Consultation in Corona Period-265 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

Consultation in Corona Period-265





Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"मुझे साँस से संबंधित 14 प्रकार के रोग हैं और मैं पिछले कई सालों से इन रोगों की चिकित्सा करवा रहा हूँ पर एक भी रोग पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है और लगातार दवाईयाँ चल रही हैं। पहले मैंने घरेलू औषधियों का सहारा लिया। उसके बाद होम्योपैथी का फिर आयुर्वेद की दवाओं का और अंत में आधुनिक दवाओं का पर साँस की तकलीफ जब बढ़ती गई तो मैंने विदेशों का रुख किया और अपनी पूरी तरह से जांच करवाई। मुझे समाधान एक योगाचार्य के पास मिला जिन्होंने मेरी जांच करके बताया कि दिन में अधिकतर समय मेरी नाक बंद रहती है जिससे कि शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है और प्राणवायु की कमी से शरीर में विकार पैदा हो जाते हैं। इसी कारण मुझे 14 प्रकार के साँस से संबंधित रोग हो रहे हैं। उन्होंने कई तरह के प्राणायाम बताए और योगाभ्यास भी और धैर्य रखने को कहा। उनके मार्गदर्शन में मैं पिछले 2 सालों से अपनी चिकित्सा करवा रहा हूँ। इससे थोड़ा लाभ तो हुआ है पर दिन हो या रात मेरी नाक पूरी तरह से बंद रहती है ज्यादातर समय मुझे मुंह से साँस लेना पड़ता है। इसके कारण नई समस्याएं हो रही है।

 मेरा मुंह हमेशा सूखा रहता है। मुंह से बदबू आने लगी है और कुछ समय के अंतराल में टॉन्सिल की समस्या होने लगी है। मेरे दांत के डॉक्टर कहते हैं कि मेरे दांत इसीलिए खराब होते जा रहे हैं क्योंकि मैं मुंह से साँस लेता हूँ। मैं आजकल जल्दी-जल्दी बीमार पड़ने लगा हूँ और मेरी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है। आधुनिक से लेकर प्राकृतिक नेसल ड्रॉप मैंने अपनाए पर नाक किसी भी तरह नहीं खुलती है। मैं आपको बताना चाहता हूँ कि मुझे रात को सोने के बाद मिर्गी जैसे लक्षण आते हैं। इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं होती है। सुबह उठने पर ही पता चलता है कि इस तरह के लक्षण आए थे। इसके लिए है मैं बहुत पहले से आधुनिक दवाओं का प्रयोग कर रहा था। मुझे बाद में बताया गया है कि इन दवाओं के प्रयोग करने से नाक हमेशा बंद रह सकती है इसलिए मैंने इन दवाओं का सहारा छोड़ दिया। इससे मेरी नाक की समस्या का कुछ हद तक तो समाधान हुआ पर पूरी तरह से नहीं हुआ। मिर्गी की तरह लक्षण रात को अभी भी आते हैं और इसके लिए मैं एक पारंपरिक चिकित्सक से दवा ले रहा हूँ जिससे मुझे लाभ हो रहा है। इन पारंपरिक चिकित्सक को मैंने अपनी साँस की समस्याओं के बारे में भी बताया पर उन्होंने कहा कि इस बारे में वे अधिक मदद नहीं कर सकते हैं। उन्होंने विशेष तरह के मिलेट सुझाये और बस यहीं तक उनकी मदद रही। 

जब सारे रास्ते बंद हो गए तब मैंने निश्चय किया कि मैं आपसे मिलूंगा और यह जानने की कोशिश करूंगा कि क्या आपके परीक्षण इस समस्या के मूल कारण के बारे में किसी तरह की जानकारी दे सकते हैं या नहीं?" भोपाल से आए एक सज्जन ने जब मुझे अपनी समस्या बताई तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।

 मैंने उन्हें समय दे दिया और वे निश्चित समय पर मुझसे मिलने आ गए। मैंने उनके ऊपर कई तरह के परीक्षण किए। उन्हें दसों किस्म की जड़ी बूटियों को चखने का अनुरोध किया और फिर उस आधार पर उनके पैरों में जड़ी बूटियों का लेप लगाकर उनके शरीर में आने वाले लक्षणों का अध्ययन किया पर समस्या के कारण का बिल्कुल भी सुराग नहीं मिला। मैंने अपना ध्यान उन पारंपरिक चिकित्सक पर केंद्रित किया जो कि मिर्गी की दवा दे रहे थे। जब मैंने उनके फार्मूले का विस्तार से अध्ययन किया तो मुझे वह फार्मूला निर्दोष नजर आया अर्थात उसमें किसी भी प्रकार का दोष नहीं था। वह मिर्गी के लिए एक कारगर फार्मूला था। भारतीय और भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में ऐसे फार्मूले का प्रयोग बहुत अधिक उपयोगी माना जाता है। मैंने उन सज्जन की उन दवाओं का भी अध्ययन किया जो कि वे इस बीमारी के लिए ले रहे थे पारंपरिक चिकित्सक से दवा लेने से पहले। मैंने सोचा कि हो सकता है कि इन दवाओं का साइड इफेक्ट अभी भी हो रहा हो और यदि ऐसा है तो एंटीडोट देकर इस साइड इफेक्ट को पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता है पर मुझे अब भी किसी भी तरह का सुराग नहीं मिला।

 मैंने उन सज्जन से साफ शब्दों में कहा कि बिना समस्या का मूल जाने किसी तरह के फंक्शनल फूड का सुझाव देना मेरी आदत नहीं है और आपके मामले में मैं किसी भी तरह से सफल नहीं हो पा रहा हूँ रोग का मूल कारण जानने के लिए। उन्होंने जब बहुत अनुरोध किया तो मैंने उन्हें उनके लक्षण के आधार पर 12 किस्म के मेडिसनल राइस दिए और उनसे कहा कि वे इसका विधिवत प्रयोग करें। हो सकता है इससे उनकी समस्या का कुछ हद तक समाधान हो जाए। वे वापस लौट गए फिर अगले हफ्ते उन्होंने फोन किया और बताया कि अब उनकी समस्या धीरे-धीरे ठीक हो रही है पर यह पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है।

 फिर अगले हफ्ते उन्होंने फोन किया और बताया कि उनकी समस्या फिर से बढ़ने लगी है अर्थात मेडिसिनल राइस अपना काम नहीं कर रहे थे। अगली बार जब वे आए तो मैंने उन्हें सात प्रकार के दूसरे मेडिसिनल राइस दिए पर फिर भी उन्हें किसी तरह का लाभ नहीं हुआ। यह मेरे लिए एक पेचीदा मामला बनता जा रहा था।

 इस बीच एक दूसरे मामले में मैं बस्तर के एक पारंपरिक चिकित्सक से मिलने गया और चर्चा के दौरान मैंने इसके बारे में उन्हें बताया। उन पारंपरिक चिकित्सक ने बड़े ध्यान से मेरी बात सुनी और फिर मुझे रास्ता दिखाया।

अगली बार जब वे सज्जन मुझसे मिलने आये तो मैंने आते ही उनसे पूछा कि आप किसी तरह से दूध या डेयरी प्रोडक्ट का उपयोग कर रहे हैं अपने पारंपरिक चिकित्सक के फार्मूले के साथ तो उन्होंने कहा कि उन्हें रूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या है। इसके लिए वे गुग्गुल का प्रयोग कर रहे हैं और गुग्गुल के प्रयोग के समय दूध का प्रयोग किया जाना बहुत जरूरी है इसलिए वे लगातार गाय के दूध का प्रयोग करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण जानकारी थी।

 मैंने उनसे पूछा कि आप गाय का दूध डेयरी से खरीदते हैं या आपने गाय पाल कर रखी है तब उन्होंने बताया कि उन्होंने गाय पाल कर रखी है। यह देसी गाय हैं और उसका ही शुद्ध दूध वे गुग्गुल के साथ लेते हैं।

 जब मैंने उनसे कहा कि वे अपनी गाय का वीडियो बनाकर मुझे भेजें उसके सभी शारीरिक अंगों को दिखाते हुए तब उन्होंने बिना किसी देरी के वीडियो बनाकर मुझे भेज दिया और उससे फिर समस्या का समाधान दिखने लगा।

 मैंने उन सज्जन से कहा कि आप गाय का दूध कुछ समय के लिए रोक दें और फिर कुछ समय बाद मुझे बताएं कि क्या आपके नाक के बंद होने की समस्या का किसी तरह से समाधान हुआ या नहीं। इस बीच यदि आपको गुग्गुल का प्रयोग करना हो तो आप दूसरी गाय के दूध का प्रयोग कर ले पर इस गाय के दूध का प्रयोग न करें। उन्हें यह भी चेताया कि वे अधिक मात्रा में दूध का प्रयोग न करें। जितनी जरूरत हो उतने ही दूध का उपयोग दवा के सेवन के लिए करें। 

जब 10 दिनों के बाद उनका फिर से फोन आया तब उन्होंने बताया कि बरसों बाद अब उनकी नाक के बंद होने की समस्या का समाधान हो गया है। ऐसा लगता है पिछले कई रातों से वे अच्छी नींद ले रहे हैं और दिन में भी उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं हो रही है। उन्हें जो 14 प्रकार के साँस के रोग हो रहे थे उनमें से अधिकतर रोग अब उग्र नहीं है और धीरे-धीरे ठीक होते जा रहे हैं। 

अगली बार जब उनका फोन आया तो वे अपनी इस सालों पुरानी समस्या से पूरी तरह से मुक्त हो चुके थे। मैंने उन्हें खुलासा करते हुए बताया है कि आप जिस गाय के दूध का प्रयोग कर रहे थे उस गाय को सोरायसिस की समस्या थी। जब आपने वीडियो भेजा तो इस बात की पुष्टि हो गई।

 मुझे बस्तर के पारंपरिक चिकित्सक ने बताया था कि सोरायसिस से प्रभावित गाय का दूध यदि इस फार्मूले के साथ प्रयोग किया जाता है तो कई तरह के लक्षण आ सकते हैं जिनमें कि नाक का सदा बंद रहना भी एक लक्षण है। संभवत: वे पारंपरिक चिकित्सक जो कि आपकी मिर्गी की चिकित्सा कर रहे थे उन्हें इस बात की जानकारी न हो। यदि उन्हें इस तरह की जानकारी होती तो वे आपको उसी समय गाय के दूध के प्रयोग से मना कर देते। मेरे ऐसा कहने पर उन सज्जन ने कहा कि उन्होंने ऐसा कहा तो था पर यह नहीं बताया था कि सोरायसिस वाली गाय के दूध का उपयोग नहीं करना है।

 मैंने उन्हें कहा कि गाय को सोरायसिस है या नहीं है यह तो आपकी गाय को देखकर पता चल गया पर यदि कोई डेयरी से दूध लेकर प्रयोग कर रहा है तब यह जानना बहुत मुश्किल है जिस गाय के दूध का प्रयोग वह कर रहा है क्या उस गाय का दूध सुरक्षित है या नहीं इसीलिए सामान्य अनुमोदन के रूप में पारंपरिक चिकित्सक कह देते हैं कि किसी भी रूप में गाय के दूध का प्रयोग न किया जाए। ऐसा आपके पारंपरिक चिकित्सक ने भी कहा पर आपने इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

 यही कारण है कि आप इतने सालों से इन समस्याओं को सहन कर रहे हैं और आपको किसी तरह का कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। उन सज्जन ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया। मेरी तरह ही उनके लिए भी यह नई जानकारी थी पर इस जानकारी ने अब उनका जीवन आसान कर दिया था।

 उन्होंने धन्यवाद दिया। मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। 


सर्वाधिकार सुरक्षित





Comments

Popular posts from this blog

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)