कैंसर में कैथा और गिलोय का मेल जब हो जाए बेमेल, तो बिगड़ सकता है सारा खेल

कैंसर में कैथा और गिलोय का मेल जब हो जाए बेमेल, तो बिगड़ सकता है सारा खेल
पंकज अवधिया




कैंसर में निर्णय लेने में देरी करना अक्सर जानलेवा साबित होता है. उम्मीद है इस बार आप देर नही करेंगे.

यह वर्ष 1999 की बात है. आपने आस्ट्रेलिया से फोन पर मुझसे बात की और बताया कि आपकी बेटी मारिया को ब्रेस्ट कैंसर है. आपने दुनिया भर में उसका इलाज करवाया पर जब सारी उम्मीदें खत्म हो गयी तब आपने भारत की पारम्परिक चिकित्सा की ओर ध्यान केन्द्रित किया पर कोई वैद्य या पारम्परिक चिकित्सक मारिया की चिकित्सा का जोखिम नही उठाना चाता था.

उस समय इंटरनेट इतना विकसित तो था नही. स्थानीय अखबारों में मेरे लेख पढ़कर स्थानीय चर्च से किसी ने आपको मेरे बारे में लिखा.

आपने फोन पर बातकर यह अनुरोध किया कि मैं मारिया से मिले बिना दवा दे दूं जो सम्भव नही था. या तो मुझे आस्ट्रेलिया आना पड़ता या फिर मारिया को रायपुर आना पड़ता.

उसकी हालत को देखते हुए आप असमंजस में रहे और फिर काफी समय बाद आपने मारिया को मुम्बई लाने का प्रबंध किया. मैं भी नियमित विमान से मुम्बई पहुंच गया ताकि वही से मैं उसे दवा दे सकूं.

मारिया की भारत की यात्रा शुरू तो हुयी पर यह कभी पूरी न हो सकी. रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गयी. यह हम सब के लिए बड़ा झटका था.

कुछ महीनों पहले आपने मुझसे फिर से सम्पर्क किया. मारिया की बिटिया को ओवेरियन कैंसर है यह आपने बताया है और इस बार आपने बिना देरी किये उसे भारत के एक जाने-माने पारम्परिक चिकित्सक की शरण में ले आये.

पर आपने बताया कि पारम्परिक चिकित्सक की दवा कैंसर को ठीक नही कर पा रही है और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही है. इसलिए अब आपने मुझसे सम्पर्क किया है. मैं आपकी मदद करूंगा.

मारिया की बिटिया नताशा  का उपचार कर रहे पारम्परिक चिकित्सक को मैं  जानता हूँ. अब वे बहुत बूढ़े हो गये हैं और बिस्तर पर ही पड़े रहते हैं. उनका पुत्र अब रोगियों को दवा देता है. ऐसा लगता है उसने फार्मूले के बारे में ठीक से जाने बिना उसमे परिवर्तन किया है जिससे लाभ के स्थान पर हानि हो रही है.

पारम्परिक चिकित्सक का पुत्र कैथा की छाल पर आधारित फार्मूले का  प्रयोग कर रहा है. यह फार्मूला कैंसर की चिकित्सा में कारगर है पर इसमें उसने फेरबदल करके गिलोय को पंचम घटक के रूप में डालना शुरू किया है. इसी कारण सारी गडबड हो रही है.

यदि गिलोय का प्रयोग सप्तम घटक के रूप में किया जाए तो फार्मूले का सारा दोष खत्म हो जाएगा और नताशा की स्थिति सुधरने लगी है.

मैंने पारम्परिक चिकित्सक के पुत्र को यह सब समझा दिया है. आप उनसे दोबारा दवा लेना शुरू कर सकते हैं. यदि आपकी जिद है कि मैं ही नताशा की चिकित्सा करूं तो उसके लिए भी मैं तैयार हूँ. फैसला आपको करना है. इस बार आप फैसला लेने में देरी न करें.     

मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.
-=-=-
कैंसर की पारम्परिक चिकित्सा पर पंकज अवधिया द्वारा तैयार की गयी 1000 घंटों से अधिक अवधि की  फिल्में आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं. 
सर्वाधिकार सुरक्षित

-=-=-

Comments

Popular posts from this blog

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)