कैंसर को खत्म करने के स्वप्न खूब सजाइए, पर पहले उसके लिए धान की पारम्परिक खेती को बचाइये

कैंसर को खत्म करने के स्वप्न खूब सजाइए, पर पहले उसके लिए धान की पारम्परिक खेती को बचाइये
पंकज अवधिया





भारतीय ज्ञान का महत्व जितना आप विदेशी समझते हैं उतना यदि भारतवासी समझ जाएँ तो भारत को विश्व गुरु  बनने में जरा भी देर नही लगेगी.

आप लोग नीदरलैंड और स्वीडन से आये हैं और आपका आठ सदस्यीय दल इतनी दूर से भारत की पारम्परिक चिकित्सा पर शोध करने आया है. आपने मुझसे लगातार तीन दिनों तक चर्चा का समय लिया और फिर नियत समय पर आ गये.

मेरे पास आने  से पहले कई वर्षों तक मेरे शोध आलेखों और हजारों घंटों की फिल्मो को देखा उनसे सम्बन्धित नोट्स बनाये और अब उन पर विस्तार से चर्चा करना चाहते हैं.

आपको मेरे उस शोध आलेख पर विशेष रूप से चर्चा करना है जिसमे मैंने बताया है कि कैसे पारम्परिक कैंसर विशेषज्ञ धान के खेतों में पाए जाने वाले बेकार समझे जाने वाले  खरपतवारों की सहयाता से बिना खर्च कैंसर की सफल चिकित्सा कर लेते हैं.

वे पारम्परिक धान के खेतों का चयन करते हैं जिनमे आधुनिक कृषि रसायनों का प्रयोग नही होता है और कुछ हद तक खेतों में खरपतवारों को उगने की छूट होती है. 

पारम्परिक चिकित्सा में माना जाता है कि खरपतवार धान के पौधों को औषधीय गुणों से परिपूर्ण करते हैं और इसी तरह धान भी खरपतवारों को दिव्य औषधीय गुणों से परिपूर्ण करता है. पारम्परिक चिकित्सकों के लिए धान और खरपतवार दोनों ही दवाओं के स्त्रोत हैं.

मुंह के कैंसर के लिए जब पारम्परिक चिकित्सक सांवा नामक खरपतवार  का उपयोग करते हैं तो वे ऐसे धान के खेतों का चयन करते हैं जहां कम अवधि का पारम्परिक धान लगाया गया हो. धान के पकने से पहले ऐसे खेतों से एकत्र किया गया सांवा कैंसर के लिए विशेष उपयोगी होता है.

अन्य खेतों से एकत्र किये गये सांवा में ऐसे गुण नही होते हैं.  पारम्परिक चिकित्सकों को यह ज्ञान पीढीयों के अनुभव से मिला है. आधुनिक विज्ञान इस ज्ञान को ट्रेडीशनल एलिलोपैथिक नालेज्ज के रूप में जानता और मानता है.

पेट के कैंसर के लिए कारगर भृंगराज पर आधारित प्रसिद्ध फार्मूले के सारे घटक धान के खेतों में ही मिलते हैं. भृंगराज स्वयं धान के खेतों का जाना माना खरपतवार है. हर साल खेत में पाए जाने वाले खरपतवारों के दिव्य औषधीय गुणों से अनजान नई पीढी के किसान  घातक कृषि रसायनों की सहायता से इन्हें नष्ट कर देते हैं.  यदि इन खरपतवारों को बतौर औषधि उपयोग किया जाए तो न केवल किसानो की आर्थिक दशा सुधर सकती है बल्कि असंख्य जाने भी बच सकती हैं.

आपने बताया है कि आपके जाने के बाद यूरोपीय किसानो का एक दल भी मुझसे परामर्श लेने आयेगा जो उनके खेतों में उगने वाले खरपतवारों  के औषधीय महत्त्व की चर्चा मुझसे करेगा और भारतीय किसानो के अनुभवों को जानेगा. यह दल पारम्परिक चिकित्सकों विशेषकर कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा में दक्षता रखने वाले पारम्परिक चिकित्सकों से चर्चा करेगा.

पूरी दुनिया भारत से सीखने को तैयार है और हम भारतवासी तथाकथित विकास की अंधी दौड़ में उलझकर अपनी परम्परा और पारम्परिक खेती को भुला रहे हैं.

आपका स्वागत है. आशा है यह चर्चा सार्थक रहेगी .    

मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 
सर्वाधिकार सुरक्षित

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