Consultation in Corona Period-185

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"ब्रैडीकार्डिया, हार्ट ब्लॉक जैसे शब्द मुझे अपनी रिपोर्ट में दिखाई दे रहे हैं। इस बातचीत के बाद में आपको पूरी रिपोर्ट भेज दूंगा जिससे आपको पता चल जाएगा कि डॉक्टरों ने मेरी बीमारी के बारे में क्या बताया है। साधारण शब्दों में कहें तो मुझे थोड़ा सा भी परिश्रम करने पर बहुत ज्यादा थकान हो जाती है। मैं कुछ कदम ही चल पाता हूं और फिर गश खाकर गिर जाता हूं। मेरे हृदय की गति बहुत कम हो गई है। ऐसा पिछले 1 साल से हो रहा है। डॉक्टर कहते हैं कि यह अनुवांशिक समस्या है और उम्र के कारण ऐसा हो रहा है। 

मेरी उम्र 50 वर्ष है पर मेरी उम्र के बहुत सारे मेरे मित्र पूरी तरह से तंदुरुस्त है जबकि मैं उनसे अधिक अपने स्वास्थ का ध्यान रखता हूं। बाहर खाना पीना बिल्कुल भी नहीं करता हूं और किसी भी प्रकार का तनाव नहीं रखता हूं। सुबह शाम वाकिंग करता रहा हूं और कभी भी अपने शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ने का अवसर नहीं दिया है फिर भी मुझे यह तकलीफ हो रही है। 

जब डॉक्टरों ने परीक्षण किया और मुझे बताया कि मुझे ब्रैडीकार्डिया की समस्या है तो मैंने उनसे कहा कि क्या यह दवाओं से ठीक हो सकती है तो उन्होंने कहा कि दवाओं से लाभ हो सकता है पर दवाओं को आजीवन लेना होगा ताकि इस तरह की समस्या बार-बार न हो। उन्होंने जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता तब तक आराम से रहने को कहा है। अब दिन भर घर में पड़े रहने से एक तो बोरियत होती है दूसरी किसी भी तरह से कोई मेहनत नहीं होने के कारण मेरा मोटापा बढ़ रहा है। अब मुझे आगे का जीवन बहुत ही अंधकारमय लगता है। मैंने सभी पैथी की दवाओं को आजमाया पर हृदय के लिए किसी भी प्रकार की दवा लेने के बाद मुझे डिप्रेशन की समस्या हो जाती है और कई प्रकार की एलर्जी हो जाती है इसलिए मैंने निश्चय किया कि डॉक्टरों के बताए लाइफस्टाइल के अनुसार मैं जिऊंगा पर किसी भी तरह की दवाओं का सेवन नहीं करूंगा। 

मेरे बच्चे मेरे पीछे पड़े हैं कि मैं दवाओं का सेवन करूं। भले ही मुझे इसमें थोड़ी तकलीफ उठानी पड़े पर मैं अपने बच्चों की बात नहीं मानता हूं और किसी भी प्रकार की दवा नहीं ले रहा हूं। मैंने इंटरनेट पर आपके बारे में बहुत कुछ पढ़ा है और पिछले 20 सालों से पढ़ता रहा हूं। मुझे लगा कि एक बार आपसे मिलकर परामर्श लेना चाहिए। हो सकता है आप पारंपरिक चिकित्सा पर आधारित ऐसे नुस्खों के बारे में बताएं जिनका प्रयोग आसान हो, साइड इफेक्ट से पूरी तरह मुक्त हो और मेरी समस्या का पूरी तरह से समाधान कर दें। आप अगर चाहे तो मैं जड़ी बूटियों का परीक्षण करवाने के लिए रायपुर भी आ सकता हूं।" मध्य भारत से एक सज्जन ने जब इस तरह का फोन किया तो मैंने उनकी रिपोर्ट देखने के बाद उनसे कहा कि बेहतर तो यही होगा कि आप रायपुर आ जायें ताकि मैं आपके पैरों के तलवों में जड़ी बूटियों का लेप लगाकर यह जान सकूं कि आपकी समस्या का मूल कारण क्या है? 

थोड़ी देर बाद उनके बच्चों का फोन आया कि उनके पिताजी की हालत ऐसी नहीं है कि वे यहां तक सफर कर सके फिर भी वे कोशिश करेंगे कि जितना आराम से हो सके वे उन्हें यहां ला सके। 

नियत समय पर वे सज्जन अपने बच्चों के साथ मुझसे मिलने आ गए। उनकी हालत सचमुच बड़ी खराब थी। घर की दो सीढ़ी चढ़ते ही उनकी हालत बहुत ज्यादा बिगड़ने लगी। फिर वे सीढ़ियों पर ही बैठ कर आराम करने लगे। मैंने कहा कि आप वहीं बैठे रहे मैं ही वहीं जड़ी बूटियों का लेप लेकर आता हूं और वही उनका परीक्षण हो जाएगा। उन्हें मेरे पास आने की जरूरत नहीं है।

जब मैंने जड़ी बूटियों का परीक्षण किया तो मुझे उनकी समस्या का कारण समझ में आने लगा पर पहले इस बात की पुष्टि उनसे करनी जरूरी थी।

 मैंने उनसे कहा कि आप को हाल ही में या कुछ महीनों पहले किसी प्रकार के जहरीले कीट ने काटा है क्या? उन्होंने कहा कि ऐसी तो कोई घटना मेरे साथ नहीं हुई है फिर उन्होंने अचानक ही मुझसे पूछा कि क्या आप मधुमक्खी को कीट में शामिल करते हैं तो मैंने कहा कि हां, मधुमक्खी तो कीट ही है।

 उन्होंने बताया कि वे 1 साल पहले पास के एक जलप्रपात में गए थे अपने परिवार के साथ। वहां अर्जुन के बहुत सारे वृक्ष लगे हुए थे। उन वृक्षों में मधुमक्खियों का छत्ता लगा हुआ था। किसी ने शरारत से उसमें पत्थर मार दिया जिससे आसपास जितने भी टूरिस्ट थे उन सभी पर गुस्से में मधुमक्खियों ने आक्रमण कर दिया और उनकी हालत बहुत बुरी कर दी। मधुमक्खियों के हमले के शिकार यह सज्जन भी हुए थे और जैसे तैसे उन्होंने पानी में छलांग लगा कर अपनी जान बचाई थी। 

मैंने उनसे पूछा कि मधुमक्खियों के काटने के बाद आपने क्या किसी आधुनिक चिकित्सक से चिकित्सा करवाई थी तो उन्होंने कहा कि प्राथमिक उपचार तो आधुनिक चिकित्सक के मार्गदर्शन में ही हुआ पर उसके बाद उन्होंने घरेलू औषधियों का लाभ लिया और इससे उनका दर्द और सूजन पूरी तरह से ठीक हो गए। जब वे इस घटना के बारे में बता रहे थे तो उनके बच्चों ने पूरी घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग भी मुझे दिखाई। जब मैंने मक्खियों को देखा तो मुझे एहसास हुआ कि ये जंगली मक्खियां थी जो कि साधारण मधुमक्खियों से बहुत अधिक खतरनाक होती है और उनके विष का प्रभाव काफी समय तक शरीर में रह जाता है।

 मैंने उन्हें खुलासा किया है कि आपकी हृदय की समस्या का एक कारण मधुमक्खियों का विष भी हो सकता है जो आपके शरीर में किसी तरह से रह गया है। मैंने उन्हें सलाह दी कि आप अपने चिकित्सक को इस घटना की पूरी जानकारी दें और मेरे द्वारा दी गई जानकारी भी उन्हें प्रदान करें।

 आधुनिक चिकित्सा में बहुत सारी ऐसी दवाएं हैं जिनका प्रयोग करने से धीरे-धीरे मधुमक्खियों के विष का प्रभाव कम हो जाता है। एक बार इस विष का प्रभाव कम हो गया तो मुझे पूरा विश्वास है कि आपकी हृदय की समस्या पूरी तरह से ठीक हो जाएगी। इसका आपकी उम्र या जेनेटिक से किसी भी प्रकार का लेना देना नहीं है।

 उन्होंने कहा कि मैं आपकी बात पर विश्वास करता हूं पर ऐसा मैंने अपने जीवन में कभी न देखा न सुना। कितने लोगों पर मधुमक्खियों ने आक्रमण किया पर कभी किसी ने यह नहीं बताया कि इससे उन्हें हृदय की समस्या हुई।

 मैंने उनसे कहा कि भले ही यह जानकारी आपके लिए नई हो पर जंगल में भ्रमण के दौरान अक्सर मधुमक्खियों से सामना हो जाता है और जो शहद का एकत्रण करते हैं वे इस बात को बड़े अच्छे से जानते हैं

 इसलिए वे मधुमक्खियों के आक्रमण होने के बाद अपनी चिकित्सा में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरतते हैं।

धन्यवाद कहकर वे सज्जन वापस लौट गए और अपने चिकित्सक से मिले। चिकित्सक ने जब समस्या का मूल कारण जाना तो उन्होंने चिकित्सा शुरू की जो कि 6 महीनों तक चलती रही। इस चिकित्सा से उन्हें कुछ तो फायदा हुआ पर पूरी तरह से उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ।

 जब उन्होंने अपने चिकित्सक से बात करवाई तो चिकित्सक ने कहा कि उनकी दवाओं की सीमा यही तक है। इससे अधिक लाभ दवाओं से नहीं हो सकता है। आपका कहना सही है कि मधुमक्खी का विष अभी तक इनके शरीर में किसी रूप में उपस्थित है। जब तक वह विष पूरी तरह से नहीं निकलेगा तब तक हृदय की गति सामान्य होना संभव नहीं है। 

चिकित्सक की बात सुनकर मैंने उन सज्जन को फिर से रायपुर बुलवा लिया और कहा कि यहां छत्तीसगढ़ की पारंपरिक चिकित्सा में वानर बूटी का प्रयोग इस समस्या के लिए किया जाता है। अभी वानर बूटी के उगने का समय नहीं है अन्यथा इसका प्रयोग यदि आप दवा के रूप में नहीं बल्कि सब्जी के रूप में भी करते तो आपकी समस्या का जल्दी ही समाधान हो जाता। अभी मेरे पास इसके सुखाए हुए बीज है जिन्हें चूर्ण के रूप में आप ले सकते हैं विशेष तरह के मेडिसिनल राइस के साथ।

 मैं आपके लिए इनकी व्यवस्था कर देता हूं और इनके प्रयोग की पूरी विधि समझा देता हूं। उन्होंने पूछा कि वानर बूटी को कितनी मात्रा में लेना होगा?

 मैंने उन्हें बताया कि आपको दिन में मात्र दो चुटकी बूटी का चूर्ण लेना होगा वह भी मेडिसनल राइस के पानी के साथ। सारी दवाईयाँ लेकर वे वापस लौट गए।

 2 महीने के बाद उनके चिकित्सक का फोन आया कि अब उनके मरीज की हालत पूरी तरह से ठीक है। हृदय सामान्य गति से काम कर रहा है और उन्होंने सुबह घूमना फिर से शुरू कर दिया है।

 चिकित्सक मुझसे जानना चाह रहे थे कि वानर बूटी का वैज्ञानिक नाम क्या है? मैंने इसके बारे में उन्हें पूरी जानकारी दी और साथ ही अपने शोध आलेखों को भी भेजा।

उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया। मैंने उन्हें और उनके माध्यम से उन सज्जन को शुभकामनाएं दी।


 सर्वाधिकार सुरक्षित


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