कैंसर में मैदा की लकड़ी और भिरहा की छाल, अपने लीवर की अच्छे से करें देखभाल
कैंसर में मैदा की लकड़ी और भिरहा की छाल,
अपने लीवर की अच्छे से करें देखभाल
पंकज अवधिया
पच्चीस साल पहले जब आपसे मुलाक़ात हुयी थी
तभी मैंने आपको चेता दिया था. लगता है आपने मेरी चेतावनी पर ध्यान नही दिया.
मुझसे याद है कि आप मुझसे जब पहली बार
मिलने आये थे तब आप मोटापे से परेशान थे. आप यूरोप में रहते थे और जब आप किसी भी
तरह से मोटापे पर अंकुश नही लगा पाए तब आप भारत आये और मुझसे सम्पर्क किया.
मैंने आपको एक जाने-माने पारम्परिक
चिकित्सक के पास भेजा था जो मोटापे और
इससे सम्बन्धित रोगों की चिकित्सा में महारत रखते थे. उन्होंने आपको मैदा की लकड़ी
पर आधारित एक नुस्खा दिया और आपसे एक साल बाद आने को कहा.
उनका दावा था कि आपको खान-पान में विशेष
नियंत्रण नही करना पड़ेगा.
जब आप पारम्परिक चिकित्सक से दवा ले रहे
थे तब एक और रोगी से आपकी मुलाक़ात हुयी. पारम्परिक चिकित्सक ने उसे कामशक्ति बढाने
वाला फार्मूला दिया था.
आप भी इस फार्मूले में रूचि रखते थे. पर
पारम्परिक चिकित्सक ने आपसे कहा कि मोटापे की दवा और कामशक्तिवर्धक दवा आप एक साथ
न ले. उन्होंने आपको दवा देने से मना कर दिया.
आपने
साथी रोगी से बात की और अपने लिए भी फार्मूला बंधवा लिया. आपने मुझसे
मुलाक़ात की और सारा किस्सा बताया.
मैंने आपको आगाह किया कि यदि आप दोनों फार्मूला
लेते हैं एक साथ तो अपने लीवर का बिशेष ध्यान रखें क्योंकि मैदा की लकड़ी के फार्मूले के साथ भिरहा की छाल का फार्मूला
पारम्परिक चिकित्सा में सही नही माना जाता है. आप वापस लौट गये.
आपके लगातार संदेश आते रहे कि आपका लीवर
बिलकुल सुरक्षित है. आपके सन्देश व्यंग्य भरे होते थे.
एक साल बाद जब आप पारम्परिक चिकित्सक से
फिर मिले तो उन्होंने आपको दवा बंद करने को कहा. आपका वजन सामान्य हो गया था.
अब आपको दवा की जरूरत नही थी पर चूंकि
आपको दोनों फार्मूलों के बारे में पता चल
गया था इसलिए आप लम्बे समय तक इन्हें लेते रहे और साथ ही इंटरनेट पर अपने ब्लॉग के
माध्यम से इन्हें बेचते भी रहे.
पिछले सप्ताह जब आपका लम्बे समय के बाद
संदेश आया तो आपकी याद ताजा हो गयी. इस बार के संदेश के साथ आपकी रिपोर्ट का अच्छा
खासा पुलिंदा था. आपको लीवर का कैंसर हो गया है और अब रोग बहुत फैल चुका है.
आप एक बार मुझसे मिलना चाहते हैं. आपको
सभी रास्ते बंद दिखाई पड़ते हैं पर फिर भी आप मुझसे एक बार मिलकर बात करना चाहते
हैं. मैंने आपको तीन दिन बाद का समय दिया है.
मुझे नही लगता कि दोनों फार्मूलों के
लम्बे समय तक अविवेकपूर्ण उपयोग के कारण आपको कैंसर हुआ है. आपने बताया कि आप
लम्बे समय से वोदका के शौक़ीन रहे हैं. इन दोनों फार्मूलों के साथ शराब का सेवन पूरी तरह से मना है.
शराब के अति सेवन और लीवर के लिए नुकसानदायक फार्मूलों की आपसी नकारात्मक प्रतिक्रिया
के कारण कैंसर के होने की सम्भावना बढ़ जाती है.
आपको कैंसर का पता लगने के तुरंत बाद
समपर्क करना चाहिए था कि इन फार्मूलों की काट के रूप में एक नया फार्मूला आपको
दिया जाता जिससे कैंसर इतनी तेजी से नही फैलता.
खैर, अभी भी देर नही हुयी है.. आप आराम
से आइये. पारम्परिक चिकित्सा में आपके लिए बहुत कुछ है.
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
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कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज
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सर्वाधिकार सुरक्षित
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