Consultation in Corona Period-85

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"अगर आप उसके लिंग की तस्वीरें देखेंगे तो आपके होश उड़ जाएंगे। 


पूरा लिंग काला पड़ गया है और दिन भर उस व्यक्ति को असहनीय खुजली होती है और रात में असहनीय दर्द और जलन। 


यह व्यक्ति भारत का रहने वाला है और हाल ही में लंदन छुट्टियों में आया हुआ है। हमने उसकी सभी तरह की जांच की। 


पहले हमें लगा कि यह लिंग का कैंसर है पर जब उसका परीक्षण कराया गया तो वह कैंसर नहीं निकला।


 हमने और भी बहुत सारे परीक्षण किए और सभी संभावनाओं को टटोला पर समस्या का समाधान नहीं हुआ। 


हमने उसके बाद ड्रग इंटरेक्शन पर ध्यान दिया पर हमें कुछ समझ में नहीं आया। हमने उसकी सारी दवायें बंद कर दी फिर भी लिंग में होने वाली खुजली, दर्द और जलन से उसे किसी भी तरह से राहत नहीं मिल रही है। 


यह एक 30 वर्षीय युवक का केस है और लंदन में हम चिकित्सकों के बीच यह चैलेंज की तरह है। आप अगर इस बारे में किसी प्रकार की सलाह देना चाहे तो हमारा अस्पताल आपकी फीस देने को तैयार है।" 


लंदन से एक डॉक्टर मित्र का जब यह संदेश आया तो मैंने उनसे कहा कि आप सारी रिपोर्ट मुझे भेजें। 


जब मैंने रिपोर्ट का अध्ययन किया और उनके द्वारा भेजी गई लिंग की कई तस्वीरों को ध्यान से देखा तो कुछ-कुछ सूत्र मिलने लग गए।


 मुझे बताया गया कि युवक को किसी भी प्रकार का कोई रोग नहीं है और उसकी किसी भी प्रकार की दवा नहीं चल रही है। 


वह शराब का शौकीन है पर वह केवल शनिवार और रविवार को ही इसका सेवन करता है। वह भी सीमित मात्रा में। 


उसको किसी भी प्रकार की एलर्जी नहीं है। लिंग में लाल रंग के चकत्ते उभर आते हैं और फिर सारे उपद्रव शुरू हो जाते हैं। 


वह धार्मिक किस्म का है और डॉक्टरों ने उसकी जांच की थी कि उसे किसी प्रकार का एसटीडी तो नहीं है। उसने सभी परीक्षणों को सफलतापूर्वक पार कर लिया। 


मुझे उस के खान-पान के बारे में भी विस्तार से बताया गया। वह किसी भी प्रकार के Deep fried खाने का प्रयोग नहीं करता था और नियमित भोजन पर विश्वास करता था। 


वह वैसे तो शाकाहारी था पर उसे मांसाहार से परहेज नहीं था। वह दिन में केवल एक बार ही चाय का प्रयोग करता था और वह भी ग्रीन टी का। 


हां उसे कई प्रकार के मीठे शरबत पीने का शौक था पर कार्बोनेटेड पेय उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं थे।


 वह Mayonnaise का जबरदस्त फैन था और रोज खाने में रोटी के साथ भी इसका प्रयोग करता था। इसलिए पहला शक उसी के ऊपर गया। 


जब मैंने लंदन के डॉक्टर मित्र से कहा कि वे Mayonnaise का प्रयोग कुछ समय तक रोक कर देखें और फिर मुझे बताएं कि इससे उसके लक्षणों में किसी प्रकार की कमी आई क्या?


 एक हफ्ते बाद जब डॉक्टर मित्र का फिर से फोन आया तो उन्होंने बताया कि Mayonnaise का प्रयोग बंद कर देने से उसकी समस्या का किसी भी तरह से समाधान नहीं हुआ और उसके कष्ट अभी भी उसी स्तर पर जारी है।


 मैंने डॉक्टर मित्र से कहा कि वे लंदन में किसी हर्बलिस्ट की बात मुझसे कराएं। 


जब उन्होंने एक जाने-माने हर्बलिस्ट से मेरी बात कराई तो मैंने उनसे कहा कि आप ये 10 तरह की जड़ी बूटियां लंदन में मेरे डॉक्टर मित्र को दें। 


फिर डॉक्टर मित्र को फोन कर कहा कि वे एक-एक करके इन जड़ी बूटी का विधि अनुसार घोल बनाकर लिंग में लेप करें और जिस घोल को लगाने के तुरंत बाद लक्षण बहुत अधिक उग्र हो जाएं यानि दर्द, जलन, खुजली उग्र हो जाए तो तुरंत ही साबुन पानी से इस घोल को हटा दें और लिंग को पूरी तरह से साफ कर दें। 


मैंने उन्हें स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह किसी तरह का उपचार नहीं है बल्कि यह भारत के पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान के अनुसार एक तरह का परीक्षण है यह जानने के लिए कि युवक को ऐसी समस्या क्यों हो रही है?


 जब डॉक्टर मित्र ने इस तरह का परीक्षण किया तो उन्हें एक जड़ी बूटी का घोल ऐसा मिला जो कि लक्षणों को बहुत अधिक बढ़ा दे रहा था। 


उन्होंने जब इसके बारे में बताया तो सारी तस्वीर साफ हो गई।


 मैंने डॉक्टर मित्र से पूछा कि क्या वह युवक किसी तरह से आधुनिक खेती से जुड़ा हुआ है तो उन्होंने कहा कि हां पंजाब में उसका एक बहुत बड़ा फार्म है और उसका परिवार लंदन में भी खेती के व्यवसाय से जुड़ा हुआ है। 


फिर मैंने पूछा कि क्या वह खेत में बहुत अधिक समय बिताता है तो उन्होंने कहा कि हां खेतों को वह पूरी तरह से खुद ही संभालता है और मजदूरों पर कम आश्रित रहता है।


 फिर मैंने पूछा कि क्या वह एग्रोकेमिकल्स को खुद ही खेत में डालता है और स्टोर में से लेकर आता है?


डॉक्टर मित्र ने उस युवक से पूछकर बताया कि वह स्टोर रूम से लेकर खेतों में एग्रोकेमिकल्स को डालने का काम खुद ही करता है। 


अब मैंने उनसे कहा कि जब वह इन रसायनों का प्रयोग खेतों में करता है तो क्या उसका शरीर सुरक्षा कवच से ढका हुआ रहता है तो डॉक्टर मित्र ने बताया कि सुरक्षा कवच पहनकर खेतों में काम करना बड़ा मुश्किल काम है विशेषकर देश के गर्म इलाकों में इसलिए सुरक्षा मानकों का प्रयोग नहीं करता है।


 मेरा अगला प्रश्न था कि उस युवक को जब यह समस्या नहीं शुरु हुई थी तब भी क्या उसे अंडकोष में लगातार खुजली की समस्या बनी रहती थी?


 तो उस युवक का जवाब आया कि हां, उसे बचपन से ही अण्डकोष में खुजली की समस्या रहती थी क्योंकि वह उमस वाले स्थान में रहता है और कपड़ों के कारण अंडकोष में बहुत अधिक पसीना जमता है। इसलिए साल भर खुजली का रोग रहता है। 


अब मेरी युवक से सीधी बात होने लगी। 


उसी वक्त मैंने पूछा कि वह जब तरह-तरह के एग्रोकेमिकल्स का प्रयोग करता है तो क्या हाथों में दास्ताने पहनता है तो उसने कहा कि दास्ताने पहनने की आदत उसकी नहीं है।


 पर वह जब खेत से लौटता है तो घर में खाना खाने से पहले अच्छे से नहा लेता है और साबुन से पूरे शरीर को साफ कर लेता है। 


मैंने कहा कि क्या वह Agrochemicals को खेत में डालने के बाद भी हर बार हाथ होता है तो उसने कहा कि नहीं, यह संभव नहीं है।


 फिर मैंने उससे आखिरी सवाल पूछा कि क्या वह खरपतवारों को नष्ट करने के लिए पैराक्वाट का उपयोग करता है तो उसने कहा कि हां, पैराक्वाट का प्रयोग वह अक्सर करता है क्योंकि यह खतरनाक से खतरनाक खरपतवारों को नष्ट करने में कारगर है।


 बस अब सारी समस्या का समाधान दिख रहा था।


 मैंने अपने डॉक्टर मित्र को कहा कि यह Paraquat Toxicity  का लक्षण है जो कि भारत में आधुनिक खेती कर रहे किसानों के ऊपर अधिकतर देखा जाता है। 


यूं तो पैराक्वाट नाक के माध्यम से शरीर में जाता है पर बहुत से मामलों में यह त्वचा से भी अवशोषित हो जाता है। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ। 


अधिकतर किसानों को अंडकोष में खुजली होती है और जब वे खेतों में पैराक्वाट का प्रयोग करते हैं और उनके हाथों में यह रसायन लगा होता है तो वे अनजाने में ही अंडकोष की खुजली कर बैठते हैं और इस तरह वहां की नाजुक त्वचा से इसका अवशोषण हो जाता है। 


इसी तरह जब वे पेशाब करते हैं तब भी वे लिंग को कई बार छूते हैं और उस समय इस बात का ध्यान नहीं रखते हैं कि उनके हाथ में वह रसायन लगा हुआ है। 


लंबे समय तक इस गलती के कारण लिंग में उसी तरह के लक्षण आने लग जाते हैं जिस तरह के लक्षण इस युवक के लिंग में आ रहे हैं।


 मैंने डॉक्टर मित्र से आगे कहा कि वह परीक्षण कर यह जांच कर सकते हैं कि लिंग की त्वचा में पैराक्वाट कितनी मात्रा में है।


 मैंने उनसे अनुरोध किया कि आप इसके एंटीडोट का प्रयोग करेंगे तो कई वर्षों में हो सकता है कि लिंग अपनी वास्तविक स्थिति में वापस आ जाए लेकिन तब तक इन सब समस्याओं से युवक को जूझना होगा। 


उन्होंने जांच कर बताया कि उस युवक के लिंग की त्वचा में पैराक्वाट की उपस्थिति है पर यह मजबूरी बताई कि उनके पास इस एग्रोकेमिकल का एंटीडोट नहीं है।


 उन्होंने यह भी आशंका व्यक्त की कि यदि त्वचा में पैराक्वाट लंबे समय तक रह गया तो निश्चित ही यह कैंसर में परिवर्तित हो जाएगा और युवक की जान पर बन आएगी। 


उन्होंने एंटीडोट के लिए मेरी मदद मांगी। 


मैंने उन्हें बताया कि भारतीय पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान इस बारे में अधिक जानकारी नहीं रखता है पर इस बारे में अवश्य जानकारी है कि अगर लिंग में किसी प्रकार का विष एकत्र हो जाए तो लिंग से इसे कैसे प्रभावी तरीके से दूर किया जा सकता है। 


इसके लिए बहुत सारी औषधीयां पारंपरिक चिकित्सा में प्रयोग की जाती है। हमें इस पर प्रयोग करना होगा। 


हो सकता है कि इन औषधीयों में से कुछ युवक के लक्षणों को दूर करने में सफल साबित हो। 


आप सारी बातें युवक को अच्छे से बता दीजिए और कह दीजिए कि अब वह इस तरह की गलती न करे और साथ में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में प्रयुक्त होने वाली औषधीयों का लंबे समय तक प्रयोग करे।


उम्मीद रखे कि उसकी समस्या का देर सबेर स्थायी समाधान निकलेगा।


 डॉक्टर मित्र ने धन्यवाद ज्ञापित किया। 


सर्वाधिकार सुरक्षित

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