कैंसर की अंतिम अवस्था में उन्मादपंचक का क्या काम, रोगी को देकर मत करो जीना हराम
कैंसर की अंतिम अवस्था में उन्मादपंचक का
क्या काम, रोगी को देकर मत करो जीना हराम
पंकज अवधिया
आइये वैद्य जी बैठिये. मैंने आपके रोगी से मुलाकात की है . उसकी हालत
ठीक नही है. आप ऐसी दवा का प्रयोग इस अवस्था में क्यों कर रहे हैं यह समझ से परे
हैं.
आप कैंसर की चिकित्सा करने वाले वैद्य है
और अपने एक रोगी के साथ मुझसे मिलने आये हैं.
रोगी कैंसर की अंतिम अवस्था में है और उसकी
हालत बहुत खराब दिखती है. आप चाहते हैं कि
मैं कुछ जड़ी-बूटियाँ बताऊं ताकि रोगी की जान बच स्क्रे. मैंने आपके द्वारा दी जा
रही दवाओं की विस्तार से जानकारी ली है.
आपने बताया कि पहले दस तरह के औषधीय
मिश्रण दिए जा रहे थे पर रोगी की हालत को देखते हुए एक-एक करके सभी मिश्रण बंद कर
दिए गये हैं. केवल एक विशेष अर्क ही दिया जा रहा है. आपने यह भी बताया कि यह विशेष
अर्क शुरुआत से चल रहा है.
आपने जिन औषधीय मिश्रणों का जिक्र किया
है वे एक से बढ़कर एक है और मेरा मानना है कि इनके प्रयोग से अब तक कैंसर की चिकित्सा
पूरी हो जानी थी पर ऐसा नही हुआ. मैं आपकी मदद करने की कोशिश करूंगा.
मैं आपको बताना चाहता हूँ कि आप पांच
वनस्पतियों वाले जिस अर्क का प्रयोग कर रहे हैं वह वास्तव में उन्मादपंचक अर्क है
जिसका प्रयोग कैंसर में नही किया जाता है. यह अर्क कामशक्तिवर्धक है इसके बारे में कहा जाता है कि इसके सेवन से
मनुष्य की कामशक्ति पचास गुना बढ़ जाती है और वह १०० स्थीयों से लगातार भोग कर सकता
है.
आपका कहना है कि आपने भोपाल में आयोजित वैद्य सम्मेलन में इस अर्क के
बारे में सुना था तब से आपने इसका प्रयोग करना शुरू कर दिया. आपको बताया गया था कि
यह मनुष्य के बल को बढाता है और बल बढेगा तो कैंसर घटेगा.
आप तो स्वयं ही इसे तैयार करते हैं और
इसमें धतूरा, भांग और अफीम मिलाते हैं. कैंसर के रोगी के लिए ये अर्क किसी अभिशाप
से कम नही है. इसे आप शुरू से दे रहे हैं और आप बता रहे हैं कि आप सभी रोगियों को
इसे देते हैं तो नुझे आप की सोच पर क्रोध आ रहा है.
यदि आप इस अर्क का प्रयोग नही करते तो
आपके सारे मिश्रण अच्छे से काम करते और आपका रोगी ऐसी हालत में नही आता.
आप इसे बंद करें और हिम्मत न हारें. फिर से
अपने मिश्रण देना शुरू करें.
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज
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सर्वाधिकार सुरक्षित
E-mail: pankajoudhia@gmail.com
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