Consultation in Corona Period-187
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"आपने जो वीडियो मेरे पास भेजा है उसे देखकर तो यही लगता है कि यह धतूरा पॉइजनिंग का केस है।"
मैंने दिल्ली के एक शोध संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक से कहा जोकि चिकित्सा के क्षेत्र में लंबे समय से अनुसंधान कर रहे हैं।
"मैंने धतूरा पॉइजनिंग की पूरी तरह से जांच की है और मुझे नहीं लगता कि यह धतूरा का लक्षण है। आपको जो वीडियो भेजा गया है वह मरीज की उस स्थिति के बारे में बताता है जो कि अस्थाई रूप से रहती है। स्थाई रूप से तो वह दिन भर सही रहता है पर नाश्ते के बाद उसकी ऐसी हालत हो जाती है जिसे देखकर इस तरह का शक होता है कि कहीं उसे कोई नशीली दवा तो नहीं दी गई है। दरअसल यह युवक इंटरनेशनल ट्रैवलर है जो कि दुनिया भर में घूम कर न केवल मनोरंजन करता है बल्कि अपना व्यापार भी करता है। वह बहुत कम समय के लिए भारत में है पर उसकी हालत देखकर मुझे नहीं लगता कि वह बहुत जल्दी देश से जा पाएगा।
उसके परिजन कनाडा में रहते हैं और उसकी ऐसी हालत देखकर वे भारत आ गए हैं। उन्होंने अस्पताल के पास ही एक घर ले लिया है और इस घर में ही युवक को रखा जाता है। जब नाश्ते के बाद उसकी ऐसी हालत हो जाती है तो कुछ समय के लिए उसे अस्पताल में रखना होता है। उसके बाद फिर वह अस्पताल से वापस चला जाता है। यह हमारा ऐसा केस है जिसमें हम सब माथापच्ची कर रहे हैं पर हमें समस्या का समाधान नजर नहीं आ रहा है। हमने उसके दिमाग का परीक्षण भी किया पर हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए।
हम विदेशों के चिकित्सकों से भी परामर्श ले रहे हैं और सभी यही कह रहे हैं कि यह किसी नशीली चीज के कारण आने वाला लक्षण नहीं है बल्कि दिमाग में किसी तरह की समस्या है और इसकी विस्तृत जांच करने की आवश्यकता है। हम आपसे भी मार्गदर्शन चाहते हैं। यदि संभव हो तो आप तुरंत ही हमारे पास आ जाइए और जिस तरह का परीक्षण आप करना चाहते हैं आकर उसे करिए और हमें बताइए कि इस समस्या का कारण क्या है।" वरिष्ठ वैज्ञानिक ने पूरे मामले को विस्तार से समझाया और उस युवक की सारी रिपोर्ट मुझे भेज दी।
मैंने उनसे कहा कि मेरा अभी आना संभव नहीं है। मैं कुछ तरह के परीक्षण करना चाहता हूं। इसके लिए मैं सामग्री आपको भेज रहा हूं। आप मेरे द्वारा बताई गयी विधि के अनुसार परीक्षण करें और परीक्षण के परिणामों का एक छोटा सा वीडियो बनाकर मुझे भेजें। वे इस बात के लिए तैयार हो गए और मैंने उन्हें जड़ी बूटियों का एक मिश्रण भेज दिया।
उनसे कहा कि इस मिश्रण को दोनों पैरों के तलवों पर लगाया जाए और उसके बाद केवल तर्जनी उंगली पर आने वाली प्रतिक्रिया पर अपनी नजर रखी जाए। यदि किसी भी तरह का परिवर्तन दिखता है तो उसकी बारीकी से फोटोग्राफी की जाए और उसके पश्चात मुझे बताया जाए। जब वरिष्ठ वैज्ञानिक ने परीक्षण किया तो उन्हें तर्जनी उंगली पर प्रभाव दिखने लगे। नाखूनों पर विशेष प्रभाव दिखा। उस आधार पर उन्होंने एक वीडियो बनाकर मुझे भेजा और उत्सुकता दिखाई कि इस परीक्षण से आखिर क्या सिद्ध हुआ? जब मैंने वीडियो देखा तो मैंने वरिष्ठ वैज्ञानिक से कहा कि यह Grayanotoxin का लक्षण दिखता है।
क्या इस युवक ने हाल ही में जापान की यात्रा की है? उन्होंने युवक से पूछकर बताया कि हां, उसने पिछले हफ्ते ही जापान की यात्रा की है। मैंने वरिष्ठ वैज्ञानिक को बताया कि Grayanotoxin के अधिकतर मामले मुझे जापान और चीन से ही मिलते हैं और यह विशेष तरह की वनस्पतियों के प्रयोग के कारण होता है जिन्हें कि दवा के रूप में उन देशों में प्रयोग किया जाता है। इस तरह का परीक्षण करने से इस विष के सारे लक्षण तर्जनी उंगली में दिखाई देते हैं और उसी आधार पर भारत के पारंपरिक चिकित्सक यह निर्धारित करते हैं कि किस प्रकार की वनस्पति के कारण ऐसे लक्षण आ रहे हैं।
आप उस युवक से यह पूछकर बताइए कि क्या उसने हाल ही में किसी जापानी दवा का प्रयोग किया है या ऐसे खाद्य पदार्थ का प्रयोग किया है जिसमें कि इन वनस्पतियों की बहुलता है विशेषकर ऐसी वनस्पतियों की जिनका साधारणतया उपयोग नहीं किया जाता है। उन वैज्ञानिक ने बताया कि युवक ने जापान में केवल कुछ ही दिन बिताया है। उसके बाद वह वापस आ गया। वहां से उसने किसी भी तरह की कोई दवा नहीं ली। वह एक भारतीय रेस्टोरेंट में खाना खाता रहा जहां किसी भी प्रकार से जापानी वनस्पतियों का प्रयोग नहीं किया जाता था।
मेरे कहने पर वरिष्ठ वैज्ञानिक ने उसके खानपान की पूरी जांच की और बताया कि उसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि नहीं है। वह सेहतमंद भोजन कर रहा है इसलिए खानपान की ओर अब और अधिक ध्यान देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि अभी युवा किसी भी तरह की कोई दवा नहीं ले रहा है न आधुनिक न ही पारंपरिक। बस उन्हीं दवाओं को ले रहा है जो उसे अस्पताल की ओर से दी जा रही है। ये दवाएं उसके लक्षणों के आधार पर दी जा रही है। अभी तो हमें भी नहीं पता है कि रोग का मूल कारण क्या है।
खानपान की सामग्रियों में हरी झंडी मिलने के बाद मैंने उस ओर ध्यान देना बंद कर दिया और वरिष्ठ वैज्ञानिक से कहा कि ऐसी स्थिति के लिए मेरे पास कुछ विशेष तरह के मेडिसिनल राइस है। मैं उन्हें आपके पास भिजवा देता हूं। अगर इन मेडिसिनल राइस का प्रयोग किया जाए तो उसे इस तरह के लक्षण नहीं आएंगे और अगर आएंगे तो बहुत उग्र रूप में नहीं आएंगे। वे इस बात के लिए तैयार हो गए। उन्होंने इन मेडिसिनल राइस के बारे में शोध संदर्भ मांगे जो कि मैंने उन्हें उपलब्ध करा दिए।
उन्होंने एक शोधार्थी को भेजा जिसने मुझसे ये मेडिसिनल राइस एकत्र कर लिए और फिर इनका प्रयोग उस युवक पर होने लगा। कुछ दिनों बाद वरिष्ठ वैज्ञानिक का फिर से फोन आया। उन्होंने बताया कि आपके द्वारा भेजे गए मेडिसिनल राइस
से लाभ तो हो रहा है पर लक्षण अभी भी आ रहे हैं।
मैंने उनसे कहा कि अभी मुझे भी नहीं पता है कि ये लक्षण क्यों आ रहे हैं? ये मेडिसिनल राइस लक्षणों के आधार पर ही दिए गए हैं पर जब तक रोग का मूल कारण नहीं पता चलता तब तक इनका पूरी तरह से असर नहीं होगा।
मैंने उनसे पूछा कि क्या युवा अभी बात करने की स्थिति में है तो उन्होंने कहा कि हां, वह बात कर सकता है और उसे हिंदी में बात करने में किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं होती है।
जब मैंने युवक से बात करनी शुरू की तो उससे पूछा कि क्या बचपन में उसे डेंगू की समस्या हुई थी या टाइफाइड की। उसने बताया कि उसे बचपन में एक बार टाइफाइड हुआ था पर यह उतना उग्र नहीं था। जल्दी ही उसकी तबीयत ठीक हो गई थी। फिर मैंने उससे पूछा कि क्या उसे बचपन में मलेरिया की बीमारी हो चुकी है तो उसने बताया कि उसे मलेरिया की बीमारी कभी नहीं हुई है।
उसे मीठा पसंद है पर नमकीन बिल्कुल भी पसंद नहीं है। उसे दिन में सोना और रात में जागना अच्छा लगता है। वह शराब का सेवन विशेष अवसरों पर ही करता है। शराब में उसे रम पीने की आदत लगी हुई है। वह तंबाकू का प्रयोग नहीं करता है। सिगरेट का प्रयोग तभी करता है जब वह ठंडे देशों की यात्रा करता है। उसे हींग से नफरत है और प्याज का प्रयोग वह अक्सर करता है। उसे शहद विशेष रूप से पसंद है और उसे दुनिया भर के जंगलों में होने वाली शहद में विशेष रूचि है। इस बात को उसके दोस्त जानते हैं इसलिए उसे उपहार के रूप में दोस्तों से लगातार तरह-तरह की शहद मिलती रहती है।
शहद के बारे में तो मुझे वरिष्ठ वैज्ञानिक ने किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी थी। यह एक महत्वपूर्ण जानकारी थी जो कि इस समस्या का समाधान कर सकती थी। मैंने उस युवक से तुरंत पूछा कि वह इस समय किसी तरह की शहद का उपयोग कर रहा है और इस शहद का उपयोग वह कब करता है? उसने बताया कि इस शहद का उपयोग नाश्ते में करता है। उसे ब्रेड में शहद लगाकर खाने का विशेष शौक है। मैंने उससे कहा कि बिना किसी देरी के वह शहद का नमूना मुझे भेजे और यदि संभव हो तो पूरी बोतल ही भेज दे।
उसने कहा कि पूरी बोतल भेजना तो संभव नहीं है क्योंकि यह एक बहुत महंगी शहद है। इसे दुनिया की सबसे महंगी शहद कहा जाता है इसलिए मैं आपको सैंपल के तौर पर थोड़ी सी शहद भेज सकता हूं। मेरे हामी भरने पर उसने शहद मेरे पास भेज दी।
जब मैंने उस शहद की थोड़ी सी मात्रा को अपनी जीभ पर रखा तो सारी समस्या का समाधान नजर आने लग गया। मैंने वरिष्ठ वैज्ञानिक से बात की और उन्हें बताया कि युवक की समस्या का कारण उसके द्वारा प्रयोग की जा रही महंगी शहद है। इसमें किसी तरह की मिलावट नहीं की गई है पर यह दुनिया भर में "Mad Honey" के रूप में विख्यात है। इसमें बहुत तरह के न्यूरोटॉक्सिंस पाए जाते हैं। इसे बहुत कम मात्रा में विशेषज्ञों की निगरानी में ही प्रयोग किया जाता है। इस तरह की शहद को नेपाल के जंगलों में रहने वाले लोग एकत्र करते हैं और बहुत संभलकर प्रयोग करते हैं। टर्की में भी शहद का एकत्रण किया जाता है। परीक्षण से जिन Grayanotoxins और उनके प्रभाव के बारे में पता चल रहा था वह इसी शहद के कारण था। इसमें Grayanotoxins पाए जाते हैं जिससे कि शरीर की तंत्रिका प्रणाली पूरी तरह से बिगड़ जाती है और लंबे समय तक इसका प्रयोग करने से दिमाग को स्थाई रूप से नुकसान होता है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक ने आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि मैंने तो उसके खानपान की पूरी जांच की थी। उसने शहद के बारे में बताया था पर मैंने शहद पर उतना ध्यान नहीं दिया इसीलिए बात बिगड़ गई।
मैंने उनसे कहा कि आप तुरंत ही शहद का प्रयोग बंद करवाएं और उससे कहे कि वह भविष्य में इस तरह की शहद का उपयोग बिल्कुल न करें। इस तरह से अपने स्वास्थ का बेवजह बिगाड़ करने से कोई मतलब नहीं है। यह तो गनीमत रही कि वह डायबिटीज की किसी दवा का उपयोग नहीं कर रहा है अन्यथा इस शहद की डायबिटीज की आधुनिक दवाओं के साथ इतनी विपरीत प्रतिक्रिया होती है कि बहुत से मामलों में रोगी की जान बचाना मुश्किल हो जाता है। डिप्रेशन दूर करने वाली आधुनिक दवाओं के साथ भी इस शहद की बहुत विपरीत प्रतिक्रिया होती है।
जब युवक ने 15 दिनों तक इस शहद का प्रयोग करना बंद किया तो नाश्ते के बाद उसको आने वाले खतरनाक लक्षण पूरी तरह से गायब हो गए और उसे अच्छा महसूस होने लगा। उसने उस शहद को फेंक दिया और कसम खाई कि कभी भी वह अपने जीवन में "Mad Honey" का प्रयोग नहीं करेगा।
इस तरह एक जटिल समस्या का समाधान हुआ और सबने राहत की सांस ली।
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