मुँह के कैंसर में माजूफल युक्त पेस्ट या मंजन, मुश्किल करे कैंसर प्रबन्धन

मुँह के कैंसर में माजूफल युक्त पेस्ट या मंजन, मुश्किल करे कैंसर प्रबन्धन
पंकज अवधिया   

कैंसर में मुख्य दवा के साथ-साथ खान-पान पर भी ध्यान देना जरूरी है.  आपके प्रश्न बहुत सारे हैं . मैं एक -एक करके आपको जवाब दूंगा.

आपको मुँह का कैंसर है और अभी यह आरम्भिक अवस्था में है. आपकी आधुनिक चिकित्सा चल रही है और साथ में आपने अपने खान-पान पर भी विशेष ध्यान देने का मन बनाया है ताकि आप इस महारोग से जल्दी से मुक्त हो सकें.

सुबह पांच बजे से रात दस बजे तक आप जो आहार ग्रहण करते हैं उसके बारे विस्तार से जानकारियाँ लेकर आये हैं और आपके प्रश्न इन्ही पर आधारित हैं. मैं आपकी मदद करूंगा.
      
आपने बताया कि आप दिन की शुरुआत हर्बल टूथपेस्ट से करते हैं. आप इसे साथ लेकर आये हैं.  मैंने इस पेस्ट में प्रयोग किये जा रहे घटकों को देखा है. इसमें माजूफल का प्रयोग किया गया है. चलिए पहले इसी पर चर्चा केन्द्रित करते हैं.

माजूफल का प्रयोग पीढीयों से दंत रोगों के लिए हो रहा है. हमारे देश के पारम्परिक कैंसर विशेषज्ञ  मुँह के कैंसर से प्रभावित रोगियों को मंजन में  माजूफल के प्रयोग की अनुमति नही देते हैं.  सामान्य मनुष्यों को भी लम्बे समय तक इसके इस्तमाल से बचने की सलाह देते हैं.

माजूफल का प्रयोग मसूड़ों को कसा हुआ बना देता है पर यह असर स्थायी नही होता है और लम्बे सम्स्य तक इसका प्रयोग  मसूड़ों की ऊपरी सतह को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचाता है.

पारम्परिक चिकित्सक मसूड़ों के लिए बबूल को पर्याप्त मानते हैं और कहते हैं कि एक ही मंजन में बबूल और माजूफल को शामिल करने का क्या औचित्य?  यह किसी रोग विशेष के लिए एक साथ प्रयोग किया जा सकता है वह भी निश्चित अवधि तक पर इसे आम लोगों को लम्बे समय तक प्रयोग करने का अनुमोदन समझ से परे है.

मैंने अपने अनुभव से जाना है कि मुँह के कैंसर के रोगी जब माजूफल युक्त मंजन का प्रयोग करते हैं तो उनकी समस्या बहुत बढ़ जाती है. इसलिए उन्हें विशेष तौर पर इसका प्रयोग बंद करने की सलाह दी जाती है.

योनि को संकुचित (Vaginal Tightening) करने के लिए बहुत से देशों में क्रीम के रूप में इसका बाहरी प्रयोग होता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि यह योनि की ऊपरी सतह पर अस्थायी असर करता है जबकि यदि  स्थायी तौर पर योनि को संकुचित करना है तो ऐसी दवा प्रयोग करनी चाहिए जो कि योनि की मांस-पेशियों को  संकुचित करे न कि ऊपरी सतह को.

दुनिया भर में माजूफल की इस क्रीम का प्रयोग होता है. इससे जब इसका प्रयोग करने  वाली महिलाओं को तरह-तरह की समस्याएं होने लगी तब अनुसन्धानकर्ताओं का ध्यान इस ओर गया और उन्होंने इसके प्रयोग के प्रति लोगों को आगाह करना शुरू किया. माजूफल में ६०-७० प्रतिशत तक टेनिन होता है.  इसकी मुँह के कैंसर की बहुत सी आधुनिक और पारम्परिक दवाओं के साथ नकारात्मक प्रतिक्रिया होती है.

मैं आपको सलाह दूंगा कि आप माजूफल वाले मंजन या पेस्ट का उपयोग बंद करें. इसके बहुत सारे विकल्प हमारी पारम्परिक चिकित्सा में उपलब्ध हैं.

चलिए अब आपके नाश्ते पर चर्चा केन्द्रित करते हैं.     

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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 
सर्वाधिकार सुरक्षित
 E-mail:  pankajoudhia@gmail.com

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