Consultation in Corona Period-201
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"मेरे कोलोरेक्टल कैंसर के लिए जब सब दरवाजे बंद हो गए और कोई भी चिकित्सक दवा देने को तैयार नहीं हुआ तब मैंने निश्चय किया कि इस अवस्था में भी मैं हार नहीं मानूंगा और अपने प्रयास जारी रखूंगा। मैंने विदर्भ के उन वैद्य की दवा जारी रखी जो कि मुझे पिछले 15 सालों से दवा दे रहे थे जब मुझे सबसे पहले इस कैंसर के बारे में पता चला था। मेरी जीवनी शक्ति इतनी कम हो गई कि कीमोथेरेपी के विशेषज्ञों ने भी कह दिया कि पहले आप अपने शरीर को मजबूत करें जो कि कैंसर की इस अवस्था में संभव नहीं लगता है, उसके बाद ही वे अपनी चिकित्सा शुरू करेंगे।
कैंसर की अवस्था यानि स्टेजेस गिन-गिन कर अब मैं पूरी तरह से ऊब चुका हूं। कुछ महीनों पहले मैंने बस्तर के एक पारंपरिक चिकित्सक से मुलाकात की तो उन्होंने भी बताया कि कैंसर शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल चुका है और अब इसकी चिकित्सा बहुत कठिन है। उन्होंने एक बहुत विशेष बात बताई और कहा कि आपके शरीर में कैल्शियम की कमी है। यदि आपको इसकी पुष्टि करनी है तो आप आधुनिक लेबोरेटरी से जांच करा सकते हैं। उनकी बात मान कर जब मैंने अपना परीक्षण कराया तो उनकी बात सही निकली और मुझे कैल्शियम की बहुत कमी थी।
मैंने अपने डॉक्टर मित्र से बात की तो उन्होंने कहा कि कैल्शियम की यदि कमी है तो उसे फंक्शनल फूड्स की सहायता से और दूसरे उपायों से दूर किया जा सकता है। हो सकता है कि इससे कैंसर का किसी तरह से संबंध हो और एक बार शरीर में कैल्शियम की आपूर्ति हो जाने के बाद हो सकता है कि यह कैंसर धीरे-धीरे ठीक होने लगे। यह उनका अनुमान बस था।
उनके बताए अनुसार मैंने कैल्शियम का प्रयोग करना शुरू किया। कई तरह के सप्लीमेंट लिए। खाने में भी कैल्शियम की मात्रा बढ़ाई पर इसका कैंसर पर किसी भी तरह का कोई असर नहीं पड़ा। हां, एक खराब असर जरूर पड़ा। पहले मुझे इस कैंसर का ज्यादा एहसास नहीं होता था पर कैलशियम सप्लीमेंट लेने के बाद मुझे थोड़ी सी भी तकलीफ होने का एहसास होने लगा जिससे मेरी परेशानी और बढ़ गई। अपने परिवार जनों के कहने पर मैंने अमेरिका की यात्रा की और वहां के कैंसर विशेषज्ञों को जब यह बताया कि मेरे शरीर में कैल्शियम की कमी हो गई है तो उन्होंने इस पर किसी भी तरह का आश्चर्य व्यक्त नहीं किया।
उन्होंने कहा कि कई प्रकार के कैंसर जिनमें कि कोलोरेक्टल कैंसर भी शामिल है, में शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है। यह अनसुलझा वैज्ञानिक रहस्य है। उन्होंने यह भी कहा कि इस कैल्शियम की कमी के लिए जो भी प्रयास किए जाएं अर्थात सप्लीमेंट और फंक्शनल फूड्स का प्रयोग किया जाए तब भी इसका कैंसर पर सीधा असर नहीं पड़ता है। उनकी बात सुनकर मैं बड़ा निराश हुआ।
मुझे लगा था कि शायद कैल्शियम की मदद से मेरी समस्या का पूरी तरह से समाधान हो सकता है। मैंने इंटरनेट आर्काइव पर आपकी ढेर सारी किताबें पढ़ी और फिर उसके बाद निश्चय किया कि मैं एक बार आपसे भी मिलूंगा। हो सकता है कि कैंसर की अंतिम अवस्था में आप मेरी किसी तरह से मदद कर पाए।" पश्चिमी भारत से आए एक सज्जन ने जब मुझसे परामर्श के लिए समय लिया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।
मैंने उनसे अनुरोध किया कि यदि संभव हो तो आप रायपुर आ जाएं ताकि मैं जड़ी बूटियों का लेप पैरों के तलवों में लगाकर आपका परीक्षण कर सकूं और आपकी जीवनी शक्ति के बारे में जान सकूं। इस परीक्षण से यह भी पता चलेगा कि आपके शरीर के विभिन्न स्रोत कितने खुले हुए हैं और किस तरह के फंक्शनल फूड आपकी सहायता कर सकते हैं। इस बात के लिए तैयार हो गए और जल्दी ही वे मेरे सामने बैठे हुए थे।
जब मैंने परीक्षण किया तो मुझे उनके शरीर की हालत ठीक नहीं लगी। परीक्षण का असर उनके गले में हो रहा था जिससे कि बार-बार परीक्षण को रोक देना पड़ रहा था। यह एक विशेष तरह की समस्या की ओर इशारा था जिसे समझकर मैंने अपने डेटाबेस का अध्ययन किया तो मुझे स्थिति साफ होने लगी। वे उस समय केवल एक ही वैद्य से दवा ले रहे थे इसलिए ज्यादा ड्रग इंस्ट्रक्शन की संभावना नहीं थी।
मैंने उनसे कहा कि क्या यह संभव है कि उन वैद्य जी का फार्मूला मुझे मिल सके ताकि मैं उसका अध्ययन कर बता सकूं कि इस फार्मूले से आपको किसी तरह की समस्या तो नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि इस फार्मूले की चिंता करने की जरूरत इसलिए नहीं है क्योंकि वे इसे 15 सालों से ले रहे हैं बिना किसी अंतराल के और इससे उन्हें लाभ ही होता है। किसी प्रकार की हानि नहीं होती है। उन्होंने उस फार्मूले के बारे में पूरी जानकारी मुझे दे दी।
जब मैंने अपने डेटाबेस का फिर से अध्ययन किया तो मुझे उस फार्मूले में ही दोष नजर आया। उस फार्मूले में भ्रमरमार नामक वनस्पति को द्वितीयक घटक के रूप में डाला गया था जबकि गुंजा नामक नामक बूटी को चतुर्थक घटक के रूप में डाला गया था और सप्तम घटक के रूप में केऊ कंद का उपयोग किया गया था। इन तीनों बूटियों को इस तरह प्रयोग करने से फार्मूले में किसी प्रकार का दोष नहीं दिखता है और बहुत से पारंपरिक चिकित्सक और वैद्य इस तरह के फार्मूले का उपयोग करते हैं पर वे इस बात का ध्यान रखते हैं कि इस फार्मूले के प्रयोग के बाद शरीर में कैल्शियम की किसी भी तरह से कोई कमी न हो। इसके लिए वे इसके साथ में राम पत्थर नामक एक पत्थर के उपयोग की बात कहते हैं। इससे शरीर में कैल्शियम की समुचित मात्रा बनी हुई रहती है। दरअसल जब किसी फार्मूले में इन बूटियों को ऐसे क्रम में डाला जाता है तो ये बूटियां शरीर में कैल्शियम की बहुत कमी कर देती है और देश के पारंपरिक चिकित्सकों का मानना है कि इस फार्मूले का लंबे समय तक प्रयोग करने से न केवल कोलोरेक्टल बल्कि दूसरे प्रकार के कैंसर को फैलने में मदद मिलती है। इसका साफ मतलब यही था कि जो फार्मूला वे लंबे समय से वैद्य से ले रहे थे अपने कैंसर की चिकित्सा के लिए दरअसल उसी फार्मूले के कारण कैंसर का तेजी से फैलाव हो रहा था क्योंकि उसके प्रयोग से कैल्शियम की तेजी से कमी हो रही थी और किसी भी तरह से उसकी आपूर्ति नहीं हो रही थी।
संभवत: विदर्भ के वैद्य को भी इस बारे में जानकारी नहीं होगी क्योंकि यह एक गूढ़ पारंपरिक वैज्ञानिक रहस्य है जिसे कि बहुत अनुभवी पारंपरिक चिकित्सक ही जानते हैं। मैंने भी यह जानकारी उन्हीं से एकत्र की थी और अपने जीवन में कई बार ऐसे मामलों को देखा था जिसमें इस तरह के फॉर्मूलेशंस ने मौत के मुंह से बचाने की बजाय मौत के मुंह में धकेल दिया था।
मैंने उन सज्जन से कहा कि आप अपने डॉक्टर मित्र से मेरी बात कराएं जिन्हें मैं तकनीकी भाषा में पूरी जानकारी दे सकता हूं। वे आपकी मदद कर पाएंगे। जब उनके डॉक्टर मित्र को मैंने पूरी तकनीकी जानकारी दी तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने कहा कि यह तो एक महत्वपूर्ण जानकारी है जिसके बारे में आधुनिक विज्ञान को भी जानकारी होनी चाहिए।
उन्होंने सरल शब्दों में अपने मित्र को इस बारे में बताया तो वे भी बहुत दुखी हो गए क्योंकि उन्होंने जिस फार्मूले को वरदान समझा था वही फॉर्मूला उनके लिए अभिशाप सिद्ध हुआ।
मैंने उन्हें सलाह दी कि आप तुरंत ही इस फार्मूले का उपयोग रोक दें। मेरे डेटाबेस में ऐसे बहुत सारे फॉर्मूलेशंस के बारे में जानकारी है जिनका प्रयोग इस फार्मूलेशन के दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है। जिन पारंपरिक चिकित्सक ने आपको बताया था कि आपके शरीर में कैल्शियम की कमी है आप उनके पास फिर से जाएं। मैं उन्हें एक पत्र लिख देता हूं और उसमें इस फार्मूले की जानकारी देता हूं। उनके मार्गदर्शन में ही आप दोष दूर करने वाले फार्मूले का प्रयोग करें। मुझे उम्मीद है कि देर-सबेर आपकी तबीयत में सुधार होगा और हो सकता है कि आप इस कालचक्र से बाहर निकल जाए।
उन्होंने धन्यवाद दिया। मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी।
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