ब्रेस्ट कैंसर में पडरी और भिलावा की छैया, बड़े-बड़े गुल खिलाये बच के भैया

ब्रेस्ट कैंसर में पडरी और भिलावा की छैया, बड़े-बड़े गुल खिलाये बच के भैया  
पंकज अवधिया   

आपने बस्तर से रायपुर तक का सफर अपनी गाडी से बिना ज्यादा रुके किया है. आप आराम करिये. मैं रायपुर में ही हूँ. आप शाम को आइयेगा.

आप दिल्ली से आये हैं आईटी क्षेत्र की कम्पनी में बड़े पद पर हैं. आपकी पत्नी को ब्रेस्ट कैंसर है. आप पारम्परिक चिकित्सा में विश्वास रखते हैं इसलिए मेरे पास आये थे.

आप उन पारम्परिक चिकित्सकों के नाम जानना चाहते थे जो कि आपकी पत्नी की चिकित्सा कर उन्हें ठीक कर सकते हैं. मैंने आपको बस्तर के दो पारम्परिक चिकित्सकों के नाम दिए थे और आपसे कहा था कि उनमे से किसी एक से मिलकर पत्नी के लिए दवा ले सकते हैं.

मैंने दोनों पारम्परिक चिकित्सकों के लिए पत्र भी लिख दिए थे जिससे उन्हें आपकी पत्नी के रोग को समझने में आसानी होती. आप दोनों पारम्परिक चिकित्सकों से मिले और अब वापसी में एक बार फिर मुझसे मिलने आये हैं. आपके पास बहुत सारी शिकायतें हैं, मैं आपकी मदद करूंगा.

आपने बताया कि पहले पारम्परिक चिकित्सक के पास बहुत अधिक भीड़ थी इसलिए दिन भर आपको उनके घर के सामने पेड़ों के नीचे इन्तजार करना पड़ा. शाम को पारम्परिक चिकित्सक ने मेरा पत्र पढ़कर आपको दवा तैयार करके दी.

एक खुराक उसी समय दे दी. रात को जब आप शहर आकर होटल में ठहरे तो आपकी पत्नी की हालत बिगड़ गयी. उनका पूरा शरीर फूल गया और उसमे खुजली होने लगी. आपको समझ आ गया कि यह सब पारम्परिक चिकित्सक की दवा से हो रहा है. आपने उनसे दवा न लेने का निश्चय किया.

दूसरे दिन आपने दूसरे पारम्परिक चिकित्सक से मिलने का मन बनाया. आप उनके गाँव गये तो पता चला कि वे किसी गम्भीर रूप से बीमार रोगी को देखने पास के गाँव में गये हैं.

आपको फिर पास के जंगल में दिन भर इन्तजार करना पड़ा. पारम्परिक चिकित्सक ने दवा तैयार की और एक खुराक उसी समय दे दी. जब आप वापस होटल लौटे तो आपकी पत्नी की तबियत फिर से बिगड़ने लगी.

दिन भर उनका स्वास्थ ठीक था. इस बार हाथ-पैरों में बहुत दर्द हुआ. आप घबरा गये और दूसरे पारम्परिक चिकित्सक की दवा फेक दी. अब आप मेरे पास आयें हैं इस अनुरोध के साथ कि मैं आपकी पत्नी को दवा दूं. पूरा वाक्या सुनकर मुझे बहुत हंसी आ रही है.

मैंने आपसे कहा कि दिन भर आप दोनों गाँव में जहां रुके रहे वहां रुकने से क्या वहां के लोनों ने मना नही किया तब आपने याद कर बताया कि आते-जाते लोगों ने वहां पर खड़े न होने की हिदायत दी थी.

मैं आपको बताना चाहता हूँ कि आपकी पत्नी बड़ी संवेदनशील है. पहले पारम्परिक चिकित्सक जहां रहते हैं उनके घर के पास बड़ी संख्या में भिलावा के वृक्ष हैं. भिलावा से वे औषधि तैयार करते हैं. इसके वृक्ष के नीचे लम्बे समय तक विश्राम करने से हाथ-पैर में सूजन आ जाती है जो अपने आप ठीक भी हो जाती है.

दूसरे पारम्परिक चिकित्सक के घर के पास पडरी नामक वृक्ष की बहुलता है. इसके नीचे विश्राम करने से संवेदनशील लोगों को हाथ-पैर में दर्द शुरू हो जाता है. इसलिए खेतों में काम करने वाले किसान इसे अपने खेतों से हटा देते हैं.

आपकी पत्नी को हुयी समस्याएं पारम्परिक चिकित्सकों की दवाओं के कारण नही थी. मैं देख पा रहा हूँ कि आप भी मुस्कुरा रहे हैं यह सब सुनकर.

मैं आपको यही सलाह दूंगा कि आप फिर से अपनी पसंद के पारम्परिक चिकित्सक से मिले और उनकी दवाएं लें. भूलकर भी दोनों पारम्परिक चिकित्सकों की दवाएं एक साथ न लें.   

आपकी पत्नी की संवेदनशीलता एक शुभ संकेत है. जड़ी-बूटियाँ उन पर जल्दी से असर करेंगी.    

मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.

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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 
सर्वाधिकार सुरक्षित
 E-mail:  pankajoudhia@gmail.com

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