कैंसर पेट का उस पर दालचीनी, हालत सुधरने की रफ्तार हो जाती धीमी
कैंसर पेट का उस पर दालचीनी, हालत सुधरने
की रफ्तार हो जाती धीमी
पंकज अवधिया
आप तो स्वयं ही चिकित्सक हैं , भले ही आप
अपने को सामान्य मनुष्य माने पर यह कडवा सत्य है कि हमारे देश में सभी चिकित्सक बन
गये हैं और न केवल अपना बल्कि दूसरों का भी इलाज कर रहे हैं. यही कारण है कि अब
हमारा देश बीमारों का देश बनता जा रहा है. पिछले साल बीस लाख लोग कैंसर के कारण
मारे गये. इनमे से न जाने कितने गलत दवाओं
के कारण मारे गये.
आप झारखंड से हैं और आपको पेट का कैंसर
है. यह आरम्भिक अवस्था में है पर कुछ सप्ताह पहले आई मेडीकल रिपोर्ट बताती है कि
यह तेजी से फ़ैल रहा है.
आपको वर्षों से मधुमेह है और आम मधुमेह
रोगी की तरह डाक्टर की दवा के अलावा दुनिया भर की दवाओं को आजमाना आप भी जारी रखें
हुए हैं.
किसी ने आपको सलाह दी कि दालचीनी मधुमेह
में लाभकारी है और आपने आँखें मूंदकर दालचीनी का प्रयोग आरम्भ कर दिया.
आपने यह जानने की कोशिश नही कि मसाले के
रूप में सदियों से उपयोग हो रही दालचीनी की कितनी मात्रा आपके लिए सही है. आपने
किसी आयुर्वेद चिकित्सक से इस बारे में राय नही ली.
आपने इस बात को भी जानने की कोशिश नही की
कि जिसने आपको इसके लाभ बताये हैं क्या उसकी हालत में सुधार आया है. क्या आपने
उसकी मेडीकल रिपोर्ट देखी? नही ना.
फिर भी आप दालचीनी की मात्रा अपनी मर्जी
से बढाते गये इसके बावजूद कि यह मसाला है न कि भोजन. और ये भी कि इसकी अधिक मात्रा
चूहे को कुछ पलों में मार देती है.
इससे कीट नियंत्रण भी होता है. आप एक तरह
से कीटनाशक का सेवन करते रहे. आपकी डायबीटीज की समस्या वैसी ही रही और आपको पेट के
कैंसर की नई समस्या पैदा हो गयी.
आप बहुत देर से जागे और अब आपने मुझसे
मिलने का समय लिया है ताकि मैं आपके शरीर में फैले दालचीनी के विष को वनस्पतियों
की सहयाता से समाप्त कर सकूं. मैं आपकी मदद के लिए तैयार हूँ.
दालचीनी की अधिकता और विषाक्तता के लिए
पारम्परिक चिकित्सा में बहुत सारे औषधीय मिश्रण हैं. इन औषधीय मिश्रणों को औषधीय
धान के साथ मिलाकर भोजन के साथ दिया जाता है.
ये कारगर हैं पर पहले कभी भी कोई दालचीनी
इतनी अधिक मात्रा में नही खाता था. अब
दालचीनी के दुष्प्रभावो से प्रभावित लोगों की संख्या तेजी से बढती जा रही है.
पिछले तीन महीनों में पांच सौ से अधिक
ऐसे रोगियों ने मुझसे सम्पर्क किया जो दालचीनी की अधिकता के कारण होने वाली
स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान थे. इनमे से बहुत से पेट के कैंसर से प्रभावित थे.
यह संख्या बढती जा रही है.
स्व-चिकित्सा की बढती प्रवृत्ति रोगियों
की एक नई भीड़ खडी कर रही है और लोग रोगों से नही बल्कि दवाओं के गलत प्रयोग से
मारे जा रहे हैं.
आप मेरे मित्र पारम्परिक चिकित्सक के पास
चले जाएँ. वे आपकी लिए औषधीय धान और दवा का प्रबंध कर देंगे.
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज
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सर्वाधिकार सुरक्षित
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