Consultation in Corona Period-246 Pankaj Oudhia पंकज अवधिया

Consultation in Corona Period-246





Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"दिन में जब भी मुझे चक्कर आता है तब मेरी सुनने की क्षमता पूरी तरह से समाप्त हो जाती है। जब थोड़ी देर के बाद चक्कर ठीक होता है तब भी उस दिन पूरे दिन भर मुझे ठीक से सुनाई नहीं देता है। हाई पिच की आवाज तो मुझे सुनाई देती है पर आसपास जो लोग बोलते रहते हैं वह बिल्कुल भी नहीं सुनाई देता है। हां यदि आसपास से कोई गाड़ी निकलती है तो उसकी आवाज मुझे आ जाती है। दिनभर कान में तरह-तरह की आवाजें आती रहती है। मैंने सभी तरह के इलाज अपनी इस समस्या के लिए करवाए पर लाभ न होता देखकर मैंने होम्योपैथी का सहारा लिया और पिछले 2 सालों से मैं होम्योपैथिक दवा का प्रयोग कर रहा हूं पर मेरी समस्या का पूरी तरह से समाधान नहीं हो रहा है। मैं आपसे रायपुर में आकर मिलना चाहता हूं पर अपनी व्यस्तता के कारण आने वाले 2 महीनों में रायपुर आना संभव नहीं होगा। यदि आप मेरी समस्या का थोड़ा भी समाधान कर दें तो मैं 2 महीने के बाद आपसे मिलने जरूर आऊंगा।" पश्चिम भारत के एक सज्जन ने जब यह बातें कहीं तो मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा। 

मैंने उनसे यह भी कहा कि स्वास्थ से बढ़कर और क्या जरूरी हो सकता है जो आप 2 महीने का लंबा इंतजार करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि मैं एक जरूरी काम में फंसा हुआ हूं और इस कारण मुझे अपने शहर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।

 मैंने फोन पर उनसे लंबी चर्चा की फिर उनसे पूछा कि क्या आपको माइग्रेन की भी समस्या है और आपके दाहिने सिर में तेज दर्द होता रहता है तो उन्होंने कहा कि हां आपने सही जाना कि मुझे माइग्रेन की भी समस्या है 

। मैंने उनसे पूछा कि क्या आपके दाएं कंधे में भी दर्द होता है जो कि सीने तक चला जाता है तब उन्होंने इसकी पुष्टि की कि उन्हें इस तरह का दर्द होता है। फिर मैंने उनसे पूछा कि क्या आपको जब चक्कर आता है तब बोलने में भी समस्या होती है। वाणी रुक सी जाती है। गला रूंध सा जाता है तो उन्होंने कहा कि हां ऐसा ही होता है।

 आपको पिछले कुछ सालों से क्या बहुत अधिक मात्रा में पेशाब हो रही है तो उन्होंने इसका भी हां में जवाब दिया। क्या आप की पेशाब में पीले रंग के कण पाए जाते हैं और क्या पेशाब करने के बाद मूत्रनली में आपको विशेष तरह की सरसराहट का अनुभव होता है। उन्होंने इस बात की पुष्टि की। उनकी बातों के आधार पर मैंने उन्हें बताया कि होम्योपैथी में चीनोपोडियम नामक एक दवा होती है जिसका प्रयोग अगर वह करेंगे तो एक खुराक में ही उनकी समस्या का काफी हद तक के समाधान हो जाएगा पर यह समस्या पूरी तरह से ठीक नहीं होगी। इसके लिए उन्हें रायपुर आना होगा जहां मैं एक छोटा सा परीक्षण करूंगा। इससे पता चलेगा कि इस तरह के लक्षण क्यों आ रहे हैं पर अभी 2 महीने के लिए वे होम्योपैथी की इस दवा का प्रयोग कर सकते हैं और अगर वे चाहें तो मैं उनके चिकित्सक से बात कर सकता हूं और उन्हें समझा सकता हूं कि वह इस दवा का प्रयोग करके अपने मरीज को राहत पहुंचा सकते हैं। उन सज्जन ने धन्यवाद दिया और कहा कि आप ही क्यों नहीं वह दवा मुझे दे देते। मैंने कहा कि मैंने होम्योपैथी का अध्ययन किया है और कृषि में इसका प्रयोग भी किया है पर मैं चिकित्सक नहीं हूं और दवाएं हमेशा चिकित्सक के मार्गदर्शन में ही लेनी चाहिए। 

जब उन्होंने अपने चिकित्सक से बात कराई तो वे मेरी बात से बिफर गए और कहने लगे कि कैसे इतनी बड़ी समस्या एक खुराक से ठीक होगी। इसे ठीक होने में कम से कम 1 साल का समय लगेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वे अपनी विद्या के आधार पर दवाओं का चयन करेंगे न कि किसी के कहने पर।

अब सज्जन थोड़े परेशान हो गए। उन्होंने एक और रास्ता निकाला। उन्होंने बताया कि उनके एक मित्र मुंबई के प्रसिद्ध होम्योपैथ हैं।  अगर आप चाहे तो उनसे बात हो सकती है। जब उनके मित्र से बात हुई तो वे इस बात के लिए तैयार हो गए। उनके लिए भी यह नई जानकारी थी पर वह एक सहृदय चिकित्सक थे। उन्होंने सज्जन को चीनोपोडियम की एक खुराक दी और 24 घंटों के अंदर ही उन्हें लाभ होने लगा।

 3 महीने के बाद जब उन्होंने मुझसे फिर से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उनकी 90% समस्या का समाधान हो गया है पर कानों की समस्या अभी तक उग्र अवस्था में है और वह रायपुर आने के लिए तैयार है। मैंने उन्हें अपॉइंटमेंट दे दिया और नियत समय में रायपुर बुलवा लिया। मैंने उनके द्वारा उपयोग किए जा रही खानपान की सामग्रियों के बारे में विस्तार से जानकारी ली और फिर उस आधार पर एक लंबी चौड़ी प्रश्नावली तैयार की। जब उस प्रश्नावली का जवाब मेरे पास आ गया तो उस आधार पर मैंने साधारण से परीक्षण का मन बनाया और उनके सामने 25 प्रकार की वनस्पतियां रखी जिन्हें चखकर उन्हें बताना था कि इन वनस्पतियों का स्वाद कैसा है? इस परीक्षण के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि किस वनस्पति के कारण उनको इस तरह के लक्षण आ रहे हैं।

 उन्होंने बताया था कि वे सुपरफूड Quinoa का उपयोग कर रहे हैं और जितनी मात्रा में वे इसका उपयोग कर रहे हैं उतनी मात्रा में साधारण लोग इसका प्रयोग नहीं करते हैं। उन्हें इसके प्रयोग से ही इस तरह के विपरीत लक्षण आ रहे थे।उन्होंने इस तथाकथित सुपरफूड का उपयोग करने से पहले किसी तरह का परीक्षण नहीं कराया था कि इससे उन्हें किसी प्रकार की एलर्जी तो नहीं होगी या किसी प्रकार का नुकसान तो नहीं होगा। वास्तव में उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि सुपरफूड के नाम पर प्रचारित किए जा रहे Quinoa से इस तरह के नुकसान भी हो सकते हैं। मैंने उनसे कहा कि वे वापस जाकर अपने हृदय, फेफड़े और अमाशय की जांच भी कराएं। मुझे लगता है कि इनकी हालत भी ठीक नहीं होगी और इसके लिए Quinoa का अधिक मात्रा में लंबे समय तक प्रयोग ही जिम्मेदार है। 

उन्होंने रायपुर में ही परीक्षण का निश्चय किया और जब मैंने अपने एक मित्र चिकित्सक के पास उन्हें भेजा तो स्थिति स्पष्ट होने लगी। शाम को जब फिर रिपोर्ट आई तो यह स्पष्ट हो गया कि ये तीनों ही अंग विशेष रूप से प्रभावित हो रहे थे। मैंने उन सज्जन को इस रिपोर्ट के आधार पर कहा कि वे इस तथाकथित सुपरफूड का प्रयोग करना तुरंत रोक दें। इससे उनकी समस्या का काफी हद तक समाधान हो जाएगा।

 मैंने उन्हें मेडिसिनल राइस और मिलेट पर आधारित एक चूर्ण बना कर दिया और कहा कि वे दूध के साथ इसका प्रयोग लंबे समय तक करते रहे। इससे Quinoa की विषाक्तता खत्म हो जाएगी और जैसे ही यह विषाक्तता खत्म होगी उनकी स्थिति सामान्य मनुष्यों की तरह हो जाएगी अर्थात उन्हें सभी तरह के कष्टों से पूरी तरह से मुक्ति मिल जाएगी।

 सारी सामग्री और जानकारियां लेकर वे वापस लौट गए। बीच-बीच में वे संपर्क करते रहे। जब भी वे किसी नई सामग्री का प्रयोग शुरु करते थे तो एक बार मुझसे पूछ लेते थे कि इससे उन्हें किसी प्रकार की कोई समस्या तो नहीं होगी। फिर 5 महीने बाद उनका फोन आया कि अब उनकी समस्या का पूरी तरह से निराकरण हो गया है और उन्हें किसी भी तरह की तकलीफ नहीं हो रही है। कान की जो समस्या उग्र थी वह भी ठीक हो गई है।

 उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया। मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी। 


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