कैंसर एलो के कारण या नही, दक्ष चिकित्सक बता सकते हैं सही
कैंसर एलो के कारण या नही, दक्ष चिकित्सक
बता सकते हैं सही
पंकज अवधिया
आप देर से जागे पर यह अच्छा हुआ कि आप
जागे तो सही. किसी भी चीज की अति बुरी होती है-यह अक्सर मैं कहता और लिखता रहता हूँ.
आप अमेरिका में रहने वाले भारतीय है और
आपकी आयु 55 वर्ष है. आपको कोलोरेक्टल कैंसर है और यह तेजी से बढ़ रहा है.
आपने कहीं पढ़ा है कि लगातार कई वर्षों तक
एलो का प्रयोग करने से यह कैंसर होता है.
आप पिछले बीस वर्षों से नियमित रूप से एलो का सेवन कर रहे हैं.
आप अपने साथ ढेरों शोध पत्र लेकर आये हैं
जिनमे बताया गया है कि एलो शरीर के लिए कितना अधिक नुकसानदायक है विशेषकर जब आप
इसे लम्बे समय तक लेते हैं.
आपने इंटरनेट पर मेरे द्वारा अपलोड किये
गये वीडियों को देखा जिनमे ब्नताया गया था कि एलो की अधिकता और विषाक्तता से
निपटने के लिए कैसे पारम्परिक चिकित्सक पारम्परिक औषधीय मिश्रणों का प्रयोग करते
हैं.
आपने एलो और कैंसर पर मेरे विचार जानने
और एलो की विषाक्तता को दूर करने वाले मिश्रणों के लिए मुझसे फीस देकर समय लिया
है. मैं आपकी मदद करूंगा.
मैंने आपने द्वारा दिए गये शोध पत्रों को
ध्यान से पढ़ा है. पहले ऐसे शोध पात्र गूगल सर्च में पहले पृष्ठ पर मिल जाया करते
थे पर अब एलो का बाजार इतना अधिक बढ़ गया है कि एलो की हानि बताने वाले शोधपत्र
ढूंढें नही मिलते हैं.
इन शोध पत्रों में लिखा है कि डायबीटीज,
उच्च रक्तचाप और हृदय रोगियों को एलो का प्रयोग नही करना चाहिए. वे डाक्टरों की
सलाह पर उनके मार्गदर्शन में इसे ले सकते हैं.
बच्चों और बुजुर्ग्नो को विशेष तौर पर
हिदायत दी गयी है कि वे एलो का प्रयोग न करे,
ये शोध पत्र यह भी बताते हैं कि एलो के
लम्बे समय तक प्रयोग और कोलोरेक्टल कैंसर में गहरा सम्बन्ध है.
मैं आपको बताना चाहता हूँ कि एलो के बारे
में ये बातें हमारे पारम्परिक चिकित्सक पीढीयों से जानते हैं. आज एलो को सब मर्जों
की दवा के रूप में बेचा जा रहा है और आम लोग आँखें बंदकर मनमानी मात्रा में बिना
चिकित्सकीय परामर्श से इसका उपयोग कर रहे हैं.
यदि एलो रामबाण होता तो हमारे प्राचीन
ग्रन्थों में इसका जरुर विस्तार से उल्लेख होता. इसे अन्य उपयोगी औषधि के समान
दर्जा दिया गया है.और साथ ही इससे होने वाले सम्भावित नुकसानों के बारे में भी
बताया गया है. बाजार नुकसान की बात को
छुपा जाता है.
एलो से
कोलोरेक्टल कैंसर होता है या नही यह तो मैं नही कह सकता पर अपने अनुभवों से
यह जानता हूँ कि पाचन तन्त्र के सभी प्रकार के कैंसरों में पारम्परिक चिकित्सक
इसके प्रयोग पर पाबंदी लगा देते हैं.
वैसे भी वे कहते हैं कि रेचक का प्रयोग
कम समय के लिए होना चाहिए. यह दवा है और कोई भी दवा जिन्दगी भर नही चलनी चाहिए.
रोग के आराम हो जाने पर दवा का प्रयोग रोक देना चाहिए.
हमारे देश में कब्ज के लिए लोग अधिकतर
एलो का प्रयोग करते हैं और एक बार शुरू करने के बाद फिर कभी बंद नही करते हैं. यह
उनके लिए घातक साबित होता है.
मेरी सलाह यही है कि अब आप किसी भी रूप में
एलो का प्रयोग बंद कर दें. कोदो और कुटकी पर आधारित औषधीय मिश्रण आप ले जाइए. यह
एलो के दुष्प्रभावों को एक सप्ताह के भीतर ही दूर करना शुरू कर देगा.
यह आपके कैंसर के लिए भी उपयोगी है.
पारम्परिक चिकित्सक इसका प्रयोग आजकल बहुत करते हैं क्योंकि एलो का प्रयोग करने
वाले और कोलोरेक्टल कैंसर के मरीज बड़ी संख्या में उनके पास आते हैं.
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज
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सर्वाधिकार सुरक्षित
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