Consultation in Corona Period-206
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"पूरे शरीर में खुजली की समस्या 10 साल पहले शुरू हुई। शुरू में मैंने घरेलू औषधियों का सहारा लिया पर जब किसी भी तरह से यह खुजली ठीक नहीं हुई तो मैंने आधुनिक दवाओं का सहारा लिया। मुझे तरह-तरह की दवायें दी गई और बहुत सारे परीक्षण किए गए। जब इन दवाओं ने भी असर नहीं किया तो मुझे सलाह दी गई कि मैं किसी एलर्जी विशेषज्ञ से मिलूँ ताकि यह पता चल सके कि यह खुजली किस चीज की एलर्जी के कारण हो रही है? मैं अब तक 20 से अधिक एलर्जी विशेषज्ञ से मिल चुका हूं। उन्होंने लंबे समय तक मेरा परीक्षण किया पर वे किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके इसलिए उन्होंने सलाह दी कि मैं दवा का प्रयोग लगातार जारी रखूं।
एलर्जी से बचने के लिए मैंने बहुत तरह के उपाय किए। पूरे समय घर में रहना शुरू किया। घर में एयर प्यूरीफायर लगाया। बाहर की यात्रा बंद कर दी। बाहर का खाना पीना तो पूरी तरह से बंद कर दिया। किसी भी नए तरह के खाने को देख कर मुझे डर लगता था कि कहीं इससे एलर्जी की समस्या फिर से न बढ़ जाए। मेरे ऐसे कष्ट भरे जीवन को देखकर मेरे मित्र ने कहा कि मुझे आयुर्वेदिक दवाओं का सहारा लेना चाहिए और उन्होंने हिमाचल प्रदेश के एक वैद्य का पता दिया जो कि इस तरह की एलर्जी की चिकित्सा में माहिर थे। उन वैद्य महोदय ने मेरी पूरी तरह से जांच की और फिर एक फार्मूला दिया और कहा कि इसका लगातार प्रयोग करना है। इसका प्रयोग जब तक किया जाएगा तब तक मुझे एलर्जी की कोई भी समस्या नहीं होगी।
उनके फार्मूले की एक खुराक खाते ही मेरे शरीर की खुजली पूरी तरह से ठीक हो गई। मैंने आधुनिक दवा का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दिया और पूरे 5 साल तक इस समस्या से मुक्त रहा। कुछ साल पहले मुझे डायबिटीज की समस्या हुई। इसके लिए मैंने वैद्य जी से ही दवा ली पर डायबिटीज नियंत्रण में नहीं आई तब मैंने आधुनिक दवा का सहारा लिया जिससे मेरी डायबिटीज नियंत्रण में आ गई। उसके बाद फिर ब्लड प्रेशर की समस्या हुई तो मैंने फिर से वैद्य जी से दवा ली और एक बार फिर जब उनकी दवा असफल रही तब मैंने आधुनिक दवा का सहारा लिया। अचानक ही कुछ दिनों बाद फिर से पुरानी खुजली उभर आई और वह पुराने दिनों की याद दिलाने लगी। मैं वैद्य जी का फार्मूला अभी भी ले रहा था पर उससे किसी तरह का लाभ नहीं हो रहा था। खुजली ने जीना हराम कर दिया और मैं इसके समाधान के लिए दर-दर भटकता रहा।
मैं कोलकाता के एक बड़े होम्योपैथिक डॉक्टर से भी मिला। उन्होंने मुझे एक साथ 10 तरह की दवाओं को मिला कर दिया फिर भी मेरी समस्या जस की तस रही। मेडिसिनल राइस पर मैंने आपके शोध के बारे में पढ़ा और जब एक फिल्म देखी जिसमें बताया गया था कि मेडिसनल राइस के प्रयोग से तरह-तरह की एलर्जी को दूर किया जा सकता है तो मैंने आपसे मिलने की योजना बनाई। मुझे उम्मीद है आप मेरी समस्या की जड़ को पकड़ पाएंगे और इसका पूरी तरह से समाधान कर पाएंगे।" दक्षिण भारत के एक सज्जन ने जब मुझसे परामर्श के लिए समय लिया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।
मैंने उनके द्वारा प्रयोग की जा रही खानपान की सामग्रियों के बारे में विस्तार से जानकारी ली और फिर यह भी जाना कि वे किन तरह की दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं। मैंने उन्हें रायपुर आमंत्रित किया ताकि मैं उनके पैरों के तलवों में जड़ी बूटियों का लेप लगाकर एलर्जी के सही कारण का पता लगा सकूं। वे इस बात के लिए तैयार हो गए और जब मैंने परीक्षण किया तो मुझे कई तरह की प्रतिक्रिया मिली। इस समस्या का समाधान नजर आ रहा था। मैंने उनसे कहा कि क्या यह संभव है कि आपके डायबिटीज वाले चिकित्सक से मेरी बात हो सके। उन्होंने जब अपने चिकित्सक से बात की तो चिकित्सक मुझसे बात करने के लिए तैयार हो गए। मैंने उन्हें बताया कि आपके मरीज को जो एलर्जी की समस्या है उसका मूल कारण ड्रग इंटरेक्शन है और आप जो डायबिटीज की दवा इनको दे रहे हैं उस दवा की वैद्य जी द्वारा दी जा रही दवा से नकारात्मक प्रतिक्रिया हो रही है जिसके कारण इनको खुजली की समस्या फिर से शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि वे पहले मेटफॉर्मिन नामक दवा का उपयोग कर रहे थे जब इससे डायबिटीज कंट्रोल नहीं हुई तो उन्होंने एक और दवा का प्रयोग किया जिसमें मेटफॉर्मिन के साथ glimepiride का उपयोग किया गया था।
उन्होंने पूछा कि डायबिटीज की मेरी दवा के साथ वैद्य जी की कौन सी दवा नकारात्मक प्रतिक्रिया कर रही है? मैंने उनसे कहा कि वैद्य जी अपने फार्मूले में मुख्य घटक के रूप में अम्लवेतस का प्रयोग करते हैं। इसी वनस्पति की प्रतिक्रिया आपकी दवा के साथ हो रही है जिसके कारण उनको खुजली की विकट समस्या हो रही है। मैंने उनको अपना एक शोध पत्र भी भेजा जिसमें कि उनके द्वारा दी जा रही डायबिटीज की दवा के साथ हजार से भी अधिक प्रकार की वनस्पतियों की प्रतिक्रिया के बारे में जानकारी दी हुई थी। इनमें लक्षणों का भी जिक्र किया गया था। साथ में समाधान का भी। यह शोध पत्र बहुत बड़ा था इसीलिए चिकित्सक ने कुछ दिनों का समय लगाया इसे पूरी तरह से पढ़ने के लिए।
उसके बाद जब उनसे बात हुई तो उन्होंने कहा कि इसमें तो गार्सीनिया का उपयोग मेरी दवा के साथ किया जा सकता है ऐसा लिखा हुआ है और जब मैंने इंटरनेट पर सर्च किया तो गार्सीनिया का नाम ही मुझे अम्लवेतस दिखा। फिर आप कैसे कह रहे हैं कि हम दोनों की दवाओं में विपरीत प्रतिक्रिया हो रही है?
मैंने उन्हें विस्तार से समझाया कि अम्लवेतस के नाम पर 20 वनस्पतियों को पुकारा जाता है भारत और उसके आसपास के देशों में। आपका कहना सही है कि गार्सीनिया को भी अम्लवेतस कहा जाता है पर इसके अलावा सोलेना और Rumex को भी अम्लवेतस के नाम पर पुकारा जाता है। वैद्य जी के फार्मूले में गार्सीनिया नहीं है बल्कि Rumex है जिसकी आपकी दवा से विपरीत प्रतिक्रिया हो रही है।
उन्होंने मेरे शोध पत्र को एक बार फिर से पढ़ा और बताया कि हां, इसमें तो लिखा है कि इसकी बहुत विपरीत प्रतिक्रिया होती है आधुनिक डायबिटीज की दवा के साथ। उन्होंने धन्यवाद दिया और कहा कि मैं शोध पत्र का लगातार अध्ययन करता रहूंगा ताकि भविष्य में जब भी दवा का प्रयोग करूं तो पने रोगियों को बता सकूं कि वे किस तरह की वनस्पति का प्रयोग न करें। उन्होंने सज्जन की दवा बदल दी।
मैंने उन सज्जन से कहा कि आप एक महीने बाद मुझसे संपर्क करें। मुझे उम्मीद है 24 घंटों के अंदर ही आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा। यदि आपकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो फिर मेडिसिनल राइस पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
3 दिनों के बाद उन्होंने फिर से परामर्श के लिए समय मांगा और बताया कि अब उनकी समस्या का समाधान हो गया है। उन्होंने एक बार अपने वैद्य जी से भी बात करवाई। मैंने उन्हें बताया कि आप जब भी इस फार्मूले का उपयोग करें तो अपने मरीजों को बताएं कि डायबिटीज की इस आधुनिक दवा के साथ मेरे नुस्खे का प्रयोग न करें। इससे आपको इस तरह के नुकसान हो सकते हैं।
इस तरह आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सकों के बीच सेतु का काम करने में मुझे अपार प्रसन्नता की अनुभूति होती है। भविष्य में भी सेतु बनने का कार्य करता रहूंगा।
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