसे आप अपने आने का उद्देश्य पारम्परिक चिकित्सकों को बताती तो मेरा मानना है कि वे अपना ज्ञान आपसे जरुर बांटते हैं. देश भर के शोधार्थी दूर गाँव में जाकर पारम्परिक चिकित्सकों से सीखने का प्रयास करते रहे  हैं. हाँ, इसकी यही शर्त है कि आपको अपना अहं कि आप उच्च शिक्षित हैं, घर पर ही छोड़ कर जाना होगा. यदि आप आदेश देकर उनसे ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करेंगी तो नतीजा सिफर ही रहेगा.

आपने मुझे जो वनस्पति दिखाई है वह साधारण जख्म को ठीक करने का माद्दा रखती है पर कैंसर के घावों पर यह अपना असर नही दिखा पाती है.

कैंसर अपने आप में महारोग है और अक्सर एक वनस्पति की बजाय वनस्पतियों का मिश्रण अधिक कारगर होता है और हमारे पारम्परिक चिकित्सक कम समय अंतराल ने इन वनस्पतियों को बदलते रहते हैं ताकि कैंसर से सही तरीके से लड़ा जा सके. बोकसुंगा का प्रयोग कैंसर के नुस्खों में ज्यादा नही होता है.

उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के पारम्परिक  चिकित्सक इसकी जड़ का प्रयोग मूत्र पथरी की चिकित्सा में करते हैं और यह भी दावा करते हैं कि इसके नियमित सेवन से पथरी दोबारा नही होती है.
कैंसर के लिए उपयोगी जड़ी-बूटियों की लम्बी सूची आपको मेरी वेबसाईट में मिल जायेफी. आप इंटरनेट की सहायता से कैंसर के ३५००० से ज्यादा नुस्खों और उनमे प्रयोग होने वाली जड़ी-बूटियों के बारे में विस्तार से जान सकती हैं.

एक नुस्खे पर कम से कम २५ घंटो तक बात की जा सकती है. आप यदि किसी नुस्खे विशेष पर जानकारी चाहती हैं तो इस पर विस्तार से चर्चा हो सकती है.

पिछले दशक में बतौर गेस्ट स्पीकर आपके विश्विद्यालय ने मुझे एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन में आमंत्रित किया था .  वहां के शोधार्थी मुझसे मिलने आते रहते हैं.

आशा है मेरे द्वारा दी गयी जानकारी आपके शोध कार्य में उपयोगी साबित होगी.


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