कैंसर में हरि बूटी न कि हरि फल, जरा सी गलती से जान सकती है निकल

कैंसर में हरि बूटी न कि हरि फल, जरा सी गलती से जान सकती है निकल
पंकज अवधिया

आप चाहते हैं कि मैं उत्तराखंड के पारम्परिक चिकित्सक को सजा दिलवाने में आपकी मदद करूं और पुलिस को बताऊं कि कैसे उनकी दवा से दो कैंसर रोगियों की असमय मौत हो गयी.

आप भोपाल से है और एक गैर सरकारी संगठन चलाते हैं. आपका संगठन कैंसर के रोगियों की देखभाल करता है. कैंसर की अंतिम अवस्था में पहुंच चुके बीस कैंसर रोगियों को आप अपने खर्च पर पारम्परिक चिकित्सक से मिलाने लेकर गये. आपने सुना था कि वे किसी भी तरह के कैंसर की सफल चिकित्सा करते हैं.

पारम्परिक चिकित्सक ने सभी रोगियों की जांच की और फिर उन्हें अपने पास से सात तरह की बूटियाँ दी और फिर कहा कि हरि बूटी नामक दवा पास की दुकान से लें लें. वापस जाकर इन सबको आप मिला लें और फिर दूध के साथ रोजाना दें. उन्होंने एक माह बाद आपसे फिर इन सब को लेकर आने को कहा.

ट्रेन छूटने के डर से आपने हरि बूटी वहां से नही ली और फिर अपने शहर वापस आ गये. आपने पंसारी की दुकान से इसे लेने का प्रयास किया पर इस नाम की कोई बूटी नही मिली. आपने इसकी खोज आरम्भ की तो पचमढी में सडक के किनारे लगने वाली किसी दुकान में आपको यह मिल गयी. आपने कैंसर के रोगियों को इसे देना शुरू किया.

कुछ ही घंटों में उनकी तबियत बिगड़ने लगी और उनके सिर में तेज दर्द होने लगा. वे गहरी नींद के आगोश में चले गये. बारह घंटों के बाद वे तेज पेट दर्द के कारण उठे और उनमे से दो ने दम तोड़ दिया.

आप घबरा गये और शेष रोगियों को अस्पताल में भर्ती करवा दिया. बड़ी मुश्किल से उनकी जान बच पायी. आपने पुलिस में शिकायत की पर वे कुछ समझ नही पा रहे हैं. इसलिए आपने मुझसे समय लिया है ताकि मैं वैज्ञानिक विवेचना के बाद एक रपट तैयार कर दूं.

यह तो अच्छा हुआ कि आप सारी जड़ी-बूटियाँ लेकर आये हैं. मैंने हरि बूटी का परीक्षण किया है. उत्तराखंड के पारम्परिक चिकित्सक जिस  हरि बूटी का प्रयोग करते हैं वह तो बहुत छोटी होती है.

आपको तो हरि बूटी के नाम पर किसी बड़े वृक्ष की छाल दे दी गयी है. यह हरि बूटी न होकर हरिफल की जड़ की छाल है जो कि बहुत जहरीली होती है. इसका प्रयोग अपराधिक प्रवृति के लोग जान लेने के लिए करते हैं. इससे जंगली जानवरों का अवैध शिकार भी किया जाता है. इसी विष से आपके रोगियों की जान गयी हैं.

इसमें उत्तराखंड के पारम्परिक चिकित्सक का कोई दोष नही है.  यदि आप वही से हरि बूटी ले लेते तो आपको सही बूटी मिल जाती. इसके लिए आप दोषी है जो आपने अनजान व्यक्ति से इसे खरीदा और बिना पारम्परिक चिकित्सक को दिखाए रोगियों को दे दिया.

आप पचमढी  जाएँ और पता लगाये कि बूटी बेचने वाले क्या अभी भी वहीं हैं? उनके बारे में सूचना पुलिस को दे ताकि और लोगों की जान बचाई जा सके.

सबसे पहले तो आप अपना व्हाट्सअप मैसेज मिटाइये जिसमे आपने कहा कि उत्तराखंड की हरि बूटी पचमढी में  मिलती है.  अब तक यह गलत सूचना न जाने कितने सारे लोगों तक पहुंच चुकी होगी.  
     
सर्वाधिकार सुरक्षित

कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 

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