Consultation in Corona Period-179
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"यदि यह सुनिश्चित कर दिया जाए कि वैक्सीन से होने वाली मौतों के लिए कौन जिम्मेदार होगा और इसके लिए कितना मुआवजा दिया जाएगा तो विश्व बाजार से 99% से अधिक वैक्सीन पूरी तरह से गायब हो जायेंगी। सारे ट्रायल ऐसा लगता है कि जैसे हड़बड़ी में किए गए हो जबकि विश्व स्वास्थ संगठन ने पहले ही कह दिया था कि पूरी तरह से सुरक्षित वैक्सीन आने में 2023 तक का समय लगेगा। इससे पहले सुरक्षित वैक्सीन की कल्पना करना ही व्यर्थ है। मुझे अभी भी लगता है कि इस रोग का समाधान फाइटोमेडिसिन में छुपा हुआ है न कि वैक्सीन में।
एड्स जैसी खतरनाक बीमारी के लिए वैज्ञानिक अभी तक वैक्सीन नहीं खोज पाए हैं। उन्होंने जितनी भी वैक्सीन बनाई उनमें इतने अधिक दुष्प्रभाव थे कि उन्होंने इन्हें बाजार में लाने से इंकार कर दिया। इसलिए हमें लगता है कि हमें फाइटोमेडिसिंस पर अपने शोध को जारी रखना चाहिए। आपने हमें जो फार्मूला सुझाया था उस पर हम लगातार काम कर रहे हैं और हमें अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। एक बार जब दुनिया से वैक्सीन का बुखार उतर जाएगा उसके बाद दुनिया की नजर फाइटोमेडिसिन पर पड़ेगी और इसी के सहारे ही इस महामारी से उसे पूरी तरह से राहत मिलेगी।" ब्रिटेन के एक वैज्ञानिक ने अपने द्वारा भेजे संदेश में यह बात कही।
दिसंबर 2019 में जब चीन में इस वायरस ने फैलना शुरू किया तब से ही इन वैज्ञानिकों ने इसके समाधान खोजने शुरू कर दिए थे। उसी दौरान उन्होंने मुझसे संपर्क किया और उस समय के लक्षणों और आरंभिक जानकारी के आधार पर मैंने उन्हें बहुत सारे नुस्खे सुझाये जिनमें से दो नुस्खों को उन्होंने पसंद किया और तब से उस पर गहन शोध कर रहे हैं।
वैज्ञानिक महोदय ने यह भी लिखा है कि उनके एक साथी मुझसे कुछ ही दिनों में संपर्क करेंगे। वे मेटफॉर्मिन पर काम कर रहे हैं। उन्होंने लिखा कि मेटफॉर्मिन डायबिटीज में बेहद कारगर है और दुनिया भर में इसे सुरक्षित दवा के रूप में उपयोग किया जाता है पर यह भी एक नग्न सत्य है कि इसके बहुत सारे साइड इफेक्ट है और सीरियस साइड इफेक्ट भी कम नहीं है।
हमारे मित्र चाहते हैं कि मेटफॉर्मिन के साथ में कुछ फाइटोमेडिसिंस को शामिल करके उसे पूरी तरह से दोषमुक्त बनाया जा सके तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। आपने ड्रग इंटरेक्शन पर बहुत विस्तार से शोध किया है इसलिए आपसे बड़ी उम्मीद है कि आप मेटफार्मिन के दुष्प्रभाव को खत्म करने के लिए मेटफॉर्मिन के साथ मिलाकर प्रयोग की जाने वाली फाइटोमेडिसिंस की संभावनाओं पर हमारी विशेष मदद कर पाएंगे।
उन वैज्ञानिक महोदय का संदेश यहीं पर खत्म नहीं हुआ।
उन्होंने आगे लिखा कि उनका एक नया रिसर्च प्रोजेक्ट तंजानिया में शुरू हो रहा है जो कि मलेरिया के उग्र रूप पर है। उनके प्रोजेक्ट में बहुत से स्थानीय पारंपरिक चिकित्सक भी शामिल होंगे जो कि मलेरिया के लिए परंपरागत तरीके से उपयोग होने वाली वनस्पतियों के बारे में जानकारी देंगे। फिर उसके बाद उसके आधार पर बहुत सारे फार्मूले बनाए जाएंगे। इन फार्मूलों को परीक्षण के बाद फिर वहां के लोगों को दिया जाएगा ताकि वहां से मलेरिया का समूल नाश हो सके।
यह प्रोजेक्ट 5 वर्षों का है पर यदि इसमें आरंभिक सफलता मिली तो इसे 20 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है। वैज्ञानिक महोदय चाहते हैं कि मैं उनके साथ दिसंबर 2020 में तंजानिया जाऊं और उनके और पारंपरिक चिकित्सकों के बीच सेतु का काम करूं ताकि उनके द्वारा दी जा रही सभी जानकारियां अपने मूल रूप में वैज्ञानिकों तक पहुंच सके और वे अपना अनुसंधान आरंभ कर सकें।
उन्होंने आशा जताई कि दिसंबर 2021 तक वाइरस संक्रमण काफी हद तक कम हो जाएगा और उस समय मुझे यात्रा करने में किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने आगे लिखा कि वे ऐसी वनस्पतियों को जो कि तंजानिया में खत्म हो रही है और मलेरिया के लिए उपयोगी है, को बढ़ाने के उद्देश्य से उसकी खेती भी आरंभ करना चाहते हैं जिससे कि वहां के स्थानीय लोगों को रोजगार मिले और जब भविष्य में ड्रग इंडस्ट्री की स्थापना की जाए तो कच्चे माल की किसी भी तरह से कोई कमी न हो।
उन्होंने लिखा कि आपने भारत में जड़ी-बूटियों की खेती पर विस्तार से शोध किया है और अभी भी बहुत सारे किसान आपके मार्गदर्शन में जड़ी-बूटियों की खेती कर रहे हैं। वे तंजानिया जाने से पहले एक बार भारत आना चाहेंगे ताकि जड़ी-बूटियों की खेती को जिन्हें कि आप वैदिक विधि से करवा रहे हैं अपनी आंखों से देख सकें और फिर एक छोटी सी फ़िल्म बनाकर उसे तंजानिया के किसानों को दिखा सकें। ये तमाम बातें उनके संदेश में लिखी हुई थी।
मैंने एक-एक करके उन सभी बातों का जवाब दिया। मैंने उनसे कहा कि वैक्सीन पर अभी टिप्पणी करना जल्दीबाजी होगी पर हां हमें इस बात के लिए तैयार होना चाहिए कि यदि वैक्सीन बड़े पैमाने पर लोगों को लगती है और उन्हें किसी प्रकार का साइड इफेक्ट होता है तो उससे कैसे निपटा जाए?
उस साइड इफेक्ट को ठीक करने के लिए वैक्सीन काम नहीं आएगी बल्कि फाइटोमेडिसिन काम आयेंगी। बहुत सारे वैक्सीन विकसित करने वाले वाले वैज्ञानिक मेरे संपर्क में है और वे लगातार बता रहे हैं कि उनकी वैक्सीन से किस प्रकार के साइड इफेक्ट आ रहे हैं। उसके आधार पर मैं उन दवाओं की सूची तैयार कर रहा हूं जिनका प्रयोग करके वैक्सीन से प्रभावित लोगों के स्वास्थ की रक्षा की जा सके। मैंने वैज्ञानिक महोदय की इस बात का समर्थन किया कि इस दुनिया को कोरोनावायरस से सही मायने में मुक्ति तो फाइटोमेडिसिन से ही मिलेगी।
मैंने उन्हें बताया कि मैं तंजानिया के पारंपरिक चिकित्सकों से कई बार बात कर चुका हूं अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के माध्यम से। वहां मेरी पहचान के बहुत सारे पारंपरिक चिकित्सक हैं जो मलेरिया के लिए बहुत कारगर दवाएं बना रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि आप को इस प्रोजेक्ट में सफलता मिलेगी और मलेरिया की दवा विकसित हो जाने से वहां के लोगों को विशेष रुप से राहत मिलेगी।
मैंने उनका स्वागत किया और कहा कि आप जिन किसान से मिलना चाहेंगे मैं उसकी व्यवस्था करवा दूंगा। मेरे मार्गदर्शन में अभी 155 से अधिक किसानो के माध्यम से जड़ी बूटियों की खेती भारत में हो रही है। आप चाहे तो आसपास के देशों में भी जा सकते हैं जहां किसान मेरे मार्गदर्शन में जड़ी-बूटियों की खेती कर रहे हैं। यह खेती न केवल ऑर्गेनिक है बल्कि वैदिक विधि से की जा रही है जिससे कि उनकी गुणवत्ता में किसी भी प्रकार से कमी न आए।
बहुत सारी दवा कंपनियां इन किसानों से वनस्पतियां खरीद कर अपने उत्पादों में प्रयोग कर रही हैं। मैंने उन्हें उन किसानों के बारे में भी जानकारी दी जो कि दुर्लभ किस्म के मेडिसिनल राइस की खेती कर रहे हैं मेरे तकनीकी मार्गदर्शन में। इनमें बहुत सारे ऐसे मेडिसिनल राइस हैं जिनके प्रयोग से मलेरिया की चिकित्सा पारंपरिक चिकित्सा में की जाती है।
दिसंबर 2021 में उनके साथ तंजानिया की यात्रा करने की मैंने सहमति प्रदान कर दी।
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