कौन करे और कौन न करे कुंजल क्रिया, बताओगे तभी कहेंगे दिल से शुक्रिया
कौन करे और कौन न
करे कुंजल क्रिया, बताओगे तभी कहेंगे दिल से शुक्रिया
पंकज अवधिया
कैसा रहा तुम्हारा
सुबह का योग शिविर मित्र? बड़े दिनों से तुम्हे इस वृहत आयोजन की प्रतीक्षा थी.
तुमने तो पहले से ही अग्रिम पंक्ति का टिकट ले रखा था. आज तुम कुछ ज्यादा ही
तरोताजा दिख रहे हो. मेरी शुभकानाएं तुम्हारे साथ हैं.
तुम्हारी धर्मपत्नी
के बारे में सुनकर दुःख हुआ. तुमने बताया कि कैसे कुंजल क्रिया के तत्काल बाद उनकी
तबियत बिगड़ने लगी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पडा. तुम्हारे योगगुरु का यह
कहना कि यह किसी पुरानी समस्या के कारण है और कुंजल या योग का इससे कुछ लेना देना
नही है- तुम्हे राहत पहुंचाता होगा. अब कैसा स्वास्थ है भाभी जी का?
मित्र, तुम तो
जानते ही होगे कि कुंजल शब्द संस्कृत में नही है. दरअसल यह कुंजर शब्द है जिसका
अर्थ होता है गज यानी हाथी. कुंजल क्रिया को आज दुनिया भर में योगिक वोमेटिंग के
रूप में जाना जाता है. इससे शरीर की सफाई हो जाती है और नर्वस सिस्टम को बहुत बल
मिलता है. हाइपर एसीडीटी के रोगियों के लिए तो यह वरदान है. कुछ समय तक इसे रोजाना
करने से अस्थमा वालों को भी बहुत राहत मिलती है.
मित्र, कैसी अजीब
बात है कि योग शिविर में कुंजल क्रिया कराने से पहले किसी से यह नही पूछा गया
कि यदि किसी को हाई ब्लड प्रेशर, हार्निया
या पेट की कोई भी बीमारी है तो कृपया इसे न करे. मुझे याद है कि तुमने मुझे योग
शिविर का विडीयो भी दिखाया जो यू ट्यूब में अपलोड किया गया था. सच में ऐसी कोई बात
योग करने वालों से नही पूछी गयी थी.
मित्र, मुझे मालूम
है तुम्हारी पत्नी लम्बे समय से हृदय रोगी है और रक्तचाप पर उनका शरीर दवाओं के
बावजूद नियन्त्रण नही कर पाता है. तुम्हारे छोटे पुत्र की असमय मृत्यु के बाद से
वे और बीमार हो गयी हैं. ऐसे में कुंजल क्रिया उनके लिए वरदान की जगह
अव्भिशाप बन गयी और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा.
इसमें तुम्हारी
क्या गलती भला. आजकल हवा ही ऐसी चली है. सब ओर बाजार का वर्चस्व है जिसमे स्वास्थ
से जुडी हर चीज की केवल अच्छाई बताई जाती है. उसकी सीमाओं और हानि की बिलकुल चर्चा
नही की जाती है. इसलिए मैं आज के योग को
व्यवसायिक योग कहता हूँ.
मित्र, भारत का
पारम्परिक योग पीढीयों से संघर्ष करते हुए अपने अस्तित्व को बचाए हुए है. जानते हो
क्यों? क्योंकि योग गुरु बाजार से दूर थे. वे योग के लाभों के अलावा उसकी सीमाओं
और हानियों के बारे में भी खुलकर बताते रहे. इसलिए योग बचा रहा. मुझे डर है कि योग
का केवल उजला पक्ष बताने वाली कलयुगी हवा इसके अस्तिव के लिए खतरा न बन जाए. इसका उथला
ज्ञान इसके लिए आत्मघाती है.
यदि शिविर में
उपस्थित योगगुरु घोषणा कर देते कि ह्रदय रोगी कृपया कुंजल क्रिया को न करें तो
इससे तुम्हारी पत्नी की हालत यह न होती और न ही योग को किसी तरह का नुक्सान होता
है बल्कि सर्वत्र प्रशंसा होती कि योग का विज्ञान कितना खरा है.
छोड़ों मित्र आज के
समय में जब योग को समझने वाले कम और योग सीखाने पर आमदा लोग बहुत ज्यादा हो गये
हैं ऐसे में सच की आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज की तरह है.
मैं बस निकल ही
रहा हूँ भाभी जी को देखने अस्पताल की ओर.
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