कैंसर में मोरिंगा के साथ करेला का प्रयोग, खतरे में पड़ता रोगी और बढ़ता महारोग

कैंसर में मोरिंगा के साथ करेला का प्रयोग, खतरे में पड़ता रोगी और बढ़ता महारोग
पंकज अवधिया  

आपने सही कहा कि कैंसर गुप्त शत्रु है और इसे कभी भी हल्के तौर पर नही लेना चाहिए.

आपको दस दाल पहले मुँह का कैंसर हुआ था जो आरम्भिक अवस्था में था. आधुनिक उपचार से वह समय रहते ठीक हो गया पर आपको नियमित जांच करवानी पडती है.

अब जब आपकी उम्र बढ़ रही है और आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट रही है तब आपको कैंसर के फिर सिर उठाने की चिंता सता रही है. आप स्वास्थवर्धक भोजन सामग्री लेते हैं, नियमित व्यायाम करते हैं और नियमित जीवन जीने का प्रयास करते हैं फिर भी आपके मन में डर बना हुआ है.

आपने इंटरनेट पर मेरे लेख पढ़ें जिनमे बताया गया था कि दवाओं की तरह ही भोजन सामग्रियां भी शरीर के अंदर प्रतिक्रिया करके शरीर को कमजोर बनाती हैं और उसे स्थायी तौर पर नुक्सान पहुंचाती है.  आपने इस विषय में विस्तार से चर्चा करने के लिए मुझसे समय लिया है. मैं आपकी मदद करूंगा.

आपने विस्तार से बताया है कि आप क्या-क्या खाते रहे, क्या-क्या खा रहे हैं और भविष्य में क्या-क्या खाने की योजना है. मैं चर्चा का आरम्भ आपके द्वारा ली जा रही हर्बल चाय और इसकी भोजन से होने वाली प्रतिक्रिया से करना चाहूंगा.

आपने बताया कि आप लम्बे समय से मोरिंगा टी (Moringa Tea) ले रहे हैं. इसे आप दिन में दो बार लेते हैं. आप डायबीटीज के लिए लम्बे समय से रोज सुबह करेले का रस पीते हैं और उसके बाद मोरिंगा टी लेते हैं.

मैं आपको बताना चाहता हूँ कि मोरिंगा यानी मुनगा या सहिंजन (Drum Stick) को कभी भी करेले के साथ नही लिया जाता है. मोरिंगा और करेले को साथ-साथ कभी पकाया भी नही जाता है.

हमारे प्राचीन ग्रन्थ कहते हैं कि यह विष के समान है और वे ८६ प्रकार के रोगों की चर्चा करते हैं जिनकी उत्पत्ति का एक कारण मोरिंगा और करेले का एक साथ प्रयोग हैं.

मोरिंगा और करेला अपने आप में औषधीय गुणों की खान है पर ये आपस में  प्रतिक्रिया करके शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक साबित होते हैं. कैंसर रोगियों के लिए यह किसी अभिशाप से कम नही है.

आपने बताया कि आपको ख़ूनी बवासिर (Bleeding Piles) की समस्या है जिसके लिए आप कडवी तोरई का रस पीते हैं. शाम को इस रस को लेने के बाद आप मोरिंगा टी पीते हैं. यह भी बहुत नुकसानदायक है.

मोरिंगा की बहुत सी पारम्परिक और आधुनिक दवाओं के साथ नकारात्मक प्रतिक्रिया होती है. इस पर मैंने एक शोध  आलेख भी लिखा है जिसे आप इस लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं.

मैं आपको उन जड़ी-बूटियों के नाम देता हूँ जिन्हें आप अपनी मोरिंगा टी में मिलाकार उसके दोषों को दूर कर सकते हैं. साथ में आपके डाईट चार्ट को फिर से ठीक से व्यवस्थित कर देता हूँ ताकि आपस में नकारात्मक प्रतिक्रियाएं करने वाली सामग्रियां आप एक साथ न ले सकें.

चलिए अब आपके द्वारा लिए जा रहे मुख्य आहार के दोषों और उनके समाधान के विषय में चर्चा शुरू करते हैं.
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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 
सर्वाधिकार सुरक्षित

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