Consultation in Corona Period-259 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

Consultation in Corona Period-259




Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"यकीन मानिए आपकी कुंडलिनी शक्ति जागृत हो गई है। आप जरूर कोई गुप्त साधना कर रहे हैं जिसके बारे में आप किसी को बताते नहीं है। मैं आपको 1996 से पढ़ रहा हूँ और तब से आप लगातार लिखते जा रहे हैं। जाने कितने हजार आलेख आपने हिंदी और अंग्रेजी में लिखे हैं और अब कैंसर पर 32000 से अधिक पुस्तकें यह बताती है कि आपके पास कोई विशेष ईश्वरीय शक्ति है जिसके कारण यह संभव हो पा रहा है।

 आप मेरी वेशभूषा देखकर समझ गए होंगे कि मैं एक तांत्रिक हूँ और लंबे समय से यह कार्य कर रहा हूँ। मैं आपके पास कुछ समय तक रहना चाहता हूँ और चाहता हूँ कि आप रोज कम से कम 10 मिनट तक मेरे सिर पर हाथ रखे ताकि आपकी कुछ शक्ति मुझे मिल सके। हम दोनों मिलकर पूरी दुनिया को हिला सकते हैं।" बंगाल से आए एक प्रसिद्ध तांत्रिक ने जब अपनी बात मेरे सामने रखी तो मैंने उनसे मजाकिये लहजे में कहा कि अभी कोरोना फैला हुआ है ऐसे में मैं अगर आपके सिर में हाथ रखूँगा तो यह ठीक नहीं होगा। हो सकता है कि मेरे हाथ रखने से आपके ये बड़े-बड़े बाल पूरी तरह से गायब हो जाएं और आप गंजे हो जाएं। फिर आपका प्रभाव कम हो जाएगा।

 इसके बाद मैंने उनसे विनम्रता से कहा कि मेरे पास कोई ऐसी विशेष शक्ति नहीं है। मैं एक साधारण इंसान हूँ जिसे संयोग से लगातार साधन मिलते रहे और इस तरह सफलता मिलती रही। बचपन में मां बाप ने किसी भी तरह की खरोच नहीं आने दी। गुरुजनों ने कुशल मार्गदर्शन दिया। पारंपरिक चिकित्सकों ने मुझ पर विश्वास किया कि मैं उनके ज्ञान को संभाल कर रखूंगा। रिश्तेदारों, शत्रुओं और आलोचकों ने सामने खड़े होकर मेरी कमियों के बारे में बताया जिसे मैंने तुरंत ही दूर कर लिया। अब आप ही बताइए कि यदि ऐसे युग में मेरा जन्म हुआ होता जहाँ कि कंप्यूटर नहीं होता, जहाँ गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, इंटरनेट आर्काइव जैसे तंत्र नहीं होते तो मेरा इतना सारा ज्ञान कैसे साहित्य के माध्यम से दुनिया के सामने आ पाता। असंख्य लोगों ने इस कार्य में सहयोग दिया जिससे मैं इस डॉक्यूमेंटेशन के कार्य को कर सका। इसमें किसी भी प्रकार से मेरी अपनी शक्ति का कोई योगदान नहीं है।

 फिर मैंने उनकी तरफ मुखातिब होकर उनसे पूछा कि यह बताइए कि आपकी उपलब्धि क्या है? मेरे इतना पूछते ही उन्होंने बेसब्र होकर कहा कि उनकी उपलब्धि यही है कि उन्होंने अभी तक के हजारों परिवारों को बर्बाद किया है। पति को पत्नी से अलग किया है, बच्चे को मां से अलग किया है। केवल धन कमाने के उद्देश्य से और ऐसा कह कर वे फूट-फूट कर रोने लगे। 

उन्होंने आगे बताया कि कुछ समय पहले जब उनकी पत्नी की दुखद मृत्यु हो गई और उनकी तीन बेटियां एक एक करके काल के गाल में समा गई तब उन्हें झटका लगा और एहसास हुआ कि वे अभी तक क्या कर रहे थे और इतने सारे धन का आखिर मतलब क्या है। लंबे समय तक पश्चाताप करने के बाद उन्होंने निश्चय किया कि अब वे इस विद्या का त्याग कर देंगे और किसी से किसी भी प्रकार की ठगी नहीं करेंगे। 

उसके कुछ दिनों के बाद ही उनकी तबीयत में अचानक खराबी आई और उसके बाद उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया। तरह-तरह के इलाज उनके होते रहे। फिर अंत में उन्होंने निश्चय किया कि वे मुझसे मिलने रायपुर आएंगे और मुझसे उस गुप्त साधना के बारे में जानकारी लेंगे जिससे कि मनुष्य में असीम शक्ति आ जाती है।

उन्होंने अपनी समस्या के बारे में यह भी बताया कि उन्हें 56 प्रकार के अलग-अलग लक्षण आ रहे हैं जो कि 30 से भी अधिक बीमारियों की ओर इशारा करते हैं पर आधुनिक जांच में इन बीमारियों का पता नहीं चल रहा है और चिकित्सक किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। यही कारण है कि लक्षणों के आधार पर उनकी चिकित्सा हो रही है और इतने अधिक लक्षण होने के कारण उन्हें ढेर सारी दवाइयां खानी पड़ रही है। उन्हें लगता था कि इसके कारण उनकी तबियत और बिगड़ती जा रही है।

 मैंने उनसे एक छोटे से परीक्षण की अनुमति मांगी और जब उन्हें 25 प्रकार की जड़ी बूटियों को यह कह कर दिया कि आप धीरे-धीरे एक-एक करके इन जड़ी-बूटियों को मुंह में रखते जाएं और मुझे उनके स्वाद के बारे में बताते जाएं तो उन्होंने मेरी बात का अक्षरश: पालन किया। आश्चर्यजनक रूप से वे 25 में से केवल 20 प्रकार की वनस्पतियों को ही सही ढंग से पहचान पाए। बाकी वनस्पतियों का स्वाद उन्होंने विपरीत बताया। इस आधार पर मैंने एक छोटा सा परीक्षण और किया। फिर उन्हें बताया कि आपने जिंदगी भर कैनेबिस बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग किया है। इसकी विषाक्तता के कारण ही आपको इस तरह के लक्षण आ रहे हैं। आपको इस नशीली वनस्पति का पूरी तरह से त्याग करना होगा। साथ ही शरीर में जो इसकी विषाक्तता व्याप्त है उसे दूर करना होगा। इससे आपकी सभी समस्या का समाधान हो जाएगा।

 उन्होंने बताया कि 1 महीने से उन्होंने कैनेबिस का किसी भी प्रकार से उपयोग बंद कर दिया है। शुरू में उन्हें असहनीय तकलीफ हुई और उसके बाद उन्होंने दृढ़ निश्चय के आधार पर इसे पूरी तरह से त्याग दिया। मैंने उन्हें दक्षिण भारत के एक पारंपरिक चिकित्सक का पता दिया और कहा कि ये पारंपरिक चिकित्सक 5 तरह के विशेष प्रकार के मेडिसिनल राइस उगाते हैं जिनका प्रयोग आप भोजन के रूप में कई महीनों तक करेंगे तो धीरे-धीरे शरीर में व्याप्त कैनेबिस की विषाक्तता पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।

 उन्होंने धन्यवाद दिया और कहा कि वे अभी ही दक्षिण भारत की यात्रा करेंगे और बीच-बीच में मुझसे संपर्क करते रहेंगे।

 मैंने उन्हें यह भी बताया कि इनमें से दो प्रकार के मेडिसिनल राइस ऐसे हैं जो कि उदान वायु को ठीक करते हैं। मैंने आपके पास बैठे हुए इस बात को महसूस किया कि आपका विशुद्धि चक्र विशेष रूप से सक्रिय है और एक बार जब आप इन मेडिसिनल राइस का उपयोग करना शुरू करेंगे तो यह पूर्ण रूप से सक्रिय हो जाएगा क्योंकि आपकी उदान वायु का दोष दूर हो जाएगा। इसके बाद आप जब भी वाणी का प्रयोग करेंगे तो उसका गहरा असर पड़ेगा। आप चाहे तो प्रेरक के रूप में लोगों को मानसिक अवसाद से निकालने में मदद कर सकते हैं। आपको अपनी वाणी का ही प्रयोग करना है और किसी भी तरह का तांत्रिकीय उपाय नहीं बताना है। मुझे विश्वास है कि एक बार आपके विशुद्धि चक्र के पूरी तरह से सक्रिय हो जाने से आपकी विद्या जिसे कि आप गलत तरीके से उपयोग करते रहे, का आप सही रूप में इस्तेमाल कर पाएंगे।

 उन्होंने मेरी बात को बड़े गौर से सुना और उस पर अमल करने का आश्वासन देकर वापस लौट गए। बीच-बीच में वे संपर्क करते रहे।

हाल ही में उन्होंने मुझे फोन कर बताया कि वे इस समय यूरोप में है और एक सामाजिक संगठन से जुड़ गए हैं। यह सामाजिक संगठन उन लोगों की मानसिक तौर पर मदद कर रहा है जिन्होंने अपने सगे संबंधियों को कोविड-19 महामारी के दौरान खो दिया है। इस संगठन की सहायता से वे उन प्रभावित लोगों से मिल रहे हैं और उन्हें आश्वस्त कर रहे हैं कि वे अकेले नहीं है। उनके साथ दुनिया के सभी लोग हैं और उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। 

उन्होंने बताया कि अंग्रेजी में तो उन्हें पहले से ही महारत हासिल थी अब उन्होंने यूरोप की दूसरी भाषाओं को भी सीखना शुरू कर दिया है ताकि लोगों से सही ढंग से बात की जा सके।

 उन्हें इस पुण्य कार्य में बड़ी सफलता मिल रही है और मानसिक तौर से परेशान लोग सामान्य जीवन की ओर लौट रहे है यानी अब उनकी ऊर्जा का सकारात्मक प्रयोग हो रहा है और साथ में उन्हें प्रायश्चित का भी एहसास हो रहा है।

 मैंने उन्हें ढेरों शुभकामनाएं दी। 


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