Consultation in Corona Period-200

Consultation in Corona Period-200 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया "आप तो जानते ही हैं कि Thalidomide नामक दवा ने जर्मनी में कितना कोहराम मचा दिया था। 1950 के दशक में जब इसका निर्माण किया गया और बिना सही ढंग से परीक्षण किए जब इसे गर्भावस्था में होने वाली उल्टी को रोकने के लिए प्रयोग किया गया तो हजारों बच्चे विकलांगता के साथ पैदा हुए और उन्हें phocomelia जैसी बीमारियां होने लगी। उसके बाद दुनिया भर की नजर इस दवा पर गई और पूरी दुनिया ने यह सबक सीखा कि दवाओं को पूरी तरह परीक्षण किए बिना आम लोगों को देना कितना घातक हो सकता है। आपने यह भी पढ़ा होगा कि उस दवा को लेने के बाद पैदा हुए ज्यादातर बच्चे अब इस दुनिया में नहीं है। वे एक दशक से अधिक जीवित नही रह सके। मैंने अपनी पूरी जिंदगी इस दवा पर शोध करने में बिता दी। मुझे मालूम है कि यह एक बहुत खतरनाक दवा है जो शरीर के लगभग सभी अंगों को प्रभावित करती है और इस कदर प्रभावित करती है कि वे पूरी तरह से काम करना बंद कर देते हैं फिर भी यह एक नग्न सत्य है कि अभी भी इस दवा का प्रयोग किया जा रहा है विशेषकर कैंसर की चिकित्सा में और कई प्रकार के त्वचा के रोगों में पर इस दवा के प्रयोग के समय विशेष सावधानी बरती जाती है और इस दवा को आप ऐसे ही किसी मेडिकल स्टोर से नहीं खरीद सकते हैं। जब तक कोई चिकित्सक आपको अनुमोदन नहीं करते हैं तब तक यह दवा प्रयोग नहीं की जाती है। मैं पूरे जीवन यूरोप में वैज्ञानिक रहा और मैंने इस दवा के गुणों पर अनुसंधान किया। मैंने अपने अनुभव से इस दवा को कैंसर में बहुत उपयोगी पाया है। अब जब उम्र के इस पड़ाव में मुझे कैंसर की समस्या हो गई है और यह अंतिम स्टेज का कैंसर है तब मैं अंतिम विकल्प के रूप में इस दवा का प्रयोग अपने ऊपर करना चाहता हूं पर मेरी जीवनी शक्ति बहुत मजबूत नहीं है और मुझे इस बात का डर है कि इस दवा का प्रयोग करने से मेरा शरीर विशेष रूप से प्रभावित होगा और हो सकता है कि इस दवा की विषाक्तता के कारण मेरी मृत्यु हो जाए। आपके और आपके शोध के बारे में जानकारी मुझे जापान के एक वैज्ञानिक से हुई जिन्होंने कैंसर की चिकित्सा के रिसर्च में अपना पूरा जीवन लगा दिया। उन्होंने बताया कि 2000 में उन्होंने आपसे संपर्क किया था जब उनके ब्रेन का ट्यूमर तेजी से बढ़ता जा रहा था। उस समय आप अनुसंधान कर रहे थे और कृषि विश्वविद्यालय में बतौर रिसर्च एसोसिएट काम कर रहे थे। आपके पारंपरिक ज्ञान के डॉक्यूमेंटेशन का काम उस समय भी जारी था। आपने उन्हें छत्तीसगढ़ के पारंपरिक चिकित्सकों के पास भेजा पर उनके ट्यूमर का बढ़ना लगातार जारी रहा। जब वे वहां से निराश होकर लौटे तो आपने उन्हें सुझाव दिया कि आप एक छोटा सा परीक्षण करना चाहते हैं जो कि जड़ी बूटियों के आधार पर होगा। जापान के वैज्ञानिक इस बात के लिए तैयार हो गए और जब उन्होंने परीक्षण कराया तब आपने बताया कि वे एक विशेष तरह की हेयर डाई का प्रयोग कर रहे हैं अपने बालों को रंगने के लिए। यदि वे इस हेयर डाई का प्रयोग कुछ समय के लिए रोक दे तो उनके ट्यूमर का बढ़ना रुक जाएगा। यह उनके लिए एक नई जानकारी थी। उन्होंने आपकी बात मानी और धीरे-धीरे उनके ट्यूमर का बढ़ना रुक गया। बाद में उन्होंने पाया कि उनके ट्यूमर का कारण यही था। इसका प्रयोग उन्होंने बाद में पूरी तरह से बंद कर दिया और इस तरह उनके ट्यूमर का अपने आप ही समाधान हो गया। उसके बाद वे आपसे मिलने के लिए एक बार और आए। उस समय वे थैलिडोमाइड नामक दवा पर काम कर रहे थे जिसके बारे में मैं चर्चा कर रहा हूं। वे चाहते थे कि इस दवा के दोषों को दूर करने के लिए क्या ऐसा कोई मिश्रण बनाया जा सकता है जिसमें Thalidomide को भी शामिल किया जाए और इसके दोषों को दूर करने वाली दवाओं को भी। इस क्षेत्र में वे आपकी सहायता चाहते थे। उस समय आप एक निजी शोध संस्थान में डायरेक्टर रिसर्च के पद पर काम कर रहे थे। आपने हमेशा की तरह उन्हें देश के विभिन्न पारंपरिक चिकित्सकों के पास भेजा पर पारंपरिक चिकित्सकों के लिए यह दवा अंजानी थी इसलिए उन्होंने किसी भी प्रकार का सुझाव नहीं दिया। आपने उन्हें अपने ज्ञान के आधार पर कई तरह के फॉर्मूलेशन सुझाए थे जिनका प्रयोग इस दवा के साथ करने से इस दवा का दोष पूरी तरह से ठीक हो जाता है। जापान के वैज्ञानिक ने इस पर लंबे समय तक क्लिनिकल ट्रायल किया पर किसी कारणवश इन ट्रायल के शोध परिणामों को प्रकाशित नहीं कर पाए। अगर वे इन शोध परिणामों को प्रकाशित कर देते तो आज यह जानलेवा समझी जाने वाली दवा दुनिया के लिए वरदान बन गई होती और बहुत सारी जानें बचाई जा चुकी होती। जापानी वैज्ञानिक द्वारा परीक्षित किए गए इन्हीं फॉर्मूलेशन के बारे में जानकारी मुझे आपसे चाहिए क्योंकि अब मुझे उन फॉर्मूलेशन की आवश्यकता है अपने कैंसर की चिकित्सा के अंतिम विकल्प के रूप में। एक वर्ष पूर्व उन जापानी वैज्ञानिक ने मुझे आपके बारे में जानकारी दी थी और इस दवा के दोष को हटाने वाले शोध के बारे में भी। मैंने उस समय ही आपसे संपर्क करने का प्रयास किया पर यह संभव नहीं हो पाया। जापानी वैज्ञानिक अब दुनिया में नहीं है इसलिए सारी जानकारी आपके पास ही सीमित है। उन्होंने अपने शोध के आधार पर जो शोध पत्र तैयार किए थे उनमें उन्होंने पूरी जानकारी प्रगट नहीं की है। वे अकादमिक महत्व के हैं पर असली जीवन में उनका प्रयोग करना उन शोध पत्रों के आधार पर संभव नहीं है। इस कार्य में जितना भी खर्च होगा मैं वहन करने को तैयार हूं। अगर आप कहे तो मैं भारत भी आ सकता हूं।" यूरोप के एक जाने-माने वैज्ञानिक ने जब मुझसे संपर्क किया तब मुझे सारा घटनाक्रम एक बार फिर से याद आ गया। मुझे याद आया कि मैंने 5 तरह के फॉर्मूलेशन बनाकर उन जापानी वैज्ञानिक को दिए थे परीक्षण के तौर पर। इनके कारगर होने पर मुझे भी पूरी तरह से यकीन नहीं था क्योंकि मैंने इस तरह के प्रयोग कभी नहीं किए थे। ये पांच फॉर्मूलेशन अलग-अलग प्रकार के थे। इनमें से एक फॉर्मूलेशन पारंपरिक औषधीय चावल पर था जिसमें 18 किस्म के देसी चावलों का प्रयोग किया गया था। दूसरा फॉर्मूलेशन मिलेट्स पर था। तीसरे फॉर्मूलेशन में वृक्ष की छालों का प्रयोग किया गया था। चौथे फॉर्मूलेशन में औषधीय कीटों का प्रयोग किया गया था और पाँचवे फॉर्मूलेशन में इन चारों फार्मूलेशन के कारगर घटकों का। मैंने उन जापानी वैज्ञानिक से कहा था कि ये फार्मूले अगर फायदा नहीं करेंगे तो इस बात की मैं गारंटी देता हूं कि ये नुकसान भी नहीं करेंगे। जब आपका शोध पूरा हो जाए तो मुझे यह जरूर बताइएगा कि इनमें से कौन सा फार्मूला पूरी तरह से कारगर रहा और यदि इसमें किसी भी प्रकार की कमी है तो वह किस प्रकार की कमी है? जापानी वैज्ञानिक लंबे समय तक मेरे संपर्क में रहे। एक बार सफलता मिलने पर मैंने उन्हें फार्मूले को और अधिक मजबूत बनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत अधिक सफलता मिल रही है पर खराब स्वास्थ होने के कारण वे इस पर ज्यादा ध्यान से शोध नहीं कर पा रहे हैं। यूरोप से जिन वैज्ञानिक ने संपर्क किया था मैंने उनकी रिपोर्ट देखी तो मुझे लगा कि उनकी हालत सचमुच बहुत खराब है। उनका कैंसर पूरे शरीर में फैल चुका है और उनके चिकित्सक अपने हाथ खड़े कर चुके हैं। अभी उनकी किसी भी तरह की चिकित्सा नहीं चल रही थी। मैंने उनसे पूछा कि इनमें से एक फार्मूला तो मैं आपको तैयार करके फिर से दे सकता हूं पर इसके लिए मुझे लंबा समय लगेगा। आपके पास अभी कितना समय है? आप कितने समय तक रुक सकते हैं? उन्होंने कहा कि मुझे तो तुरंत ही इस फार्मूले की जरूरत है पर आप अगर चाहे तो मैं दो-तीन महीनों का इंतजार कर सकता हूं। मैंने उन्हें कहा कि मेडिसिनल राइस पर आधारित इस फार्मूले का प्रयोग मैंने उस समय किया था। उसके सभी घटक मेरे पास उपलब्ध है पर नई फसल आने में कम से कम 90 दिनों का समय लगेगा। यदि आज के दिन से शुरुआत की जाए तो इसके लिए मेरे पास किसानों की एक पूरी टीम है और साथ में जमीन भी है। इन किसानों और मेरे बीच एक एनजीओ काम करेगा जोकि औषधीय चावल को उगा कर देगा। यदि आप 100 दिनों का इंतजार कर सकते हैं तो मैं आपको यह फार्मूला फिर से तैयार करके दे सकता हूं। ऐसा कह कर मैंने इस पूरे प्रोजेक्ट में आने वाले खर्चे की जानकारी उन वैज्ञानिक महोदय को दे दी। यह खर्च उनके लिए बड़ी बात नहीं थी। उनके शोध संस्थान ने इस प्रोजेक्ट को अपना लिया और एनजीओ के माध्यम से यह कार्य होने लगा। तकनीकी मार्गदर्शन मेरा था। 100 दिनों के बाद जब मैंने नई फसल से वह फार्मूला तैयार किया और उन्हें भेजा तो इस फार्मूले को प्राप्त करते ही वे इसका प्रयोग करने लगे। प्रयोग शुरू करने के 15 दिनों के बाद में उन्होंने Thalidomide दवा का प्रयोग करना शुरू किया। बाद में उन्होंने मुझे बताया कि इससे दवा के दोष काफी हद तक कम हो गए और उन्हें कैंसर से लड़ने में मदद मिलने लगी। उनका प्रयोग अभी भी जारी है और वे लगातार मेरे संपर्क में बने हुए हैं। उन्होंने अपने शिष्यों को इन शोध परिणामों के प्रकाशन के कार्यों में लगाया है ताकि फिर से वही गलती न हो जो कि जापानी वैज्ञानिक ने की थी। उन्होंने अपने महत्वपूर्ण शोध को अगली पीढ़ी तक नहीं पहुंचाया। हाल ही में उन्होंने लिखा कि एक अंतरराष्ट्रीय दवा कंपनी इस प्रोजेक्ट में रुचि ले रही है और जल्दी ही वह आपसे संपर्क करेगी। मैंने उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने मुझे शुभकामनाएं दी। सर्वाधिकार सुरक्षित

Comments

Popular posts from this blog

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)