Consultation in Corona Period-176
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"मेरी माता जी की तबीयत में अब काफी सुधार है। यह आपकी दिल्ली में तीसरी विजिट है और इतनी जल्दी लाभ होगा यह हमने नहीं सोचा था। मैं अपने डायरेक्टर साहब का बहुत आभारी हूं जिन्होंने तुरंत ही आपकी सेवा लेने की सलाह दी और आपका भी आभारी हूं जो आपने बिना किसी देरी के दिल्ली की यात्रा की और स्ट्रोक के महत्वपूर्ण समय में हम लोगों ने मां की अच्छे से देखभाल शुरू कर दी। यह क्रिटिकल समय बहुत महत्वपूर्ण होता है और हमने इसका पूरा फायदा उठाया।
यही कारण है कि आज इतनी जल्दी मां को घर ले जाने के लिए हम सब तैयारी कर रहे हैं।" दिल्ली के एक बड़े अस्पताल के डॉक्टर मुझसे बात कर रहे थे जब मैं अपनी यात्रा के दौरान उनसे मिलने उनके अस्पताल में था। उनकी माताजी को स्ट्रोक हुआ था और आनन-फानन में ही अस्पताल के डायरेक्टर ने मुझे रायपुर से बुलवा लिया और उनकी चिकित्सा शुरू हो गई। मेरे लिए अच्छी बात यह रही कि उन्होंने मेरे ज्ञान पर विश्वास किया और मेरे निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया।
हां, यह बात जरूर है कि मेरे हर अनुमोदन के पीछे के वैज्ञानिक कारण को जानने के बाद ही उन्होंने उन्हें स्वीकार किया और जब उन्हें सफलता मिलने लगी तो मेरी राह आसान हो गई।
"आज शाम की आपकी फ्लाइट है। एक बार आप चाहें तो डायरेक्टर साहब से मिल सकते हैं। मैं उन्हें विशेष धन्यवाद देने के लिए उनके घर जा रहा हूं। चाहें तो आप भी मेरे साथ चल सकते हैं।" उन डॉक्टर महोदय ने कहा।
मैंने कहा कि मैं भी डायरेक्टर साहब से मिलना चाहता हूं और मैं आपके साथ चलने को तैयार हूं पर मैं आपसे एक बात करना चाहता हूं। पहले दो बार जब मैं डायरेक्टर साहब से मिला तो मुझे उनकी तबीयत ठीक नहीं लगी।
क्या वे किसी गंभीर रोग से ग्रस्त हैं? मैंने पूछा।
डॉक्टर महोदय ने बताया कि उन्हें कोई रहस्यमय बीमारी है। इसके बारे में पूरी जानकारी तो डायरेक्टर साहब को भी नहीं है। उनके तरह-तरह के परीक्षण चल रहे हैं पर कुछ भी विशेष नहीं पता चल पा रहा है।
मैंने खुलासा किया कि पिछली बार जब मैं डायरेक्टर साहब से मिलने गया था तो उनके घर में एक अजीब सी दुर्गंध आ रही थी। संभवत: यह उनके शरीर से आ रही थी या हो सकता है कि यह दुर्गंध उनकी सांसो में हो। यह दुर्गंध मुझे एक विशेष बीमारी की ओर इशारा कर रही थी पर इतने बड़े अस्पताल के डायरेक्टर को किसी तरह की सलाह देने से पहले मैं यह निश्चित कर लेना चाहता था कि वे वास्तव में किसी बीमारी से ग्रस्त है या उन्होंने कुछ ऐसा विशेष भोजन किया है जिसके कारण उनके शरीर से इस तरह की गंध आ रही थी।
डॉक्टर महोदय ने कहा कि यह तो आपका विशेष ज्ञान है जिसकी सहायता से आप इस तरह के निष्कर्ष निकाल रहे हैं। हमारे डायरेक्टर साहब बहुत ही विनम्र पुरुष हैं और जब आप अपनी बात उनके सामने रखेंगे तो उन्हें किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी। वे सभी के विचारों को स्वीकार करते हैं और यही कारण है कि आज वे इतनी कम उम्र में सफलता की ऊंची सीढ़ी चढ़ चुके हैं।
जब हम डायरेक्टर साहब के घर पहुंचे और मैंने इस बात का खुलासा किया तो डायरेक्टर साहब ने कहा कि मेरे बहुत से सहकर्मी मुझे बार-बार कहते हैं कि सर, क्या आप बहुत अधिक मात्रा में लहसुन खाते हैं? आपके पास रहने से लगता है जैसे कि आसपास बड़ी मात्रा में लहसुन रखा हुआ है जबकि सच यह है कि लहसुन से मुझे पूरी तरह से नफरत है और मैंने आजीवन लहसुन का प्रयोग नहीं किया है।
मैंने डायरेक्टर साहब से पूछा कि क्या आप अधिक मात्रा में या कहे कि बहुत अधिक मात्रा में गिलोय का प्रयोग करते हैं तो उन्होंने कहा कि नहीं।
बीच में उन्होंने गिलोय का प्रयोग करना शुरू किया था पर अब वे गिलोय का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करते हैं। उनकी अनुमति से मैंने उनके दोनों हाथों के नाखून देखे पैरों के भी। नाखून टूटे-फूटे थे और उनका रंग बदला हुआ था।
डायरेक्टर साहब ने पूछ लिया कि क्या मेरे नाखून किसी तरह के विशेष रोग की ओर इशारा करते हैं?
मैंने कहा कि आपके नाखूनों को देखकर और आपके शरीर से आ रही दुर्गंध को महसूस कर मुझे ऐसा लगता है कि जैसे कि आपको सेलेनियम टाक्सीसिटी हो रही है? क्या आपने इस तरह का परीक्षण कभी कराया है जिससे पता चले कि आपके शरीर में सेलेनियम की मात्रा बहुत अधिक है?
उन्होंने मेरी बात पर आश्चर्य व्यक्त किया। तुरंत ही लैब से अपने सहकर्मी को बुला लिया और अपने खून की जांच कराने के लिए नमूना दे दिया। डायरेक्टर साहब ने कहा कि जांच की रिपोर्ट आने में कुछ समय लगेगा यदि संभव हो तो आप अपनी शाम की फ्लाइट कैंसिल कर दें और कल सुबह जाने की तैयारी करें। तब तक यह रिपोर्ट आ जाएगी और आपकी बातों की सत्यता का पता चल जाएगा। मैंने उनकी बात मान ली।
जब रिपोर्ट आई तो पता चला कि उनके शरीर में सचमुच सेलेनियम की बहुत अधिक मात्रा उपस्थित है और इसकी विषाक्तता के सारे लक्षण उन्हें आ रहे हैं। जब उन्होंने इस विषय के विशेषज्ञ से सलाह ली तो उन्होंने भी बताया कि रिपोर्ट सही है और आपके शरीर के लक्षण पूरी तरह से इसी ओर इशारा करते हैं। उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ और उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या आप बता सकते हैं कि मेरे शरीर में सेलेनियम इतनी अधिक मात्रा में कहां से आ रहा है? उन्होंने पानी की जांच भी करवाई और साथ में मिट्टी की भी पर उन्हें सेलेनियम के स्रोत का पता नहीं चला।
मैंने उनसे कहा कि आप अपने खानपान के बारे में मुझे विस्तार से बताइए और यह भी बताइए कि आप अभी कौन-कौन सी दवाईयाँ ले रहे हैं। उन्होंने जल्दी ही पूरी सूची मुझे सौंप दी पर उस सूची से कुछ विशेष जानकारी नहीं मिली।
मैंने उन्हें 55 ऐसी वनस्पतियों की सूची दी जिनका प्रयोग करने से शरीर में सेलेनियम की मात्रा बहुत बढ़ जाती है और यदि उसके साथ इस दोष को दूर करने वाली दवाई नहीं ली गई तो वही स्थिति हो जाती है जो कि डायरेक्टर साहब की हो गई थी।
इतनी सलाह देकर मैं वापस रायपुर आ गया। जब अगली बार मेरा फिर से दिल्ली जाना हुआ तो डायरेक्टर साहब ने फिर से मुझसे समय मांगा और मुझसे कहने लगे कि वे एक चीनी दवाई का उपयोग बड़े लंबे समय से कर रहे हैं पर उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि इस दवाई में मेरे द्वारा बताई गई वनस्पतियों में से कोई वनस्पति शामिल है कि नहीं।
मैंने उस दवाई के बारे में विस्तार से जानकारी ली और अपने चीनी मित्रों से भी संपर्क किया जो कि अमेरिका में बतौर वैज्ञानिक काम कर रहे थे। उन्होंने बताया कि बिना फार्मूले का विश्लेषण किए यह बताना मुश्किल है कि किन-किन वनस्पतियों का प्रयोग किया गया है।
मैंने डायरेक्टर साहब से कहा कि सबसे अच्छा उपाय तो यह है कि आप इस दवाई का उपयोग 15 दिनों तक बंद करके देखें और फिर अपने लक्षणों का परीक्षण करें। हो सके तो अपनी एक बार फिर से जांच करा लें। इससे यह पता चल जाएगा कि क्या सेलेनियम का स्रोत यही चीनी दवाई है।
डायरेक्टर साहब ने बताया कि उन्हें भगंदर की समस्या है और जो कि किसी भी तरह से ठीक नहीं होती है। जब तक वे चीनी दवा का प्रयोग करते रहते हैं तब तक उनकी यह समस्या पूरी तरह से काबू में रहती है और एक बार की भी दवा चूकने से स्थिति बिगड़ जाती है इसलिए वे इस दवा को चाह कर भी बंद नहीं कर पाते हैं। यह दवा बहुत महंगी है और इसका प्रबंध करने में विशेष रूप से परेशानी होती है।
मैंने कहा कि आपको मैं भारत की पारंपरिक चिकित्सा पर आधारित एक नुस्खा दे सकता हूं जिसका प्रयोग करने से आपकी समस्या का स्थाई समाधान हो सकता है। आप इस नुस्खे का प्रयोग उस समय तक करें जब तक कि यह सुनिश्चित नहीं हो जाता कि सेलेनियम का स्त्रोत यह चीनी दवाई ही है। वे इस बात के लिए तैयार हो गए।
मैंने वह नुस्खा उनको दे दिया। सबसे अच्छी बात यह रही कि इस नुस्खे से उनको चीनी दवाई की तरह ही लाभ होने लगा और इस तरह उन्होंने चीनी दवाई का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दिया।
15 दिनों के बाद उन्होंने बताया कि उन्होंने विशेषज्ञों से फिर से जांच कराई और विशेषज्ञ बता रहे हैं कि सेलेनियम टॉक्सिसिटी के लक्षण बहुत तेजी से कम होते जा रहे हैं। जब उन्होंने खून की जांच कराई तो विशेषज्ञों की बात की पुष्टि हो गई। समस्या का समाधान अब पूरी तरह से स्पष्ट हो गया था। उस समय तक उस चीनी दवाई का रासायनिक विश्लेषण भी उनके पास आ गया था जिसमें Astragalus नामक एक वनस्पति का प्रयोग किया गया था। इसके बारे में मेरे द्वारा दी गई सूची में विशेष रूप से उल्लेख था। इस वनस्पति की अधिकता के कारण ही उन्हें सेलेनियम टाक्सीसिटी हो रही थी।
डायरेक्टर साहब ने राहत की सांस ली। उनकी अब एक रहस्यमयी बीमारी का समाधान हो गया था। उन्होंने बताया कि यह चीनी दवाई विशेष रूप से लोकप्रिय है और दुनिया भर के असंख्य लोग इसका नियमित प्रयोग करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वे जल्दी ही इस पर एक शोध आलेख लिखेंगे और दुनिया को बताएंगे कि कैसे यह दवाई लाभ के स्थान पर हानि पहुंचा रही है। इस तरह एक जटिल मामले का समाधान हुआ।
यह तो अच्छा हुआ कि सेलेनियम टॉक्सिसिटी इस स्तर तक नहीं पहुंची कि उनके महत्वपूर्ण शारीरिक अंग काम करना बंद करने लग जाते। समय रहते इसका पता लग जाने से उनका जीवन पूरी तरह से बच गया।
मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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