Consultation in Corona Period-203

Consultation in Corona Period-203 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया "अपनी बिटिया की Autism की समस्या के लिए मैंने आपसे संपर्क किया है। उसे सबसे पहले जब चिकित्सकों ने बताया है कि Autism है तब उसकी उम्र मात्र 2 वर्ष थी। इसके बाद से ही उसे सामान्य बच्चों से अलग कर दिया गया और विशेष स्कूलों में भेजा गया। हम तब से लगातार प्रयास कर रहे हैं कि उसकी हालत में सुधार हो और कैसे भी वह सामान्य बच्चों की तरह हो जाए। स्पेशल स्कूल तो स्पेशल स्कूल ही होते हैं। वे बच्चों को सामान्य ढंग से नहीं ट्रीट करते हैं। इससे उनके मन में एक अजीब सी भावना का वास होने लग जाता है और बच्चे अपने आप में ही घुटते जाते हैं। मैं बिटिया को लेकर विदेश भी गया और दुनिया भर के चिकित्सकों से अनुरोध किया कि कैसे भी मेरी बेटी को सामान्य बच्चों की तरह कर दें और उसके लिए जितनी भी फीस लगेगी मैं देने को तैयार हूं पर सभी ने कहा कि यह अनुवांशिक रोग है और स्पेशल स्कूल ही इन बच्चों के लिए एक सशक्त समाधान है। चिकित्सकों के कहने पर मैंने दो बार दिमाग की स्कैनिंग भी कराई। पर उसमें किसी भी प्रकार का ऐसा दोष नहीं दिखाई दिया जिसे कि सुधारा जा सके। बाद में चिकित्सकों ने बताया कि इतने छोटे बच्चों के दिमाग की स्कैनिंग नहीं की जाती है और उनके Autism का डायग्नोसिस बिल्कुल सही है। मैंने तंत्र-मंत्र का भी सहारा लिया और ज्योतिषियों का भी। मैंने दूर-दूर की यात्रा की और अलग-अलग भगवान की शरण में गया पर भगवान को शायद इसे ठीक करना मंजूर नहीं था। मैंने तिब्बती से लेकर आधुनिक सभी दवाओं का प्रयोग किया पर सभी चिकित्सकों ने दवा देने से पहले कह दिया कि उनकी बिटिया की स्थिति में सुधार होने की बिल्कुल भी संभावना नहीं है। यह जैसी है वैसी ही इसे स्वीकार कर इसकी देखभाल करने की जरूरत है। इसे प्यार की जरूरत है जोकि आप माता पिता ही दे सकते हैं। मैंने जब इंटरनेट पर आपका एक लेख पढ़ा जो कि फेसबुक पर लिखा गया था तब मेरी उम्मीद जागी कि हो सकता है कि हमारे देश की पारंपरिक चिकित्सा में Autism के लिए किसी प्रकार की चिकित्सा की व्यवस्था हो। ऐसे मेडिसिनल राइस हो या फंक्शनल फूड हो जो कि Autism से प्रभावित बच्चों को ठीक कर सके इसलिए मैंने आपसे संपर्क किया है। मुझे इस बात का एहसास है कि इतने बड़े बच्चे के ऊपर अब दवाओं का असर होना संभव नहीं है फिर भी मैं किसी भी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता हूं। हो सकता है कि कहीं कोई उपाय मिल जाए और मेरी बिटिया सामान्य बच्चों की तरह हो जाए। मैं आपको बहुत पहले से जानता हूं। मैं हर्बल उत्पाद के व्यवसाय से जुड़ा हुआ हूं और मैंने असंख्य बच्चों को हर्बल उत्पाद देकर उनकी जान बचाई है फिर भी भगवान मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहा है यह समझ से परे है।" उत्तर भारत से एक सज्जन ने जब मुझसे संपर्क किया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। मैंने उन्हें साफ शब्दों में कहा कि मैं चिकित्सक नहीं हूं। मैंने देश के पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का डॉक्यूमेंटेशन किया है और ड्रग इंटरेक्शन पर अनुसंधान कर रहा हूं। मैं अपने अनुभव के आधार पर उनकी मदद कर सकता हूं। जब उन्होंने अपनी सहमति व्यक्त की तो मैंने उनसे कहा कि आप मुझे अपनी बिटिया का एक बड़ा वीडियो बनाकर भेजें। इसमें उसकी दिनभर की गतिविधियों की जानकारी हो। जब उन्होंने वीडियो भेजा और मैंने वीडियो को ध्यान से देखा तो मुझे इस बात का एहसास हुआ कि उनकी बिटिया को Autism नहीं है बल्कि दूसरी समस्या है। जब मैंने इसका खुलासा उनसे किया तो वे चौक पड़े और उन्होंने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है और उन्होंने ढेर सारी रिपोर्ट मेरे पास भेज दी जिसमें लिखा गया था कि बच्ची को Autism है। मेरी बात सुनकर उनकी पत्नी ने कहा कि मुझे भी मेरी बच्ची सामान्य बच्चों की तरह नजर आती है और जिस हरकत के बारे में अधिकतर चिकित्सक मुझसे पूछते हैं वह तो दूसरे बच्चों में भी होती है जो कि सामान्य रूप से स्कूल जाते हैं। फिर मेरी बच्ची को ही क्यों और कैसे ऐसा कहा जा रहा है और उसे सामान्य बच्चों से अलग रखा जा रहा है। मैंने उन्हें बताया कि मुझे वीडियो को देखने के बाद ऐसा लग रहा है कि यह Autism का केस नहीं है। यदि आप पारंपरिक चिकित्सा के माध्यम से इसे सिद्ध करना चाहते हैं तो मैं आपको एक पारंपरिक चिकित्सक के पास भेजता हूं जो पारंपरिक ढंग से परीक्षण कर यह बता सकेंगे कि बिटिया को Autism की समस्या है कि नहीं। जब वे पारंपरिक चिकित्सक से मिलने गए तो पारंपरिक चिकित्सक ने उन्हें अपने पास 3 दिनों तक रखा और उसके बाद बताया कि बिटिया बिल्कुल सामान्य है। उनकी बात सुनकर वे सज्जन संतुष्ट नहीं हुए और फिर से अपने चिकित्सकों से मिलने गए जिन्होंने फिर से उनसे कहा कि बिटिया को Autism है और आप बेकार के तामझाम में न पड़े। जब उन्होंने मुझसे फिर से संपर्क किया तब मैंने उनसे कहा कि यह Autism नहीं है पर कुछ विशेष प्रकार के लक्षण बिटिया को आ रहे हैं जिसे देखकर विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ये Autism के कारण है। मुझे लगता है कि यह किसी प्रकार के ड्रग इंटरेक्शन के कारण है। क्या बिटिया को किसी प्रकार की दवा लंबे समय तक दी जा रही है? यदि इसके बारे में जानकारी स्पष्ट हो जाती है तो आपकी बिटिया पूरी तरह से ठीक हो जाएगी और Autism जैसे लक्षण पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगे। अभी भी देर नहीं हुई है। मैंने उनसे अनुरोध किया कि आप यदि चाहे तो बचपन से लेकर अभी तक इतने सालों में बिटिया किन तरह की खाद्य सामग्रियों और दवाओं का लगातार प्रयोग कर रही है उसके बारे में मुझे जानकारी उपलब्ध कराएं। इस आधार पर मैं आपकी मदद कर सकता हूं। मैंने कहा कि अभी बिटिया की उम्र बहुत कम है इसलिए जड़ी बूटियों का परीक्षण करना ठीक नहीं रहेगा। यदि जरूरी हुआ तो इसे विकल्प के तौर में बाद में आजमाया जा सकता है। जब उन्होंने पूरी सूची मेरे पास भेजी तो उस में कैल्शियम की गोलियों से लेकर पेट के कीड़ों की दवाओं की लंबी सूची थी। सूची में एक विशेष दवा को देखकर मैं चौक गया। मैंने कहा कि आप अपनी बिटिया को यह दवा क्यों दे रहे हैं तो उन्होंने कहा कि सर, यह एक बहुत अच्छा टॉनिक है जिसे हमारी कंपनी बनाती है और यह बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है। इसका प्रयोग करने से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी हुई रहती है और वे बार-बार बीमार नहीं पड़ते हैं। मैं इसी टॉनिक की बात कर रहा था जिसे मैंने बच्चों के बीच लोकप्रिय बनाया और आज गांव-गांव के बच्चे इस टॉनिक का प्रयोग करते हैं। कंपनी ने इस टॉनिक की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए मुझे विशेष रूप से सम्मानित किया और मुझे पदोन्नति दी। मैं सबसे यही कहता हूं कि मैं अपनी बिटिया को भी यही टॉनिक दे रहा हूं इसलिए आप सब को मुझ पर विश्वास करना चाहिए कि यह टॉनिक बेहद कारगर है। मैंने उन्हें बताया कि छोटे बच्चों को नोनी पर आधारित कोई भी उत्पाद देने से पहले डॉक्टरों की सलाह लेनी चाहिए। आपके इस टॉनिक में मुख्य घटक के रूप में नोनी का प्रयोग किया गया है। इसके साथ में 27 तरह की दूसरी जड़ी बूटियों का प्रयोग किया गया है। इतने छोटे बच्चों को इस तरह का जटिल टॉनिक देना विज्ञान सम्मत नहीं है। वे सज्जन मेरी बात सुनने को तैयार नहीं हुए और उन्होंने कहा कि आप चाहे तो मैं उन वैज्ञानिक से बात करा सकता हूं जो कि इस टॉनिक से जुड़े हुए हैं और जिन्होंने कंपनी के लिए यह फार्मूला विकसित किया है। जब उन्होंने वैज्ञानिक का नाम बताया तो वे वैज्ञानिक मेरे परिचित के निकले। उन्होंने झट से सारी रिपोर्ट मुझे भेज दी। जब मैंने उनका अध्ययन किया तो मैंने पाया कि वैज्ञानिक महोदय ने अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा था कि इस टॉनिक का प्रयोग 10 वर्ष से अधिक उम्र के लोग ही करें वरना जान जोखिम में पड़ सकती है। उन्होंने यह भी लिखा था कि दिमागी रोग से पीड़ित लोग भूलकर भी इस टॉनिक का प्रयोग न करें। उन्होंने आधुनिक दवाओं की एक लंबी सूची भी दी थी जिनकी इस टॉनिक से विपरीत प्रतिक्रिया होती है। उनकी रिपोर्ट में कुछ खाद्य सामग्रियां भी थी जिनका प्रयोग आम लोग रोजमर्रा के जीवन में करते हैं। जिन्हें भी यह टॉनिक दिया जाना था उन्हें बताया जाना था कि इन तरह की खाद्य सामग्रियों का प्रयोग न करें। वैज्ञानिक अपनी जगह पर बिल्कुल सही थे पर हमेशा की तरह कंपनी ने यह सब बात छुपाई ताकि उनका उत्पाद बिना किसी बाधा के बाजार में बिकता रहे। मैंने पूरी बात उनको बताई और कहा कि यह बच्चों का टॉनिक नहीं है और मुझे पूरा विश्वास है कि इसी टॉनिक के लंबे समय तक प्रयोग से आपकी बिटिया में Autism जैसे लक्षण आ रहे हैं। उन्होंने अपना सिर पकड़ लिया। जिस टॉनिक ने उन्हें इतना सम्मान दिया था वही टॉनिक उनकी बिटिया की Autism जैसी समस्या के लिए उत्तरदाई निकला। उन्होंने कहा कि कंपनी ने कभी भी मुझे इस बारे में नहीं बताया। मैंने असंख्य बच्चों को यह टॉनिक दिया और उनके माता-पिता को प्रेरित किया पर कभी भी यह नहीं बताया कि इसे बिना डॉक्टर के अनुमोदन के प्रयोग नहीं करना है। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मैंने उनसे कहा कि आप 1 महीने तक इसका प्रयोग पूरी तरह से रोक दें और फिर मुझे बताएं कि आपकी बिटिया के लक्षणों में किसी प्रकार का सुधार हुआ कि नहीं। उन्होंने धन्यवाद दिया और वे वापस लौट गए। 15 दिनों के बाद ही उनका फोन आया कि अब बिटिया की हालत में बहुत अधिक सुधार है जब वे फिर से एक नए चिकित्सक से मिलने गए तो उन्होंने बताया कि बिटिया सामान्य बच्चों की तरह है और उसे ऑटिज्म की समस्या नहीं है। "इससे बढ़कर हमें कुछ और नहीं सुनना था। मैंने अपनी कंपनी से इस्तीफा दे दिया है और निश्चय किया है कि इस उत्पाद के प्रमोशन के लिए मुझे जितने भी पैसे मिले अब मैं उन पैसों को जन जागरण में लगा दूंगा। यह बताने के लिए कि यह टॉनिक बच्चों के लिए नहीं है और जो इसका प्रयोग कर रहे हैं वह इसका प्रयोग करना तुरंत रोक दें।" उन्होंने आगे कहा। हर महीने वे संपर्क करते रहे और धीरे-धीरे उनकी बिटिया के लक्षण पूरी तरह से गायब हो गए। मैंने उन्हें एक विशेष तरह का मेडिसिनल राइस दिया और कहा कि आप इस राइस का प्रयोग सामान्य भोजन में करते रहे। इससे आपकी बिटिया के शरीर में उपस्थित उस टॉनिक का दोष पूरी तरह से खत्म हो जाएगा और उसके शरीर को फिर से सामान्य होने में मदद मिलेगी। एक साल बाद जब उनकी बिटिया पूरी तरह से सामान्य हो गई तो एक नियमित स्कूल ने उसे एडमिशन दे दिया सामान्य बच्चों की तरह। सभी ने राहत की सांस ली। सबसे ज्यादा राहत तो बिटिया को मिली जो कि सामान्य होते हुए भी असामान्य समझे जाने की गलतफहमी के कारण बहुत अधिक दबाव में थी। सर्वाधिकार सुरक्षित

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