Consultation in Corona Period-99

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


 "लॉकडाउन में 10 युवकों ने मिलकर एक वाइन पार्टी की। पार्टी खत्म होते-होते तक एक युवक की हालत बिगड़ने लगी।


 उसे कई तरह के विचित्र लक्षण आने लगे और अस्पताल ले जाते तक उसकी मृत्यु हो गई। 


यह हाल की घटना है। यह एक हाई प्रोफाइल केस है और युवक एक अति संपन्न परिवार से है। 


मुझे यह केस मिला है और इसमें मैं आपकी सहायता चाहता हूँ क्योंकि हम किसी भी प्रकार से यह नहीं जान पा रहे हैं कि अचानक ही उसकी मृत्यु का कारण क्या है? 


क्या उसे जहर दिया गया है? हमें पहले लगा कि जहर शराब में मिला कर दिया गया है पर जब हमने शराब की जांच की तो उसमें किसी भी प्रकार का जहर नहीं मिला। 


केवल इसी युवक की जान गई और पार्टी में उपस्थित दूसरे युवकों को कुछ भी नहीं हुआ जबकि उन्होंने एक ही तरह की शराब पी थी और एक ही तरह का भोजन किया था। 


हमने पूरी पार्टी का सीसीटीवी फुटेज भी देखा है और हम यह दावे से कह सकते हैं कि उसके खाने में किसी भी प्रकार का जहर नही मिलाया गया था।" 


उत्तर भारत से मेरे फॉरेंसिक विशेषज्ञ मित्र का जब यह संदेश आया तो मैंने कहा कि मैं आपकी मदद करूंगा।


 मैंने पूरी रिपोर्ट मंगाई और उनसे यह जाना कि मृत्यु से पहले किस तरह के लक्षण आ रहे थे। सभी रिपोर्टों का अध्ययन करने के बाद मैंने उनसे कहा कि यह कनेर के जहर के लक्षण है। 


कनेर का नाम सुनकर उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ और कहा कि इस पार्टी में कनेर कहां से आएगा और कनेर का प्रयोग तो किसी भी खाद्य सामग्री में नहीं किया जाता है। हत्या के लिए ही इसका प्रयोग किया जाता है। 


उन्होंने धन्यवाद दिया और कहा कि वे जांच के बाद बताएंगे कि क्या मृत्यु का कारण कनेर का जहर था? 


कुछ समय बाद उनका फोन आया कि मेरा अनुमान सही था और मृत्यु का कारण कनेर का जहर ही था। 


उन्होंने चौंकाने वाली बात बताई कि पेट में कनेर की मात्रा नहीं पाई गई है यानी कि किसी खाद्य सामग्री के साथ या किसी खाने वाली दवा के रूप में कनेर उस युवक को नहीं दिया गया था। 


मैंने उनसे कहा कि वे पूरे शरीर में कनेर के जहर की उपस्थिति की जांच करें और मुझे बताएं कि शरीर के ऊपरी या निचले हिस्से में इस जहर का अधिक सांद्रण है या दाएं या बाएं हिस्से में?


 क्या कनेर का जहर शरीर के किसी विशेष अंग तक सीमित है? इसके लिए उन्हें विस्तार से अध्ययन करने की जरूरत थी और वे इस बात के लिए तैयार हो गए। 


इस समय तक इस केस को हत्या का मामला घोषित कर दिया गया था और यह माना गया था कि किसी ने विषैला कनेर खिलाकर उस युवक को मारने की कोशिश की है।


 जब फॉरेंसिक विशेषज्ञ मित्र ने अगली बार मुझसे संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि शरीर के निचले हिस्से में कनेर के जहर की मात्रा अधिक है जबकि ऊपरी हिस्से में बहुत कम है। 


उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया है कि जननांगों के आसपास कनेर के जहर की मात्रा बहुत अधिक है। उस युवक के बारे में उन्होंने बताया कि वह 25 वर्ष का था और उसे किडनी की समस्या थी। 


किडनी की समस्या के लिए वह आधुनिक दवाओं का प्रयोग कर रहा था और उसे किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं थी। 


वह शराब का शौकीन था। वह विवाहित था पर उसका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं था। पत्नी उससे अलग रहती थी। 


देर रात तक पार्टियों करना उसकी रोज की आदत थी। इन पार्टियों में अधिकतर युवक ही होते थे। युवतियों को शामिल नहीं किया जाता था। 


फॉरेंसिक विशेषज्ञ मित्र ने बहुत सारी महत्वपूर्ण जानकारियां दी जिसके आधार पर मैंने उनसे कहा कि वे इस बात का पता करें कि क्या किसी तांत्रिक द्वारा उस युवक को कोई दवा दी जा रही थी?


 उन्होंने युवक के परिवारजनों से इस बारे में बात की। उसकी पत्नी से भी बात की। 


पत्नी ने बताया कि उसे नपुंसकता की समस्या थी और इसीलिए उनका वैवाहिक जीवन स्थिर नहीं था। उसके लिंग में बहुत अधिक टेढ़ापन था जिससे कि समागम में बहुत अधिक दिक्कत होती थी।


 उसने दुनियाभर के चिकित्सकों से इस बारे में सलाह ली और दवाओं का प्रयोग किया पर उसकी समस्या का किसी भी तरह से समाधान नहीं हुआ।


 उसके मित्र इस बात को जानते थे और समय-समय पर उसे चिढ़ाते रहते थे। अपनी इसी समस्या के कारण वह महिला मित्रों से पूरी तरह से दूर रहता था।


 उसे चिकित्सकों ने समझाया था कि लिंग का टेढापन ज्यादा बड़ी समस्या नहीं है और इसके साथ भी जिया जा सकता है पर उसके मन में यह बैठ गया था कि वह पूरी तरह से परफेक्ट नहीं है इसलिए उसने थक हार कर एक तांत्रिक का सहारा लिया। 


वह उड़ीसा का एक तांत्रिक था। उसका पता उसकी पत्नी ने फॉरेंसिक विशेषज्ञ मित्र को दिया। 


फॉरेंसिक विशेषज्ञ मित्र ने कहा कि हम उस तांत्रिक से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं पर हमें बताया गया है कि वह भारत से बाहर है और करीब 3 महीने बाद वापस आएगा। 


जब मुझे उस तांत्रिक का नाम बताया गया तो यह मामला कुछ-कुछ सुलझता नजर आया।


 मैंने अपने फॉरेंसिक विशेषज्ञ मित्र से कहा कि वह तांत्रिक लिंग की समस्या के लिए कई तरह की जड़ी बूटियों का लेप प्रयोग करता है। लिंग के टेढ़ेपन के लिए वह कनेर की जड़ का उपयोग करता है और इसमें कटेरी भी मिलाता है।


 इस घोल को लेप के रूप में लिंग में लंबे समय तक लगाना होता है और फिर घोल के सूख जाने पर उसे धो लेना होता है। 


मैं पिछले 30 वर्षों से इस तांत्रिक को जानता हूँ और यह भी जानता हूँ कि इसके इस लेप के प्रयोग से एक भी व्यक्ति अभी तक ठीक नहीं हुआ है बल्कि नई-नई मुसीबतों में फंस गया है।


 क्योंकि कनेर की जड़ को जब शरीर के किसी भी हिस्से में लंबे समय तक लगाया जाता है तो त्वचा के माध्यम से वह शरीर के अंदर पहुंच जाता है और लंबे समय तक उसे नुकसान पहुँचाता रहता है। 


जब लिंग में कनेर की जड़ का प्रयोग किया जाता है तो उसके आसपास के हिस्से कनेर की विषाक्तता से बुरी तरह प्रभावित होते हैं और अपना काम करना बंद कर देते हैं।


 जैसा कि आपने बताया कि कनेर के जहर की अधिक मात्रा शरीर के निचले हिस्से में थी। उससे मुझे पूरा यकीन है कि यह तांत्रिक इस युवक को कनेर की जड़ का नुस्खा ही दे रहा होगा। 


जब कनेर का जहर शरीर में पूरी तरह फैल जाता है तो उसकी बहुत सारी दवाओं और खाद्य सामग्रियों से नकारात्मक प्रतिक्रिया होती है। शराब से तो इसकी बहुत अधिक बुरी प्रतिक्रिया होती है। 


मुझे लगता है कि यह विष बहुत अधिक मात्रा में उस युवक के शरीर में रहा होगा और जब उसने शराब का अधिक मात्रा में सेवन किया होगा तब उसकी स्थिति अचानक से बिगड़ गई होगी और देखते ही देखते उसकी मृत्यु हो गई होगी। 


फोरेंसिक विशेषज्ञ मित्र ने धन्यवाद दिया और कहा कि वे तांत्रिक द्वारा दिए गए चूर्ण का विश्लेषण करेंगे और उसके बाद उसके परिणामों के बारे में बताएंगे। 


कुछ समय बाद उन्होंने बताया कि चूर्ण में बहुत अधिक मात्रा में कनेर के जहर की उपस्थिति थी। यह वही जहर था जो युवक के शरीर में विशेषकर शरीर के निचले हिस्से में भी फैला हुआ था। 


अब हत्या की गुत्थी सुलझ गई थी और यह हत्या का मामला नहीं रह गया था। 


इस मामले से जुड़े सभी लोगों के लिए यह नई जानकारी थी। उन सब ने एक स्वर में भारतीय पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान का धन्यवाद किया। 


सर्वाधिकार सुरक्षित


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