Consultation in Corona Period-202
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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया
"शादी के बाद जब हम अपने गुरु महाराज से मिलने गए तो उन्होंने हमें आशीर्वाद दिया और फिर हमारी कुंडली देखी। उसके बाद कहा कि आगे आने वाले जीवन में समस्या हो सकती है इसलिए बेहतर होगा कि हम लोग हिमाचल जाएं। वहां के एक वैद्य से मिले और आगे के सुखी जीवन के लिए उनसे एक विशेष तरह का तरह का फार्मूला लें। उस फार्मूले का प्रयोग फिर च्यवनप्राश और दूध के साथ लंबे समय तक करें ताकि वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह की कोई समस्या न हो। हमने उनका धन्यवाद किया और फिर उसी समय हिमाचल जाकर उन वैद्य से मिले जिन्होंने हमारा नाड़ी परीक्षण किया और उस आधार पर उन्होंने एक फार्मूला बना कर दिया जिसका प्रयोग मुझे और मेरी पत्नी को सुबह-शाम करना था।
हमें बताया गया कि इस फार्मूले का प्रयोग लंबे समय तक चलेगा इसलिए एक बार में उन्होंने 6 महीने की दवा दी और फिर कहा कि इसके बाद जब हम अगली बार आएंगे तो हमें 2 साल की दवा एक साथ दे दी जाएगी। हमने उनका धन्यवाद किया और वापस लौट कर नियमित रूप से दवा का प्रयोग करते रहे। 6 महीने बाद जब हम उनसे फिर से मिले तो उन्होंने कहा कि अब दोनों की समस्या का काफी हद तक समाधान हो गया है और यह संतान उत्पत्ति का सबसे अच्छा समय है। हमने सारे प्रयास शुरू कर दिए पर सारे प्रयास कुछ महीनों में ही बेकार साबित होने लगे। धीरे-धीरे 1 साल बीत गया।
आस पड़ोस के लोग तरह-तरह की बातें करने लगे। रिश्तेदार प्रश्न पूछने लगे। हमारे माता पिता हमसे बार-बार यह कहते रहे कि यदि किसी तरह की समस्या हो तो वे समाधान करने के लिए तैयार हैं पर उन्हें जल्दी ही बच्चों का मुंह देखना है। हमारे ऊपर दबाव बढ़ता गया। हम एक बार फिर से हिमाचल के वैद्य से मिलने गए तो उन्होंने कहा कि आपको तो किसी प्रकार की समस्या नहीं है। पता नहीं क्यों संतानोत्पत्ति की समस्या हो रही है? उन्होंने उसी फार्मूले के प्रयोग को जारी रखने का सुझाव दिया। जब उन्होंने किसी तरह की नई दवा नही दी तो हमने अपने मित्रों की सलाह पर देश के बड़े शहरों के चिकित्सकों से संपर्क किया जिन्होंने कई तरह की जांच करवाई। एक ही तरह की जांच हमें कई बार करानी पड़ी और उस आधार पर उन्होंने कई प्रकार की दवाएं दी पर समस्या जस की तस रही।
इसके बाद एक के बाद एक फर्टिलिटी क्लिनिक में जाने का दौर शुरू हुआ जो आज तक चल रहा है। आज शादी के 5 साल बाद भी हमारी कोई संतान नहीं है और अब हम पूरी तरह से उम्मीद छोड़ चुके हैं। हिमाचल के वैद्य जी की दवा चल रही है जिससे हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है। हम मौसम बदलने पर बार बार बीमार नहीं पड़ते हैं और यह हमें अभी तक डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी होने नहीं दे रहा है। हां, हम दोनों डिप्रेशन में अवश्य है। यह डिप्रेशन उसी चिंता के कारण है। हमने कई मंदिरों की यात्राएं की। दरगाह पर गए। विशेष प्रार्थनाएं करवाई। यज्ञ किए। और भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए पर किसी भी तरह से हमें माता-पिता बनने का सुख नहीं मिल सका।
हमने आज आपकी 16 घंटों की एक फिल्म देखी जो कि इनफर्टिलिटी पर आधारित थी और इसमें आपने देश की पारंपरिक चिकित्सा में प्रयोग किए जाने वाले मेडिसिनल राइस के बारे में विस्तार से बताया है। इस फिल्म को देखने के बाद हमारे मन में इच्छा जागी कि हो सकता है कि मेडिसिनल राइस का प्रयोग करने से हमारी इस समस्या का स्थाई रूप से समाधान हो जाए। हमें केवल एक ही बच्चा चाहिए। उसके बाद हम किसी भी तरह की कोशिश नहीं करेंगे।" उत्तर भारत की युवा दंपत्ति ने जब मुझसे संपर्क किया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। मुझे अपनी सारी रिपोर्ट दिखाइए और यह भी बताइए कि इतने लंबे समय में उन्होंने किन तरह की दवाओं का प्रयोग किया और अभी वे किस दवा का प्रयोग कर रहे हैं।
उन्होंने रिपोर्ट दिखाई तो उसमें कुछ भी विशेष नहीं दिखाई दिया। सभी रिपोर्ट सामान्य थी और उनके चिकित्सकों ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि समस्या का मूल कारण नहीं पता चल रहा है इसीलिए लक्षणों के आधार पर और अनुभव के आधार पर दवाएं दी जा रही हैं। मुंबई के चिकित्सकों ने दंपत्ति की पूरी तरह से जांच की थी और उन्हें पूरी तरह से फिट पाया था। फिर भी ऐसी समस्या का होना उनके लिए भी आश्चर्य का विषय था। ऐसा रिपोर्टों को पढ़ने से लगता था।
मैंने युवा दंपत्ति की अनुमति से उन दोनों के पैरों के तलवों पर जड़ी बूटियों का लेप लगाया और फिर उस लेप की प्रतिक्रिया का इंतजार करने लगा। इस बीच उन्होंने यह शिकायत की कि उनके कान में तेज खुजली हो रही है विशेषकर दाहिने कान में। मैंने उनसे पूछा कि क्या यह खुजली हमेशा होती है या इस परीक्षण के दौरान ही हो रही है तो उन्होंने बताया कि नहाते समय अक्सर कान में पानी चला जाता है इसलिए ऐसी खुजली उन्हें होती रहती है पर अभी यह खुजली असहनीय है।
मैंने कुछ समय के लिए परीक्षण रोक दिया तब उन्होंने बताया कि अब उन्हें बिल्कुल भी खुजली नहीं हो रही है। जब परीक्षण फिर से शुरू किया गया तो फिर उन्हें खुजली होने लगी और उनका दाहिना कान गर्म हो गया। जब मैंने अपने डेटाबेस का अध्ययन किया तो मुझे ऐसे लक्षण के लिए जिम्मेदार कारकों के बारे में पता चला और उस आधार पर मैंने उनसे पूछा कि क्या आप अभी वैद्य जी की दवा का प्रयोग कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हां, हम अभी भी उस दवा का प्रयोग कर रहे हैं। जब मैंने उनके वैद्य जी से बात की और उनके फार्मूले के बारे में विस्तार से जानकारी ली तो मुझे फार्मूले में एक बड़ा दोष नजर आया।
मैंने युवा दम्पत्ति से कहा कि वे कुछ समय के लिए इस फार्मूले का प्रयोग करना रोक दें। कम से कम 15 दिन के लिए और उसके बाद संतानोत्पत्ति के प्रयास करें।
मुझे उम्मीद है कि उनकी समस्या का पूरी तरह से समाधान होगा। उन्होंने वैद्य जी की दवा बंद करने से साफ शब्दों में इंकार कर दिया और कहा कि यह गुरु महाराज का आदेश है और इस आदेश की अवहेलना हम नहीं कर सकते हैं। अगर आप चाहे तो हम आपकी बात गुरु महाराज से करवा सकते हैं। मैं इस बात के लिए तैयार हो गया।
जब गुरु महाराज से बात हुई तो उन्होंने कहा कि इस फार्मूले का प्रयोग तो हम पीढ़ियों से कर रहे हैं और मुझे इस फार्मूले में किसी भी प्रकार का दोष नजर नहीं आता है। मैंने उन्हें विस्तार से बताया कि इस फार्मूले में चाइना रूट नामक एक वनस्पति का प्रयोग किया जाता है तो उन्होंने सहमति जताई कि हां, इसमें मुख्य घटक के रूप में चाइना रूट का ही प्रयोग किया जाता है। मैंने उनसे कहा कि चाइना रूट पर आधारित यह फार्मूला बेहद कारगर है और पूरी तरह से दोष से रहित है। पर इस फार्मूले में चाइना रूट के ताजे और छोटे कंद का इस्तेमाल करने की बजाय पुराने और बड़े कंद का इस्तेमाल किया गया है जिससे कि शरीर में त्रिदोष उत्पन्न हो जाता है। इसके कारण ही संतानोत्पत्ति में बाधा पहुंचती है -ऐसा भारत के पारंपरिक चिकित्सक कहते हैं। आप यह सुनिश्चित करें कि इसमें क्या पुराने कंद का उपयोग किया गया है? गुरु महाराज ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि वे इस बात की जांच करवाएंगे और फिर फोन करेंगे।
जब उनका फिर से फोन आया तो उन्होंने बताया कि उस फार्मूले में पुराने कंद का उपयोग किया जा रहा है। नए और ताजे कंद का उपयोग नहीं किया जा रहा है। आपकी बात सही है।
अब समस्या का समाधान पूरी तरह से नजर आने लगा था। मैंने गुरु महाराज से कहा कि आप वैद्य जी से कहे कि वे ताजे कंद का प्रयोग करें तो इससे उनके फार्मूले का दोष पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। वे इस बात के लिए तैयार हो गए और सबसे पहले उन्होंने युवा दंपत्ति से कहा कि वे मेरे निर्देशानुसार इस फार्मूले का प्रयोग एक महीने तक रोक कर देखें तब तक वे इस फार्मूले में सुधार करने की कोशिश करने का दबाव वैद्य जी पर बनाए रखेंगे।
जल्दी ही युवा दंपत्ति की ओर से खुशखबरी आ गई। इससे गुरु महाराज का विश्वास और बढ़ गया। उन्होंने अपने सभी शिष्यों से कह दिया कि वे इस फार्मूले का प्रयोग तुरंत रोक दें जब तक कि नए रूप में यह फार्मूला नहीं बन जाता है। जब फार्मूले के दोष को दूर किया गया तो गुरु महाराज ने मुझे उस फार्मूले को भेजा और जब मैंने उसका वैज्ञानिक विधि से परीक्षण किया तो उसे पूरी तरह से दोषरहित पाया।
बाद में गुरु महाराज ने बताया कि उन्होंने पिछले कई सालों में 500 से अधिक शिष्यों को इस फार्मूले के प्रयोग की सलाह दी थी। उनमें से अधिकतर शिष्य अभी तक नि:संतान है। अब उन्हें समझ में आ रहा है कि इस समस्या की जड़ क्या है?
वैद्य जी ने भी फोन किया और कहा कि उनके पिताजी हमेशा पुराने कन्दों का उपयोग करने से मना करते थे और नए कंद का ही प्रयोग करते थे पर मैंने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया जिससे उनका फार्मूला बिगड़ गया और न जाने उनके कितने मरीजों को इससे हानि हुई होगी।
उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया। सभी ने राहत की सांस ली।
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