कैंसर की दवा के साथ मर्करी यानि पारा, रोग से नही दवा से जाएगा रोगी मारा
कैंसर की दवा के साथ मर्करी यानि पारा,
रोग से नही दवा से जाएगा रोगी मारा
पंकज अवधिया
आप कैंसर के रोगी को बचाने की जुगत में
लगे हैं और इसके लिए दिल्ली से रायपुर तक की यात्रा की है और उधर रोगी के वैद्य ने
हार मान ली है तभी तो उन्होंने बुढान्तर नामक दवा शुरू कर दी जो उन रोगियों को दी
जाती है जो मृत्यु के अत्यधिक निकट होते हैं.
आप दिल्ली के कैंसर विशेषज्ञ हैं और देश
के जाने-माने औद्योगिक घराने के कैंसर रोगी की चिकित्सा कर रहे हैं. रोगी के परिजन
दुनिया भर के श्रेष्ठ उपचार करवा कर निराश होकर भारत लौटे हैं और अब आपके
मार्गदर्शन में उनकी चिकित्सा हो रही है. रोगी की हालत बहुत बुरी है . कैंसर बहुत
फ़ैल चुका है.
रोगी का ब्लड प्रेशर घातक स्तर तक बढा हुआ
है. पेट में तेज दर्द हो रहा है. पेशाब और मल में खून आ रहा है,नर्वस सिस्टम जवाब
दे रहा है, पूरे शरीर में नीले लाल रंग के चकत्ते निकल रहे हैं, दोनों पैर फूले
हुए हैं और उनका रंग लाल हो गया है. अच्छा
हुआ जो आप उन्हें यहाँ लेकर नही आये.
इस विकट स्थिति में आप एक बार मुझसे मिलकर
मेरी राय लेना चाहते हैं. रोगी के परिजन और आपको भी लगता है कि शायद कोई रास्ता
निकल आये. इसलिए आप मुझसे मिलने आये हैं. मैं आपकी मदद करूंगा.
मैं आपको बताना चाहता हूँ कि पिछले दो
दशकों में मेरे पास ऐसे ३०० से अधिक मामले आये हैं. यह आधुनिक और पारम्परिक दवाओं
की नकारात्मक प्रतिक्रिया से जुड़ा मामला है. रोगी की इस हालत के लिए कैंसर
उत्तरदायी नही है.
आपने बताया कि आप रोगी को कैंसर के लिए Bevacizumab नामक दवा दे रहे हैं. यह दवा जब ऐसी दवा के साथ दी जाती है
जिसमे मर्करी यानि पारा हो तो शरीर में इस
तरह के भयानक लक्ष्ण उत्पन्न होते हैं.
रोगी के वैद्य ने जो बुढान्तर नामक दवा
देनी शुरू की है उसमे पारा है. वे मान बैठे कि अब रोगी पर कोई दवा काम नही करेगी.
उन्हें आधुनिक उपचार के बारे में नही बताया गया इसलिए वे अपना घातक आख़िरी हथियार
इस्तमाल कर रहे हैं.
इसके प्रयोग से ज्यादातर मामलो में रोगी
की मृत्यु हो ही जाती है. मेरा अपना अनुभव है कि यह मृत्यु कैंसर के कारण नही
बल्कि बुढान्तर के कारण होती है क्योंकि रोगियों के शरीर में पारे के विष के
लक्ष्ण स्पष्ट दिखते हैं.
इसलिए मैं वैद्यों से हमेशा अनुरोध करता
हूँ कि यदि वे हार गये हैं तो इसका मतलब यह नही है कि सारे रास्ते बंद हो गये हैं.
बुढान्तर का प्रयोग उन्हें कभी नही करना चाहिए.
मैं आपको सलाह दूंगा कि आप बुढान्तर का
प्रयोग तुरंत बंद करें. शरीर में जो पारे का विष फैला हुआ है उसके लिए मैं कुछ
वनस्पतियाँ सुझाता हूँ . रोगी को पूरी तरह सामान्य होने में कुछ समय लगेगा पर
सुधार आना निश्चित है.
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
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सर्वाधिकार सुरक्षित
E-mail: pankajoudhia@gmail.com
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