Consultation in Corona Period-235 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

Consultation in Corona Period-235 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया "बिटिया को बहुत ज्यादा थकान रहती है। इस थकान को दूर करने के लिए हमने कई तरह के स्टीमुलेन्ट का उपयोग किया और इसका कारण जानने की कोशिश की पर पिछले 6 सालों से हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि बिटिया को इतनी अधिक थकान क्यों होती है। बहुत अधिक थकान के अलावा उसे 28 तरह के लक्षण आते हैं जो कि 16 प्रकार की बीमारियों के विशेष लक्षण है। 22 वर्ष की छोटी सी उम्र में बिटिया को इतनी सारी बीमारियां एक साथ कैसे हो सकती है। जिस भी विशेषज्ञ के पास जाओ वे अपनी विशेषज्ञता के अनुसार दवा देते हैं और उस लक्षण को ही मुख्य बताते हैं जो कि उनके क्षेत्र में आते हैं। उसकी दसों प्रकार की दवा चलती रही। हमने सभी पद्धतियों का सहारा लिया पर उसकी थकान जो कि एक मुख्य लक्षण है कभी भी नहीं जाती है। इस थकान को दूर करने के लिए उसने कैफ़ीन का सहारा लिया पर स्ट्रांग से स्ट्रांग कॉफी पीने के बाद भी उसकी थकान जाती नहीं है। जब इस तरह के लक्षण आने शुरू हुए तो सबसे पहला शक एनीमिया पर गया। खून की जांच कराई गई और फिर उस आधार पर कई तरह के टॉनिक उसे दिए गए। उसके खानपान में भी सुधार किया गया पर थकान तो होती ही रही। जब हम देश के विभिन्न भागों के पारंपरिक चिकित्सकों से मिले तो उन्होंने विभिन्न प्रकार की जंगली कंद दिए और कहा कि इनका प्रयोग करने से थकान पूरी तरह से दूर हो जाएगी और हो सकता है कि दूसरे लक्षणों पर भी प्रभाव पड़े पर ये भी बेकार ही साबित हुए। एक और लक्षण है कि बिटिया को हमेशा ठंड लगती है चाहे कोई भी मौसम हो। उसे हमेशा अपने शरीर को ढक कर रखना होता है। जब हम बिटिया को लेकर लंदन गए तो चिकित्सकों ने कहा कि हाइपोथर्मिया कई कारणों से हो सकता है। उन्होंने सभी कारणों की जांच की और फिर तरह तरह की दवाएं सुझाई पर यह लक्षण भी पिछले 6 सालों से लगातार बना हुआ है और बिटिया को किसी भी तरह से राहत नहीं मिल रही है। तीसरा प्रमुख लक्षण उसे बहुत जल्दी-जल्दी और बहुत अधिक मात्रा में पेशाब होना है। इसके कारण वह कहीं बाहर ज्यादा नहीं जा पाती है और घर में रहकर ही पढ़ाई करती है। हमने उसकी किडनी की भी जांच कराई और अधिक मात्रा में पेशाब होने के कारणों को खोजने की कोशिश की पर सब कुछ सामान्य पाया गया। मेरे बड़े भाई चिकित्सक है और जी जान से लगे हुए हैं कि बिटिया के स्वास्थ में सुधार हो और वह जीवन की सबसे अच्छी आयु को अच्छे से जी सके। आपने देश के मेडिसिनल राइस पर गहन शोध किया है। हम चाहते हैं कि आप हमें इस तरह के चावल बताएं जिनका प्रयोग करने से बिटिया को आने वाले सभी लक्षणों में लाभ हो और संभव हो तो अपनी जड़ी बूटियों के परीक्षण से यह जानने की कोशिश करें कि हमारी छोटी सी बिटिया को ऐसी समस्या क्यों हो रही है। मेरे बड़े भाई आपसे लगातार संपर्क में रहेंगे और यह अच्छा होगा कि आप दोनों मिलकर काम करें और इन जटिल समस्याओं को सुलझाने में सफल हों।" पश्चिम भारत से आए एक सज्जन ने जब अपनी समस्या बताईं तो मैंने उनसे कहा कि आप पिछले 6 सालों में करवाए गए उपचारों के बारे में सभी जानकारी दें और संबंधित रिपोर्ट भी दिखाएं। उन्होंने रिपोर्ट भेजी तो मैं आश्चर्यचकित रह गया। उस फाइल में सैकड़ों पन्ने थे। फाइल को देखकर ही लगता था कि उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी बिटिया की चिकित्सा कराने में और पानी की तरह पैसे को बहाया पर दुख इसी बात का था कि बिटिया की हालत जस की तस थी और आगे भी कोई उम्मीद नहीं लगती थी। मैंने उनसे कहा कि मैं एक विशेष प्रकार का जड़ी बूटियों से तैयार किया गया लेप देता हूं जिसे कि बिटिया के पैरों के अंगूठे में 20 मिनट तक लगाना है। यदि इस बीच बिटिया को किसी तरह की तकलीफ हो तो तुरंत ही वह इसे धो ले और मुझे बताए कि ऐसी तकलीफ कितने मिनट बाद शुरू हुई और यह किस प्रकार की तकलीफ थी। मैंने वह लेप जब उनको दिया और बिटिया ने उसे अपने अंगूठे में लगाया तो लेप को लगाने के कुछ मिनटों बाद ही उसे बेचैनी होने लगी और उसने तुरंत ही लेप को धो दिया। उन सज्जन के बड़े भाई से मैंने कहा कि मुझे लगता है कि यह किसी प्रकार का ट्यूमर है जिसके कारण इस तरह के लक्षण आ रहे हैं। यह ट्यूमर अभी इतना अधिक बड़ा नहीं हुआ है जिससे कि शरीर में किसी भी प्रकार के विशेष लक्षण दिखाई दे पर लगता है यही है कि शरीर के महत्वपूर्ण अंग में ट्यूमर है और आपसे अनुरोध है कि आप आधुनिक चिकित्सा पद्धति के माध्यम से पता लगाएं कि यह ट्यूमर शरीर के किस भाग पर है। उनके बड़े भाई ने मुझे आश्वस्त किया है कि जल्दी ही वे सभी तरह की जांच कराएंगे और पता करने की कोशिश करेंगे कि ट्यूमर शरीर के किस हिस्से में है। उन्होंने कहा कि यह बहुत पेचीदा मामला है क्योंकि पूरे शरीर की छानबीन करना वह भी ऐसे ट्यूमर के लिए जो कि अभी पर्याप्त आकार नहीं लिए हुए हैं बहुत मुश्किल है फिर भी वे कोशिश करेंगे। गहन परीक्षण के बाद उन्होंने बताया कि लीवर में एक छोटा सा ट्यूमर है। जब उन्होंने इसके बारे में विस्तृत रिपोर्ट मुझे दिखाई तो मैंने उनसे कहा कि इस ट्यूमर के कारण बिटिया को इस तरह के लक्षण नहीं आ रहे हैं। यह शरीर के ऐसे भाग में है जो कि शरीर के बहुत सारे अंगों को प्रभावित करता है। मेरी बात के आधार पर उन्होंने दिमाग का परीक्षण भी कराया पर वहां कुछ भी असामान्य नहीं दिखा पर लक्षणों को जब उन्होंने ट्यूमर की नजर से देखना शुरू किया तो उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि बहुत सारे लक्षण ट्यूमर से के कारण होने वाली समस्याओं के कारण भी आते हैं। मैंने उनसे कहा कि देश की पारंपरिक चिकित्सा में कुछ विशेष तरह के जंगली फूलों की सहायता से परीक्षण किए जाते हैं और इससे शरीर के विभिन्न भागों में उपस्थित टयूमरों का पता लगाया जाता है। यदि आप चाहे तो मैं इस पारंपरिक ज्ञान का प्रयोग आपकी बिटिया पर कर सकता हूं पर इसके लिए थोड़ी मेहनत करनी होगी क्योंकि फूलों को जंगलों से एकत्र करना होगा और इसके लिए बहुत से लोग लगाने होंगे जो कि न केवल फूलों को एकत्र करें बल्कि हमारे पास शहरों तक पहुंचाएं भी। उन सज्जन के बड़े भाई ने कहा कि आप पैसे की चिंता न करें और जिस तरह का भी परीक्षण आप करना चाहते हैं, कर सकते हैं। उनकी अनुमति मिलने के बाद मैंने कुछ पारंपरिक चिकित्सकों से संपर्क किया और उन्हें यह बात बताई। उन्होंने कहा कि वे जल्दी ही जंगल में जाएंगे और 5 तरह के जंगली फूल लेकर आएंगे। इस बीच मैंने बिटिया को रायपुर में बुला लिया। पांच प्रकार के जंगली फूलों को जब बिटिया को सूंघने के लिए दिया तो बिटिया ने बताया कि तीन प्रकार के जंगली फूलों में किसी भी तरह की कोई सुगंध नहीं है जबकि दो प्रकार के जंगली फूलों के बारे में उसने कहा कि इनमें हल्की सी सुगंध है। जिन पांच प्रकार के जंगली फूलों का प्रयोग किया गया था जब ये जंगल में खिलते हैं तो पूरा जंगल में महक उठता है और हफ्तों तक महकता रहता है। इतनी तेज गंध वाले फूलों को बिटिया कह रही थी कि इसमें किसी भी प्रकार की सुगंध नहीं है और दो प्रकार के फूलों के बारे में हल्की सुगंध की बात की। यह आश्चर्य की बात थी और एक विशेष प्रकार के शारीरिक दोष के बारे में इशारा कर रही थी। जब उन सज्जन और उनके बड़े भाई ने भी इन फूलों को सूंघा तो उन्होंने कहा कि इनमें बहुत तेज सुगंध है। इस छोटे से पर प्रभावी परीक्षण के आधार पर मैंने उन सज्जन को 5 अंगों के बारे में बताया जिसमें कि ट्यूमर हो सकता है। अब उनके लिए इसकी खोज करना आसान हो गया था। मैंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि यह पिट्यूटरी ग्लैंड में होने वाला ट्यूमर है। मेरी बात मान कर उनके बड़े भाई ने सबसे पहले इसी पर ध्यान दिया और जल्दी ही उन्हें पता चल गया है कि पिट्यूटरी ग्लैंड में एक बड़ा सा ट्यूमर है जोकि इस तरह के लक्षण उत्पन्न कर रहा है। उन्होंने इस रिपोर्ट के आधार पर दुनिया भर के चिकित्सकों से संपर्क करना शुरू किया और मुझे आश्वस्त किया कि वे जल्दी ही अपने चिकित्सकों से राय लेकर बताएंगे कि वे आगे क्या कदम उठा रहे हैं। दुनिया भर के अधिकतर चिकित्सकों ने कहा कि ऑपरेशन करना ठीक नहीं रहेगा। कीमोथेरेपी का प्रयोग किया जा सकता है पर सबसे सरल उपाय यही होगा कि इस ट्यूमर के कारण हार्मोन के स्रावण में जो अनियमितता हो रही है उस पर ध्यान फोकस किया जाए और ट्यूमर से सीधे कोई छेड़छाड़ न की जाए। यह स्थाई समाधान नहीं था क्योंकि कालांतर में यदि ट्यूमर का आकार बढ़ता और हार्मोन की अनियमितता भी बढ़ती जाती तो बिटिया को आगे के जीवन में बहुत कष्ट हो सकता था। उन सज्जन के बड़े भाई ने फिर से मेरा रूख किया तो मैंने उन्हें बताया कि पिट्यूटरी टयूमर के लिए बहुत सी पारंपरिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है पर आधुनिक विज्ञान इसके बारे में कम ही जानकारी रखता है। यदि आप चाहें तो मैं आपको इन दवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दे सकता हूं आधुनिक भाषा में और बता सकता हूं कि इनका प्रयोग कैसे किया जाता है और कितने दिनों में सफलता मिलती है। मेरी बातों पर उनके बड़े भाई ने बहुत ध्यान दिया और उसके बाद उन्होंने बहुत सोच कर जवाब दिया है कि हमें अब अपनी टीम में एक पारंपरिक चिकित्सक को और एक दक्ष आयुर्वेदिक चिकित्सक को भी रखना चाहिए ताकि हम चारों मिलकर इस जटिल केस का समाधान कर सके। हम 4 लोगों की टीम 5 सालों तक इस केस में लगी रही। सफलता तो 7 महीने के बाद ही मिलने लगी थी पर ट्यूमर को पूरी तरह से खत्म होने में इतना लंबा समय लगा। सभी ने धैर्य का परिचय दिया। सबसे अधिक धैर्य का परिचय बिटिया ने दिया क्योंकि उसे मालूम था कि एक बार ट्यूमर से मुक्त हो जाने पर आगे का जीवन सुखमय होगा। इस केस की चिकित्सा के दौरान हमने बहुत विस्तार से वीडियोग्राफी की और सभी पहलुओं पर चर्चा की। अब यह वीडियोग्राफी दुनिया भर के मेडिकल शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी सिद्ध हो इसके लिए हम इसे ऑनलाइन करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। सर्वाधिकार सुरक्षित

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