कैंसर में कीमोथेरेपी से खराब नर्वस सिस्टम, देसी बूटियों में सुधारने का है दम
कैंसर में कीमोथेरेपी से खराब नर्वस
सिस्टम, देसी बूटियों में सुधारने का है
दम
पंकज अवधिया
नैन्सी के बारे में सुनकर अच्छा लगा. आप
इतनी दूर से यह खबर लेकर आये है आप आराम से बैठिये. मैं आपके लिए हर्बल टी मंगवाता हूँ.
मुझे याद आता है कि नैन्सी ने सबसे पहले
मुझसे उस समय सम्पर्क किया था जब पहली बार उसे कीमोथेरेपी लेने के लिए डाक्टरों ने
कहा था.
नैन्सी कनाडा की रहने वाली है और उसे
बेस्ट कैंसर है. नैन्सी को पता था कि कीमोथेरेपी के अपने फायदे और नुकसान है.
इसलिए वह चाहती थी कि मैं उसे कुछ ऐसी जड़ी-बूटियाँ दूं जिससे कीमोथेरेपी से होने
वाले स्थायी नुकसानो से बचा जा सके.
मैंने एक महीने के लिए चुनी हुयी
जड़ी-बूटियाँ अनुमोदित की थी. सारी जानकारियाँ और जड़ी-बूटियाँ उस तक पहुंच गयी पर
किसी कारणवश वो इन्हें कीमोथेरेपी के पहले नही ले सकी.
कीमोथेरेपी के बाद से उसके हाथों और
पैरों के तेज दर्द रहने लगा. डाक्टरों ने पहले तो दर्द नाशक दवाएं दी फिर जांच
करके बताया कि कीमोथेरेपी से नर्वस सिस्टम को स्थायी नुकसान हुआ है. इसलिए दर्द कभी पूरी तरह से
खत्म नही होगा.
नैन्सी को फिर मेरी याद आई. कनाडा से आये
उसके पारिवारिक मित्र ने समस्याएं बताई और फिर दवा लेकर लौट गये. इस बार नैन्सी ने
बिना देर किये भारत से सुझाई गयी जड़ी-बूटियाँ ली और कुछ सप्ताह में नर्वस सिस्टम
फिर से सक्रिय हो गया और दर्द जाता रहा.
इस सफलता के बाद नैन्सी ने निर्णय लिया
कि वे ब्रेस्ट कैंसर का आधुनिक उपचार पूरी तरह से बंदकर भारत की पारम्परिक
चिकित्सा का रुख करेंगी.
पिछली बार जब वह मुझसे मिलने आई तो मैंने
सात महीनों के लिए एक चार्ट बना कर दिया. नैन्सी का कहना है कि इससे उसे बहुत लाभ
हुआ और इसलिए उसने अपने पारिवारिक मित्र को रायपुर भेजा है दवाएं लेने के लिए.
मैंने नैन्सी से पहले ही कहा था कि उसे
खुद को आना होगा ताकि पारम्परिक विधियों से परीक्षण कर यह सुनिश्चित किया जा सके
कि कैंसर में सचमुच लाभ हुआ है और अभी कैंसर की क्या स्थिति है, किसी दूसरे के
द्वारा बताई गयी बातों पर दवा देना सम्भव
नही है विशेषकर कैंसर जैसे जटिल रोगों में.
विदेशों में रहने वाले रोगियों के लिए यह
एक बड़ी समस्या है पर पारम्परिक चिकित्सा की यही मांग है.
इस बार यदि नैन्सी आती तो उसके पैरों में
जड़ी-बूटियों का लेप लगाकार उससे पूछा जाता कि इससे उसकी श्रवण शक्ति में कोई फर्क
पड़ा है कि नही. पिछली बार जब वह आई थी तो पैरों में लेप लगाकर पूछा गया था कि क्या
उसे मुंह में कड़वेपन का अहसास हो रहा है. यदि हाँ, तो लेप लगाने के कितनी देर बाद.
इसलिए कनाडा से पधारे महोदय मेरा यह
संदेश नैन्सी तक पहुंचाए और उन्हें स्वयं यहाँ आकर दवा लेने की सलाह दें.
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