Consultation in Corona Period-177

 Consultation in Corona Period-177

Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"पर पद में रहते हुए तो आपने 'सहारा समय' को दिए हुए इंटरव्यू में कहा था कि मेरा शोध कार्य प्रमाणिक नहीं है। अब आप चाहते हैं कि आपके प्रोस्टेट कैंसर की अंतिम अवस्था में मैं आपकी मदद करूं।" मैं छत्तीसगढ़ के एक आला वन अधिकारी से बात कर रहा था जो कि अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं और पड़ोस के राज्य में रहते हैं।

 उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि पद में रहते हुए मैंने आपके शोध कार्यों को प्रमाणिक मानने से इनकार कर दिया था पर यह हमारी मजबूरी थी। आपने बिना किसी सरकारी और गैर-सरकारी सहायता के इतना अधिक शोध कार्य किया है। हजारों घंटों की फिल्में बनाई है और करोड़ों पन्नों की किताबें लिखी हैं। इतना काम यदि सरकारी स्तर पर होता तो करोड़ों रुपए खर्च हो जाते पर फिर भी शायद ही ऐसा काम हो पाता। यदि हम आपके कार्य को प्रमाणिक कहने लग जाते तो हमारे ऊपर उंगली उठ जाती कि आप लोग इतनी ज्यादा तनख्वाह लेकर और इतने सारे प्रोजेक्ट लेकर आखिर क्यों नहीं इतना काम कर पा रहे हैं? इसी से बचने के लिए पद में रहते हुए हम लगातार यही कहते रहे कि आपका कार्य प्रमाणिक नहीं है पर मन ही मन हम जानते हैं कि आपने गहन शोध किया है और वह भी बिना किसी आर्थिक सहायता के। आपने तो देश के करोड़ों रुपए बचा लिए हैं।

 मैंने उनसे कहा कि मैं तो यूं ही कह रहा था। यह अच्छी बात है कि आपने स्वीकार लिया कि मेरा शोध कार्य प्रमाणिक है। मैं आपकी मदद करूंगा। आप मुझे अपनी सारी रिपोर्ट भेजें।

जब उनकी सारी रिपोर्ट आई और मैंने उनका अध्ययन किया तो मुझे पता चला कि उन्हें अंतिम अवस्था का प्रोस्टेट कैंसर है और कीमोथेरेपी के उपाय अब असफल साबित हो चुके हैं।

 मैंने उनसे कहा कि आप यदि संभव हो तो रायपुर आ जायें ताकि मैं जड़ी बूटियों का लेप आपके तलवों में लगाकर यह जान सकूं कि आपकी जीवनी शक्ति कितनी है और आपके स्त्रोत कितने खुले हुए हैं। उसी आधार पर मैं आपको उचित परामर्श दे पाऊंगा। वे इस बात के लिए तैयार हो गए और अगले ही हफ्ते मुझसे मिलने रायपुर आ गए। 

जैसे ही वे मेरे घर के दरवाजे पर पहुंचे मैंने झुक कर उनका चरण स्पर्श किया और उनसे कहा कि मैंने आपसे जीवन में बहुत कुछ सीखा है। यदि पद में रहते हुए मैं यह चरण स्पर्श आपको करता तो आप सोचते कि इसमें मेरा किसी प्रकार का स्वार्थ है इसलिए जब आप पद पर नहीं है तब मैं आपके चरण स्पर्श कर रहा हूं ताकि मैं आपको दिल से धन्यवाद दे सकूं।

 उन्हें मेरे इस तरह के व्यवहार की अपेक्षा नहीं थी।

 जब मैंने उनके पैरों के तलवों में जड़ी बूटियों का लेप लगाया और आरंभिक प्रतिक्रिया देखने लगा तो मैंने देखा कि उनके हाथों के पंजों में लालिमा आ गई है।

 मैंने उनसे पूछा कि क्या अभी भी आप चाय के बहुत शौकीन है और दिन में कई कप चाय पी जाते हैं तो उन्होंने कहा कि हां, रिटायरमेंट के बाद भी मेरा चाय का शौक पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है बल्कि और परवान चढ गया है।

 फिर मैंने पूछा कि आप अभी भी उन पारंपरिक चिकित्सक की दवा ले रहे हैं जो कि सरई की छाल का प्रयोग करते हैं डायबिटीज की चिकित्सा के लिए तो उन्होंने कहा कि हां, वह मेरे प्रिय पारंपरिक चिकित्सक है और सरई की छाल पर आधारित नुस्खे का प्रयोग मैं लंबे समय से कर रहा हूं अपनी मधुमेह की समस्या के लिए।

 मैंने याद करते हुए उनसे कहा कि आपने इन पारंपरिक चिकित्सक को बहुत नाम दिलवाया। देश-विदेश की सैर करवाई और कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से भी नवाजा। उन्होंने पूछा कि जड़ी बूटियों के परीक्षण से मुझे किस तरह के परिणाम मिले हैं?

मैंने उन्हें बताया कि इस परीक्षण से यह पता चला कि एक विशेष प्रकार की वनस्पति के कारण आपको इस तरह की समस्या हो रही है। यदि आप उस वनस्पति का प्रयोग ठीक से करना शुरू करें तो आपके प्रोस्टेट के कैंसर की समस्या काफी हद तक सुधर सकती है। मैंने उन्हें खुलासा करते हुए बताया कि आप जिन पारंपरिक चिकित्सक से डायबिटीज की दवा लेते हैं वे सरई के वृक्ष की छाल का उपयोग करते हैं पर उसका ठीक तरह से शोधन नहीं करते हैं। अगर वे इसका ठीक तरह से शोधन करेंगे तो उनका फार्मूला पूरी तरह से दोषमुक्त हो जाएगा। मैंने उन्हें कई बार मिलकर यह समझाने की कोशिश की कि आपके फार्मूले में दोषपूर्ण सरई के वृक्ष की छाल का प्रयोग करने से कई तरह की बीमारियों को प्रश्रय मिलता है और कई प्रकार के कैंसर तेजी से फैलने लग जाते हैं। इनमें प्रोस्टेट का कैंसर भी एक है पर पता नहीं क्यों उन्होंने हर बार मेरी बात को अनसुना कर दिया और हर साल मेरे पास ऐसे दसों मामले आते हैं जो कि उनकी दवा लेने के बाद बिगड़ गए होते हैं।

 मैंने अधिकारी महोदय से कहा कि आप इस फार्मूले का प्रयोग करना बंद कर दें तो 15 से 20 दिनों में आपको प्रोस्टेट की समस्या का समाधान होता दिखेगा। यदि आप इस फार्मूले को बंद नहीं करना चाहते हैं तो फिर सरई के वृक्ष की छाल को ठीक तरह से शोधित करें। इस शोधन में 3 से 4 महीनों का समय लगता है पर एक बार शोधन हो जाने के बाद फार्मूला पूरी तरह दोषमुक्त हो जाता है फिर आप इसका प्रयोग जारी रख सकते हैं और आपको प्रोस्टेट की किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी। इन दोनों विकल्पों में चुनाव आपको करना है। 

वे बड़े आश्चर्य से मेरी ओर देखते रहे और कहा कि मैंने तो अब तक हजारों लोगों को उन पारंपरिक चिकित्सक के पास भेजा है डायबिटीज के चिकित्सा के लिए। उनका फार्मूला डायबिटीज में तो बड़े अच्छे से काम करता है। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने भी इस फार्मूले को परखा है।

 मैंने कहा कि आपकी बात सही है। उनके फार्मूले में कोई दोष नहीं है, इसे बनाने की प्रक्रिया में दोष है। इस फार्मूले के कारण कई प्रकार के जटिल रोगों को बढ़ावा मिलता है जैसा कि मैंने आपको पहले भी बताया। काफी देर तक सोचने के बाद उन्होंने निश्चय किया कि वे पारंपरिक चिकित्सक के फार्मूले को 1 महीने तक बंद करके देखेंगे और फिर उसके बाद अपने प्रोस्टेट की जांच कराएंगे। उन्होंने 1 महीने बाद परामर्श का फिर से समय लिया।

 1 महीने के बाद वे फिर से जब मेरे पास आए तो उनकी प्रोस्टेट की समस्या काफी हद तक सुलझ चुकी थी। उनके कैंसर का फैलना रुक चुका था और उनके कीमोथेरेपी विशेषज्ञ कह रहे थे कि वे अब फिर से चिकित्सा के उपाय कर सकते हैं। उन्हें अब वापसी की संभावना दिख रही है।

 अधिकारी महोदय ने यह बताया कि उन्होंने पारंपरिक चिकित्सक को कड़े शब्दों में इस बारे में बताया और उन से अनुरोध किया कि वे अपने फार्मूले को ठीक ढंग से बनाये अन्यथा वे अपने मित्रों से कहकर उनकी दुकान बंद करवा देंगे। इस धमकी का पारंपरिक चिकित्सक पर असर हुआ। 

उन्होंने बताया है कि अब पारंपरिक चिकित्सक सरई के वृक्षों की छाल का सही रूप से शोधन कर रहे हैं और उसके बाद ही इस फार्मूले को किसी को दे रहे हैं। उन्होंने मेरी बात पारंपरिक चिकित्सक से भी कराई और जब उन्होंने शोधन की सही विधि बताई तो मुझे इस बात की तसल्ली हो गई कि अब उनका फार्मूला पूरी तरह से दोषमुक्त हो गया है। 

मैंने अधिकारी महोदय से कहा कि अब आप इस फार्मूले का प्रयोग अपनी डायबिटीज के लिए कर सकते हैं। इससे आपको प्रोस्टेट की किसी भी तरह की समस्या नहीं होगी। 

मैंने उन्हें रागी पर आधारित एक नुस्खा भी सुझाया और कहा कि इसका प्रयोग वे भोजन के साथ कर सकते हैं। इससे उन्हें प्रोस्टेट की समस्या से लड़ने में सहायता मिलेगी और कीमोथेरेपी की दवाई अधिक प्रभावी रूप से काम कर सकेंगी।

 उन्होंने धन्यवाद दिया। मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। 


सर्वाधिकार सुरक्षित


Comments

Popular posts from this blog

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)