Consultation in Corona Period-94

Consultation in Corona Period-94



Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"Breast Enhancement के लिए एशिया में प्रयोग की जाने वाली जड़ी बूटियों पर मैं शोध कर रही हूँ।


 मैं मलेशिया की एक यूनिवर्सिटी से आई हूँ और मैंने आपका बहुत सारा शोध इस विषय पर देखा है, बहुत सारे शोधपत्र पढ़े हैं इसलिए मैं आपसे मिलने इतनी दूर से आई हूँ।"


 मलेशिया की एक यूनिवर्सिटी की शोध छात्रा ने जब रायपुर में मुझसे मुलाकात की तो मैंने कहा कि मैं उसे जितनी भी प्रकाशित जानकारी हो सकेगी उपलब्ध करा दूँगा- ऐसा कह कर मैंने उसे अपने शोध पत्र दिए जो कि Breast Enhancement के लिए उपयोग की जाने वाली जड़ी बूटियों पर केंद्रित थे।


 इन शोध पत्रों को लेने के बाद उसने कहा कि वह इन जड़ी-बूटियों के प्रैक्टिकल यूज को देखना चाहती हैं।


 मैंने उसे कहा कि यह मैं नहीं कर पाऊंगा पर यदि वह चाहे तो मैं एक महिला पारंपरिक चिकित्सक का पता उसे दे सकता हूँ जो कि उत्तर छत्तीसगढ़ में अपनी सेवाएं देती हैं। वे आपकी अच्छे से मदद कर पायेंगी। 


मलेशिया की शोध छात्रा इस बात के लिए तैयार हो गई और उसी रात उत्तर छत्तीसगढ़ के लिए रवाना हो गई। 


मैंने एक पत्र लिखकर दिया था जिसमें कि उन महिला पारंपरिक चिकित्सक को संबोधित किया गया था और उनसे अनुरोध किया गया था कि वे इस शोध छात्रा की मदद करें। 


फिर बहुत दिनों तक उससे किसी भी तरह का कोई संपर्क नहीं रहा। 3 महीनों बाद जब ऐसे ही मेरी बात महिला पारंपरिक चिकित्सक से फोन पर हुई तो उन्होंने बताया कि 1 दिन के लिए आई वह लड़की 6 महीनों तक उनके पास रुकने की तैयारी में है। 


वह सारी जड़ी बूटियों को अपने ऊपर प्रयोग कर रही है और अपनी नोटबुक में कुछ लिखती जा रही है। 


महिला पारम्परिक चिकित्सक ने इस बात का भी खुलासा किया कि वह दरअसल शोध छात्रा नहीं है बल्कि एक मॉडल है जो कि शोध छात्रा का रूप धर कर आई है। 


लंबे समय तक उसके साथ रहने से महिला पारंपरिक चिकित्सक उसके बारे में बहुत कुछ जान गई थी।


 वह मॉडल महिला पारंपरिक चिकित्सक के ऊपर दबाव बनाए हुए थी कि वे किसी भी हालत में Breast Enhancement के फार्मूले के बारे में उसे बताएं पर महिला पारंपरिक चिकित्सक इस बात के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी।


 यह उनका पारंपरिक ज्ञान था और वे जानती थी कि गलत हाथों में इस ज्ञान के चले जाने से उनके पूर्वज नाराज हो सकते हैं।


 6 महीने की मशक्कत के बाद मलेशिया से आई वह महिला मनमसोसकर वापस लौट गई।


 उसके लौटने के बाद महिला पारंपरिक चिकित्सक ने मुझे एक कार्ड भेजा जो गलती से उस मलेशियाई महिला के कमरे में छूट गया था।


 उसमें एक इंटरनेट लिंक था जिसे खोलने पर मेरी आंखें चौड़ी हो गई। 


मलेशिया से शोध छात्रा का रूप लेकर आई वह महिला वास्तव में एक प्रसिद्ध पोर्न स्टार थी। 


जिस लिंक के माध्यम से मुझे उसके बारे में जानकारी मिली उस लिंक में मैंने उसे Breast Enhancement के भारतीय नुस्खों के बारे में व्याख्यान देते सुना। 


वह इन व्याख्यानो में साफ-साफ बता रही थी कि वह भारत गई थी। वहां के एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक से मिली और फिर एक पारंपरिक चिकित्सक की सहायता से एक ऐसा फार्मूला ढूंढ निकाला है जिससे कि बिना किसी सर्जरी के Breast Enhancement किया जा सकता है। 


मैंने तो उसे किसी भी प्रकार की गोपनीय जानकारी नहीं दी थी। न ही किसी फार्मूले के बारे में बताया था।


 महिला पारंपरिक चिकित्सक ने भी इस बात की पुष्टि की कि उन्होंने भी किसी तरह का नुस्खा गलती से भी उस महिला को नहीं बताया था। 


बाद में पता चला कि थाईलैंड के कोई साधारण से नुस्खे को भारतीय बताकर वह महिला Breast Enhancement के लिए मार्केटिंग कर रही थी। 


काफी लंबे समय तक वह लिंक सक्रिय रहा। उसके बाद फिर अपने आप बंद हो गया। 


मेरे लिए यह अजीब सा अनुभव रहा पर इसमे कुछ भी नया नही था। उस समय मेरे पास अधिकतर ऐसे लोग आते थे जिन्हें गोपनीय नुस्खों की जानकारी चाहिए होती थी और वे जानते थे कि अगर छात्र या छात्रा बनकर वे मेरे पास आएंगे तो उन्हें ज्ञान के नाम पर बहुत सारे राज ऐसे ही मिल सकते हैं। पर वे सफल नही हो पाते थे।


इस घटना के बाद मैं बहुत अधिक सतर्क हो गया और सभी आने वालों को संदेह से देखने लगा। 


इससे उन लोगों को बहुत परेशानी हुई जो वास्तव में किसी रोग के शिकार थे और मुझसे मिलने बड़ी आशा लेकर आए थे। मुझे लगता था कि ये ड्रग कंपनी के लोग हैं जो मुझसे फार्मूला जानना चाहते हैं।


 मलेशिया की छद्म शोध छात्रा के आने से तो मेरा शक और अधिक गहरा हो गया। 


दो-तीन वर्ष पहले मैंने इंटरनेट पर किसी हर्बल प्रोडक्ट के विज्ञापन पर उसकी तस्वीर फिर से देखी।


 उसकी आकृतियों को देखकर मुझे शक हुआ कि शायद उसने सिलिकॉन इम्प्लांट का उपयोग किया है अर्थात ब्रेस्ट एनहैंसमेंट की जड़ी बूटियों पर से उसका विश्वास पूरी तरह से उठ गया है।


 आज इस कोरोना काल में जब उन महिला पारंपरिक चिकित्सक का फोन मेरे पास आया तो उन्होंने बताया कि मलेशिया की उस महिला ने फिर से संपर्क किया है और बताया है कि उसे चौथी अवस्था का ब्रेस्ट कैंसर हो गया है और वह इसकी चिकित्सा के लिए भारत आना चाहती है। 


संभवत: उसे वहां के चिकित्सकों ने कह दिया होगा कि अब बीमारी लाइलाज हो चुकी है। 


महिला पारंपरिक चिकित्सक ने साफ शब्दों में कह दिया कि वह ब्रेस्ट कैंसर की चिकित्सा में दक्ष नहीं है और उन्होंने उस महिला से अनुरोध किया कि वह रायपुर में मुझसे मिले। 


आशा के अनुसार कुछ दिनों में उस महिला का फोन मेरे पास आया तो मैंने उसे स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस बार बहानेबाजी नहीं चलेगी और जो मूल समस्या है वही बतानी होगी। 


किसी तरह का प्रपंच इस बार काम नहीं आएगा। 


वह फोन पर रोने लगी और बोली कि मैं अपनी रिपोर्ट आपको व्हाट्सएप कर रही हूँ। मेरी स्थिति सचमुच बहुत खराब है। 


मेरी रिपोर्ट देखकर आपको पता चल जाएगा कि मैं बिल्कुल भी झूठ नहीं बोल रही हूँ। 


मैं बहुत शर्मिंदा हूँ कि उस समय मैंने आपको धोखा दिया। 


उसने यह भी बताया कि उसने कुछ समय तक उत्तर छत्तीसगढ़ की महिला पारंपरिक चिकित्सक से प्राप्त नुस्खों का प्रयोग किया पर जब दवा खत्म हो गई और उम्र ढलने लगी तो लोगों की सलाह पर उसने सिलिकॉन इम्प्लांट करा लिया।


 ऑपरेशन पूरी तरह से सफल नहीं हुआ और ऑपरेशन के तुरंत बाद से ही समस्या शुरू हो गई। धीरे-धीरे कई सर्जरीयों के बाद अब डॉक्टरों ने और नई सर्जरी करने से इंकार कर दिया है। 


बेस्ट कैंसर अब शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल चुका है और मेरे पास अधिक समय बाकी नहीं है।


 मैंने उसे माफ करने का फैसला किया और उसे कहा कि लॉकडाउन खत्म होते ही वह रायपुर आने की तैयारी करें। 


यहां एक पारंपरिक चिकित्सक है जो ऐसी अवस्था के कैंसर की चिकित्सा में महारत रखते हैं। 


मैं उनके साथ जुड़ा हुआ हूँ और हम दोनों मिलकर उसकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे। 


उसने धन्यवाद दिया और कहा कि उसे अभी दवा की जरूरत है और भारत आने में तो काफी समय लग जाएगा। 


तब मैंने उसे थाईलैंड की एक प्रसिद्ध एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में भेजा और वहां के प्रोफेसर के माध्यम से उसे 5 तरह के स्थानीय मेडिसिनल राइस दिलवाए। 


इन राइस का प्रयोग उसे आंतरिक रूप से भी करना था और बाहरी रूप से भी। 


मैंने उसे आश्वस्त किया है कि इससे उसके कैंसर का उग्र रूप शांत हो जाएगा और वह जब भारत आएगी तब यहां की पारंपरिक औषधीयों की सहायता से संभवत: पूरी तरह से इस विकट रोग से मुक्त हो जाएगी। 


उसने धन्यवाद ज्ञापित किया।


 सर्वाधिकार सुरक्षित




Comments

Popular posts from this blog

कैंसर में कामराज, भोजराज और तेजराज, Paclitaxel के साथ प्रयोग करने से आयें बाज

गुलसकरी के साथ प्रयोग की जाने वाली अमरकंटक की जड़ी-बूटियाँ:कुछ उपयोगी कड़ियाँ

भटवास का प्रयोग - किडनी के रोगों (Diseases of Kidneys) की पारम्परिक चिकित्सा (Traditional Healing)