कैंसर में महुआ का बांदा, और तांत्रिको का गंदा धंधा
कैंसर में महुआ का बांदा, और तांत्रिको
का गंदा धंधा
पंकज अवधिया
महुआ का बांदा. यही बताया था आपने.
आपने यह भी बताया था कि आपकी बिटिया को
ब्रेस्ट कैंसर है और झारखंड के किसी वैद्य ने आपसे महुआ का बांदा लाने को कहा है.
आपने जब महुआ के बांदा की खोज शुरू की तो
आपको पता चला कि यह सिर्फ तांत्रिकों के पास मिल सकता है. जब आप तांत्रिको से मिले
तो उन्होंने एक बांदा की कीमत एक लाख से दस लाख रुपयों तक माँगी. आपके पास इसका
चित्र भी नही था जिसे दिखाकर आप जंगल में खोजने जाते.
आपके वैद्य ने ताजा बांदा लाने को कहा था
जबकि तांत्रिक आपको सूखा सिन्दूर मिला हुआ बांदा दे रहे थे. आपने लाख समझाया कि
महुआ का बांदा अमीर बनने के लिए नही चाहिए बल्कि बिटिया के इलाज के लिए चाहिए पर
तांत्रिको का दिल नही पसीजा. थक हार कर आप मेरे पास आये हैं. मैं आपकी मदद करूंगा.
जानकारों के लिए महुआ का बांदा दुर्लभ
नही है. यह आसानी से मिल जाता है और किसी वनवासी को वृक्ष पर चढ़ाकर आप इसे प्राप्त
कर सकते हैं.
इसके बारे में ग्रामीण अंचलों में कई तरह
की अफवाह उड़ा दी गयी है कि इसको तोड़ने का विशेष समय होता है, हर कोई इसे नही तोड़
सकता, इसे तोड़ने के लिए पेड़ पर चढने वालों को दिन में तारे दिखने लगते हैं आदि-आदि.
जिन्हें डरना है वे खूब डरें पर मैं इसे
जीवनदायिनी बूटी के रूप में देखता हूँ. इसलिए किसी की प्राण रक्षा के लिए इसे
एकत्र करने में देर नही करना चाहता हूँ.
आप इस वीडियों को देखिये आपको महुआ का
बांदा दिख जाएगा.
मैं आपके साथ जंगल चलता हूँ, मैं आपको उपयुक्त
स्थान दिखा दूंगा ताकि आप भविष्य में जरूरत पड़ने पर वहाँ से बांदा ले सकते हैं.
वैसे आपने जिस वैद्य का नाम बताया और उनके
गाँव का पता दिया वहां पर महुआ बहुत है और निश्चित ही वहां महुआ का बांदा पाया
जाता होगा जिसे वैद्य भी जानते होंगे फिर उन्होंने आपको क्यों भटकाया यह समझ से परे
है.
अपनी चिकित्सा को बेहद कठिन बताने वाले
वैद्य ऐसा करते हैं.
कई वैद्य तो महुआ का बांदा मंगवा लेते
हैं पर उसका प्रयोग कैंसर के लिए करते ही नही है. बाद में औने-पौने दाम पर
तांत्रिको को बेच देते हैं .
ऐसे भी वैद्य हैं जिनका मानना है कि महुआ
का बांदा रोगी के परिजन लाये तभी यह कारगर होता है. पर ऐसे वैद्यों को बताना चाहिए
कि रोगी के परिजन कैसे तांत्रिको के चंगुल में फंस जाते हैं और अपना बहुत सारा धन
गंवा बैठते हैं.
चलिए अब बिना विलम्ब किये जंगल की ओर
चलें.
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