Consultation in Corona Period-192

Consultation in Corona Period-192 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया "मुंबई के अस्पताल ने पिताजी को अब घर भेज दिया है। उन्हें अंतिम अवस्था का लंग कैंसर है। अब उनकी सभी तरह की दवाएं बंद हो चुकी है। बस्तर के एक पारंपरिक चिकित्सक से हम दवा ले रहे थे। उन्होंने भी अब कह दिया है कि अब उनकी दवा पिताजी पर किसी भी तरह का कोई असर नहीं करेगी। हम पिताजी को धर्मशाला भी लेकर गए थे पर वहां से भी हमें निराशा ही हाथ लगी। यह अंतिम अवस्था का कैंसर है इसलिए कोई भी डॉक्टर चाहे वह किसी भी पद्धति का हो पिताजी को नहीं देखना चाहता है और हमसे कहा गया है कि हम अब उनकी देखभाल करें और जो उनकी इच्छा है उसकी पूर्ति करें। अब उनके बचने की किसी भी तरह से कोई संभावना नहीं है। हमने आपकी बहुत सारी फिल्में देखी यूट्यूब पर। ये फिल्में लंग कैंसर की अंतिम अवस्था के लिए उपयोग में आने वाले हर्बल फॉर्मूलेशन के बारे में आपने बनाई हैं और बताया है कि देश की पारंपरिक चिकित्सा में अंतिम अवस्था तक पारंपरिक चिकित्सक कोशिश करते रहते हैं और कभी भी हार नहीं मानते हैं। जब सारी कोशिशें विफल हो जाती हैं तो भी वे प्रयास करने पर बल देते हैं और बहुत से मामलों में रोगियों की जान बच जाती है। उनका जीवन कुछ समय के लिए बढ़ जाता है। उनके कष्ट कम हो जाते हैं पर जब बस्तर के पारंपरिक चिकित्सक ने भी हाथ खड़े कर दिए तो हम बहुत निराश हो गए। हमें लगा कि एक बार आपसे मिलना चाहिए। हो सकता है कि आप हमें किसी पारंपरिक चिकित्सक का पता दे सके जो कि इस अवस्था में पिताजी की चिकित्सा कर सके। कम से कम उनको हो रहे कष्टों से उन्हें अस्थाई ही सही पर आराम पहुंचा सके। यह अंतिम अवस्था का कैंसर है इसलिए फेफड़े के अलावा शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल चुका है। दर्द से वे बहुत परेशान हैं। मार्फिन जैसे पेन किलर भी उनके ऊपर कम ही असर कर रहे हैं। हमने आपकी फीस जमा कर दी है और आपके आने-जाने की व्यवस्था कर दी हैं। आपको हमारे शहर आने में 8 घंटों का समय लगेगा पर हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप उचित मार्गदर्शन देंगे।" मध्य भारत के एक सज्जन का जब यह फोन आया तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। मैंने उनके पिताजी की सारी रिपोर्ट देखी और उसके आधार पर कई पारंपरिक चिकित्सकों से संपर्क किया पर सभी पारंपरिक चिकित्सकों ने कहा कि इस अवस्था में मरीज को अपने पास रखना संभव नहीं है और वे उन दवाओं के बारे में भी कम ही जानते हैं जो इस अवस्था में किसी भी स्तर पर राहत पहुंचा सके। मुझे उन बुजुर्ग पारंपरिक चिकित्सकों की याद आई जो कि ऐसे समय में कभी भी मुझे मना नहीं करते थे। अब बागडोर युवा पारंपरिक चिकित्सकों के हाथ में थी जो कि किसी भी गंभीर केस में हाथ नहीं डालते हैं और साफ शब्दों में मना कर देते हैं। मध्य भारत से आए सज्जन ने मुझसे अनुरोध किया कि मैं यदि विशेष तरह के मेडिसिनल राइस उन्हें दे सकूं तो भी बहुत बड़ी मदद होगी। हो सकता है इससे पिताजी की समस्या कुछ हद तक के ठीक हो जाए। मैंने उन सज्जन से कहा कि मेडिसिनल राइस देने में किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं है पर यदि उनके परीक्षण के बाद मैं इन मेडिसिनल राइस का अनुमोदन करूं तो यह ज्यादा कारगर होगा। मैं आपके शहर आने को तैयार हूं। आपने जो फीस जमा की है उस फीस में मेरे आने-जाने का खर्च और वहां ठहरने का खर्च शामिल है। इसके लिए आपको अलग से पैसे देने की जरूरत नहीं है। निश्चित समय पर मैं आपके घर पहुंच जाऊंगा। इतना कहकर मैंने अपनी बात पूरी की। सज्जन ने धन्यवाद दिया और वे वापस लौट गए। लंबी यात्रा करके मैं देर शाम जब सज्जन के घर पहुंचा तो उनके पिताजी प्राणायाम कर रहे थे। मुझे इस बात की प्रसन्नता हुई कि कैंसर की इस अवस्था में भी उन्होंने अपना नियमित योगाभ्यास नहीं छोड़ा था। उन्हें बहुत उम्मीद थी कि उनके इस योगाभ्यास से उनकी समस्या का कुछ हद तक समाधान हो जाएगा। प्राणायाम के बाद मैंने उनके पैरों में जड़ी बूटियों का लेप लगाया और उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार करने लगा। कुछ समय बाद प्रतिक्रिया आने लगी तो उनके कैंसर के कारण का पता लगने लगा। पुष्टि के लिए मैंने उनके पिता जी से पूछा कि क्या आप लंबे समय तक किसी केमिकल फैक्ट्री में काम करते रहे हैं या किसी खदान में? उन्होंने कहा कि न तो उन्होंने जीवन में कभी किसी केमिकल फैक्ट्री में काम किया न ही खदान में। मैंने कहा कि आपका परीक्षण करने से मुझे बार-बार यह लग रहा है कि शरीर में कोई घातक रसायन है जिसके कारण आपको यह कैंसर हुआ है और इस रसायन के संपर्क में आप लंबे समय तक रहे हैं। यही कारण है कि कैंसर इतना अधिक फैल चुका है। यह परीक्षण इस बात की ओर इशारा तो कर रहा है पर वह यह नहीं बता पा रहा है कि वह कौन सा घातक रसायन है। इसके बारे में आप ही जानकारी दे सकते हैं। उन सज्जन की पत्नी ने कहा कि ससुर जी, जिंदगी भर मलेरिया नियंत्रण विभाग में काम करते रहे हैं और जिंदगी भर उन्होंने केवल एक ही काम किया है और वह है फागिंग मशीन से दवाओं का छिड़काव करना ताकि मच्छरों पर काबू पाया जा सके। अब बात कुछ कुछ समझ में आ रही थी। मैंने उनसे कहा कि जब आपने इसका प्रयोग किया होगा तब आपने सारे सुरक्षा उपाय अपनाए होंगे। अपने मुंह को बांध के रखा होगा और पूरे शरीर को ढक कर रखा होगा क्योंकि फागिंग मशीन में एक कीटनाशक का प्रयोग होता है जो कि मच्छरों के नर्वस सिस्टम को खराब कर देता है और मच्छर मर जाते हैं। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने नौकरी की शुरुआत की थी तब वे इन सभी सुरक्षा उपायों को अपनाते थे पर जब बाद में उन्हें बताया गया कि इसमें बहुत कम मात्रा में कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है और कीटनाशक की इतनी मात्रा मनुष्यों के लिए नहीं है बल्कि मच्छरों के लिए है तो फिर हम लोगों ने उन उपायों को छोड़ दिया और स्वतंत्र होकर फागिंग मशीन चलाने लगे। उनकी बात सुनकर मैंने कहा कि यह बात तो सही है कि कीटनाशक का बहुत कम मात्रा में प्रयोग किया जाता है पर यह भी कहा जाता है कि कीटनाशक का बहुत कम मात्रा में प्रयोग किया जा रहा है इस बात का पता ऐसे चलता है कि जब फागिंग मशीन से छिड़काव किया जाता है तो रसायन की बिल्कुल भी बास नहीं आती है। इस पर सज्जन के पिता जी ने कहा कि बदबू तो बहुत आती है तब मैंने कहा कि अगर बदबू आती है इसका मतलब अनुमोदित मात्रा से अधिक मात्रा में कीटनाशकों का प्रयोग किया गया है और इससे लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सहयोगी संगठन जो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कैंसर पर अनुसंधान करता है, ने अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है कि फागिंग में प्रयोग किए जाने वाले कीटनाशक कैंसर के संभावित कारण हो सकते हैं और अब आप जब यह बता रहे हैं कि आपने अनुमोदित मात्रा से अधिक मात्रा में जिंदगीभर फागिंग मशीन का उपयोग किया जिसमें इस कीटनाशक को डाला गया था तो संभवत आपके कैंसर का कारण यही कीटनाशक है। मैंने उन्हें यह भी बताया कि वैज्ञानिक इस बारे में एकमत नहीं है कि फागिंग मशीन का उपयोग करने से मच्छरों पर किसी तरह का नियंत्रण होता है। फिर फागिंग मशीन का उपयोग करते समय आम जनता के स्वास्थ पर ध्यान नहीं दिया जाता है। अधिकतर स्थानों पर अधिक मात्रा में कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है जिसके संपर्क में न केवल मच्छर बल्कि मनुष्य को लाभ पहुंचाने वाले छोटे जीव भी आते हैं जो कि मच्छरों के साथ ही खत्म हो जाते हैं। साथ ही फागिंग की जद में न केवल छोटे बच्चे आते हैं बल्कि गर्भावस्था में रहने वाली महिलाएं भी आती हैं और कीटनाशकों से उनको बहुत ज्यादा हानि होती है। बहुत तरह के कैंसर इन कीटनाशकों के प्रभाव से तेजी से फैलने लग जाते हैं और आम जनता यह विश्वास नहीं कर पाती है कि फागिंग के कारण उनकी समस्या में इस तरह से बढ़ोतरी हो रही है। मैंने हजार से अधिक ऐसे मामलों के बारे में लिखा है जिसमें कि बुजुर्गों पर इस फागिंग मशीन का बुरा असर पड़ा और उनकी दिमाग संबंधी समस्याएं उग्र हो गई। डिमेंशिया की समस्या एक ऐसी समस्या है जो कि इन कीटनाशकों के प्रति विशेष रूप से संवेदी है। उनके पिताजी बड़े ध्यान से मेरी बात सुनते रहे। उन्हें अब पछतावा हो रहा था कि क्यों नहीं उन्होंने सुरक्षात्मक उपायों के साथ में फागिंग मशीन का उपयोग किया जीवन भर। उन्होंने बताया कि शाम को उनकी समस्या बढ़ जाती है। अब उसका कारण उन्हें समझ में आ रहा है क्योंकि मोहल्ले में फागिंग मशीन का प्रयोग होता है और जब एक बार फिर वही रसायन उनके फेफड़े में जाता है तो उनका कैंसर तकलीफ देने लग जाता है। रात भर इस तकलीफ के कारण वे सो नहीं पाते हैं। मैंने उन सज्जन से कहा कि अब मैं मेडिसिनल राइस का अनुमोदन कर सकता हूं। इन मेडिसिनल राइस के प्रयोग से धीरे-धीरे ही सही पर कुछ सालों में इनकी स्थिति में सुधार होने की संभावना है। आपको असीम धैर्य रखना होगा और बीच-बीच में चिकित्सकों से जांच करवानी होगी। वे वापस उसी अवस्था में आ जाएंगे जबकि चिकित्सकों ने उनकी चिकित्सा करना जारी रखा था। एक बार उस अवस्था में आने से फिर आधुनिक चिकित्सा के उपाय वे अपना सकते हैं जिससे कि आने वाले कई सालों में वे फिर से कैंसर से मुक्त हो सकते हैं। उन सज्जन के पिताजी की आंखों में चमक आ गई और उन्होंने कहा कि वे नियमित रूप से मेडिसिनल राइस का प्रयोग करेंगे और एक दिन का भी अन्तराल नहीं करेंगे। उन्हें 5 तरह के मेडिसिनल राइस देकर मैं वापस आ गया और यह भी कहा कि 24 घंटे में कभी भी किसी भी प्रकार की समस्या हो तो वे बिना किसी परेशानी के मुझसे संपर्क कर सकते हैं। मैंने उनकी फीस भी आधी कर दी ताकि उनको अगली बार अपॉइंटमेंट लेने में किसी भी तरह से परेशानी न हो। साथ ही उन्हें यह भी आश्वस्त किया कि जब भी वह अपॉइंटमेंट मांगेंगे मैं उसी दिन अपॉइंटमेंट देने की कोशिश करूंगा। आज 4 सालों बाद उन्होंने एक बार फिर से फोन किया और बताया कि अब कीमोथेरेपी के चिकित्सा करने वाले चिकित्सक कह रहे हैं कि वे चिकित्सा करने के लिए तैयार हैं। पिताजी की हालत में बहुत सुधार हुआ है। उन्हें उम्मीद है कि वे धीरे-धीरे इस कैंसर से मुक्त हो जाएंगे। मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी और कहा कि वे कीमोथेरेपी एक्सपर्ट की बात माने और जल्दी ही पिताजी को इस घातक रोग से मुक्त कराएं। मैंने उन्हें भी विशेष धन्यवाद दिया और कहा कि आज के युग में पिताजी के लिए बहुत कम लोग ही इतने धैर्य का परिचय देते हैं और इतने मन से सेवा करते हैं। सर्वाधिकार सुरक्षित

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