Consultation in Corona Period-106

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"एक बड़ी सी कार ने हमारे शोरूम के सामने एक राहगीर को कुचल दिया था। 


बाहर के शोर को सुनकर मेरा इकलौता बेटा जब बाहर निकला और उसने मरते हुए राहगीर को देखा तो वह बेहोश हो गया। 


जब उसे होश आया तो कई दिन बीत चुके थे। वह गहरे सदमे में था। वह अपनी सुध-बुध पूरी तरह से खो चुका था। 


न वह ठीक से खा रहा था न ही किसी से बात कर रहा था। बस गुमसुम सा एक कोने में दिनभर बैठा रहता था। 


उसके चिकित्सकों ने बताया कि उसे गहरा मानसिक आघात लगा है और उन्होंने उसे कई तरह की दवाएं दी पर साथ में यह भी कहा कि यह मानसिक आघात धीरे-धीरे समय के साथ ठीक होगा और इसमें बहुत अधिक समय लगेगा। 


मेरी आयु अब बहुत हो चुकी है और मैं शोरूम में बैठने के काबिल नहीं हूँ। मुझे लगातार डॉक्टरों से मिलना पड़ता है। 


मेरा लड़का ही पूरे कारोबार को संभाल रहा था। उसके इस तरह गुमसुम हो जाने से सारा कारोबार ठप्प पड़ा हुआ है और मुझे फिर से वापस बिगड़े हुए कारोबार को संभालना पड़ रहा है। 


यह घटना कई वर्षों पुरानी है। हमने दुनिया भर के चिकित्सकों से उसकी चिकित्सा कराई पर उसकी हालत में जरा भी सुधार नहीं हुआ। 


वह विवाहित है पर उसका वैवाहिक जीवन पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। उसके दो बच्चे हैं जिन्हें वह अनजानो की तरह देखता रहता है। 


वैसे वह पूरी तरह से स्वस्थ है। उसे किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी नहीं है। उसकी आयु 30 वर्ष है और जिस दिन वह घटना हुई उसके दूसरे दिन उसका जन्म दिवस था। 


चिकित्सकों के कहने पर हम उसे दिनभर तरह-तरह के संगीत सुनाते हैं। उसके मनपसंद भोजन की व्यवस्था करते हैं पर आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यदि गलती से भोजन में नमक अधिक हो जाए या बिल्कुल भी न हो तब भी वह किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं करता। 


शिकायत करना तो दूर की बात है। 


उसकी पत्नी से ज्यादा उसकी मां दिनभर उसके पास बैठी रहती है और आंसू बहाती रहती है। हमने कई तरह के यज्ञ भी करवाएं और धार्मिक अनुष्ठान तो हम करवाते ही रहते हैं पर बेटे की हालत में किसी भी प्रकार का सुधार नहीं हो रहा है।


 हमने ज्योतिषियों का भी सहारा लिया तो उन्होंने कहा कि अब वह आजीवन ऐसे ही रहेगा और उसकी इस स्थिति के साथ जीना परिवार को सीखना होगा। 


हमने आपके आलेख पढ़े हैं जिनमें आप भारतीय पारंपरिक चिकित्सा के बारे में लिखते रहते हैं। इन लेखों से हमारी उम्मीद बढ़ी है कि हो सकता है कि आप हमारे बेटे को फिर से सामान्य स्थिति में ला सकें। 


हमें इसके अलावा दुनिया में और कुछ नहीं चाहिए। अगर आप इसे वापस सामान्य स्थिति में ले आते हैं तो फिर हम आपको वचन देते हैं कि आजीवन हम ईश्वर से किसी भी तरह की वस्तु की मांग नहीं करेंगे और सदा उनका धन्यवाद करेंगे।" 


मध्य भारत के एक सज्जन का फोन मेरे पास आया। मैंने उनकी बात पूरे ध्यान से सुनी और उनसे कहा कि वे सारी रिपोर्ट मुझे भेजें और यदि संभव हो तो रायपुर आकर मुझसे मिले ताकि मैं जड़ी बूटियों का लेप उनके बेटे के तलवों पर लगाकर यह जान सकूं कि उसकी जीवनी शक्ति कितनी मजबूत है और किस तरह की औषधीयों का प्रयोग करने से उसे सामान्य स्थिति में जल्दी से जल्दी लाया जा सकेगा। 


उन्होंने बिल्कुल भी देर नहीं की और वे अपने बेटे को लेकर मुझसे मिलने आ गए। मैंने पहले से ही 10 प्रकार की जड़ी बूटियों का लेप बनाकर रखा हुआ था। मुझे 2 घंटों का समय लगा इन लेपों को उसके तलवों में लगाने और फिर सूखने पर धोने में।


 इस बीच मैं उसके शरीर के विभिन्न भागों में आ रही प्रतिक्रियाओं को देखता रहा। सारे पारंपरिक परीक्षणों के बाद बड़ी निराशा हाथ लगी क्योंकि उसकी स्थिति बहुत बुरी थी।


 उसका दिमाग गहरे सदमे में था और किसी भी प्रकार की जड़ी बूटी के लेप से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं कर रहा था। 


जब उस पर परीक्षण किया जा रहा था तब वह मूर्ति की तरह बैठा हुआ था। यहां तक कि उसे यह भी आभास नहीं था कि वह कहां है और किससे मिलने आया है। 


मैंने अपनी मजबूरी बताते हुए उन सज्जन से कहा कि मेरे सारे परीक्षण असफल साबित हुए हैं। इन परीक्षणों के आधार पर ही मैं आपको कुछ औषधीयां सुझा सकता था पर अब तो मेरे पास कोई भी विकल्प नहीं है और मैं आपकी किसी भी तरह से मदद नहीं कर पाऊंगा।


 मेरी तरह वे भी बहुत निराश हुए और उन्होंने कहा कि अगर ऐसी कोई चिकित्सा पद्धति है या कोई थेरेपी है जिसके बारे में वैज्ञानिक मान्यता नहीं है और उसे अपनाया जा सकता है तो मैं अपनाने के लिए तैयार हूँ। 


मैंने उन्हें कहा कि मुझे अपना डेटाबेस देखने दीजिए और आप रायपुर में ही रुक जाइए। 2 दिनों के बाद मुझसे संपर्क करिए। 


वे इस बात के लिए तैयार हो गए और जब दो दिनों बाद वे मुझसे मिलने आए तो मैंने उन्हें कहा कि क्या आपके पास समय है तो उन्होंने कहा कि यहां रुकने के लिए या बेटे की चिकित्सा के लिए समय की बात कर रहे हैं आप? 


मैंने कहा कि बेटे की चिकित्सा के लिए तो उन्होंने कहा है कि बेटे के लिए तो उनके पास समय ही समय है और अगर मैं चाहूँ तो वे एक साल तक रायपुर में रुकने की व्यवस्था कर सकते हैं।


 मैंने उन्हें कहा कि पारंपरिक चिकित्सा में ऐसे प्रभावितों के लिए 10 हफ्तों का एक उपचार होता है जो कि थोड़ा खर्चीला है और श्रम साध्य भी है। 


यदि आप इसके लिए तैयार हैं तो मैं आपको इस उपचार के बारे में विस्तार से बताता हूँ।


 उनके हां कहने पर मैंने उन्हें विस्तार से समझाया कि इस पद्धति में सप्ताह के 6 दिन किसी भी प्रकार की दवा नहीं दी जाती है पर सातवें दिन सुबह से शाम तक तरह-तरह के भोजन दिए जाते हैं जिनमें जंगली फलों का समावेश होता है। इस दिन विशेष तरह का मेडिसिनल राइस कोदो और कुटकी के साथ प्रभावित को दिया जाता है।


 फिर पारम्परिक चिकित्सक हाथ की हथेलियों और पैरों के तलवों पर कई तरह के लेप करते हैं और प्रभावित को विशेष वृक्षों के नीचे लंबे समय तक बिठा देते हैं। 


अगले 6 दिनों तक कुछ भी नहीं करना होता है।


 मैंने इस उपचार के बारे में विस्तार से लिखा है हिंदी में भी और अंग्रेजी में भी। मैं आपको पूरी पठन सामग्री दे रहा हूँ। आप इसे अच्छे से पढ़ें। 


इन सामग्री में उन मामलों की भी व्याख्या करने की कोशिश मैंने की है जो कि इस तरह के उपचार से ठीक हुए हैं। 


मैंने इसकी वैज्ञानिक व्याख्या भी की है जो कि पूरी दुनिया में सराही गई है पर इस उपचार के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह कंक्रीट जंगल में संभव नहीं है और खर्चीली होने के कारण हर किसी के बस की बात नहीं है।


 यही कारण है कि पीढ़ियों से इसके बारे में जानकारी होने के बावजूद यह उपचार पद्धति केवल राज परिवारों और साधन संपन्न लोगों तक ही सीमित रह गई है।


 मैंने इस पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का विस्तार से डॉक्यूमेंटेशन किया है और इस कारण यह ज्ञान पूरी दुनिया के काम आ रहा है। 


यह अच्छी बात है कि दुनिया में कहीं पर जब इसका प्रयोग किया जाता है तो प्रयोगकर्ता को भारत आना पड़ता है क्योंकि इसमें जिन वनस्पतियों का वर्णन है वे केवल भारत में ही मिलती हैं।


 उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की और रात भर जाग कर पूरी सामग्री पढ़ डाली। दूसरे दिन सुबह ही आकर मुझसे कहा कि वे इस उपचार के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। 


मैंने उन्हें बताया कि मैंने 12 तरह के पारंपरिक चिकित्सकों से मुख्य मदद ली है जो कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न भागों में रहते हैं। 


हर सातवें दिन आपको एक नए पारंपरिक चिकित्सक के पास जाना होगा और एक दिन उनके साथ रहकर पूरी तरह से उनकी बात माननी होगी। 


मैंने उन्हें एक पारंपरिक चिकित्सक का पता दे दिया और साथ में एक पत्र भी लिख दिया। उनसे अनुरोध किया कि वे सुबह चार बजे से ही उस पारंपरिक चिकित्सक के पास पहुंच जाएं। 


पहले पारंपरिक चिकित्सक के पास वे जब पूरा दिन बिताकर लौटे तो वे बड़े उत्साहित थे।


 उन्होंने बताया कि उनके बेटे को तरह-तरह की भोजन सामग्री दी गई और पारंपरिक चिकित्सक ने उसके लिए एक अलग से कुटिया बनाकर रखी हुई थी और ज्यादातर समय उसे उस कुटिया में ही बिताना था। 


भोजन के बाद उन्होंने कई तरह के लेप उसके शरीर में लगाए और फिर महुआ के पुराने वृक्ष के नीचे 3 घंटों तक बिठा कर रखा।


 इस समय मेरा बेटा पूरी तरह से वस्त्रविहीन था। यह सब सुनसान जंगल में हुआ जहां दूर-दूर तक कोई भी नहीं था।


 पारंपरिक चिकित्सक के साथ उनके चेले भी थे क्योंकि पूरे समय मेरे बेटे का ध्यान रखे हुए थे। यह सारी प्रक्रिया मेरे लिए बहुत उत्साहवर्धक थी पर इतनी जल्दी तो बेटे पर असर होने वाला नहीं था।


 इसलिए मैंने इस बारे में पारंपरिक चिकित्सक से ज्यादा नहीं कहा पर उन्होंने आश्वस्त किया कि धीरे-धीरे उनके बेटे की स्थिति में सुधार होगा। 


उन्होंने किसी भी तरह की फीस की मांग नहीं की पर आपने जैसा कि हमें सुझाव दिया था हमने अपने सामर्थ्य अनुसार उन्हें बहुत सा धन दे दिया। 


अगली बार वे दूसरे पारंपरिक चिकित्सक के पास गए जिन्होंने भोजन तो उसी तरह का कराया पर ऐसे वृक्ष समूह के नीचे उनके बेटे को लंबे समय तक बिठाया जो कि बहुत अधिक उम्र के थे। 


उन सज्जन ने याद करके बताया कि उनका बेटा जहां बैठा था वहां तेंदू, मकर तेंदू, साजा, हरड़ और मोदगर के पुराने वृक्ष थे। 


उन्होंने एक आश्चर्यजनक बात बताई कि जब उनका बेटा वृक्ष के नीचे बैठा था तो वहां से एक सर्प गुजरा पर बेटे ने किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं की और वह सर्प उसके ऊपर से गुजर गया बिना किसी तरह का नुकसान पहुंचाए। 


मैं तो बहुत डर गया था और मैंने पारंपरिक चिकित्सकों के चेलों को बहुत डांटा पर उन्होंने कहा कि इसमें डरने वाली कोई बात नहीं है। 


यह घटना सिद्ध करती है कि आपके बेटे की मानसिक स्थिति में सुधार हो रहा है। यदि किसी भी तरह का विचलन आपके बेटे में होता तो वह सर्प तुरंत ही उसे डस लेता। 


वे सज्जन इस बात की पुष्टि मुझसे करना चाहते थे।


 मैंने कहा कि ऐसी मान्यता है पर इसका कोई वैज्ञानिक कारण मुझे अभी तक नहीं मिला है। बेहतर यही होगा कि आप अगली बार से ऐसी व्यवस्था करें कि इस तरह की घटना फिर से न हो। 


इस तरह वे सज्जन अपने बेटे को लेकर 10 सप्ताह तक विभिन्न पारंपरिक चिकित्सकों से मिलते रहे और उसका उपचार चलता रहा।


 11वे सप्ताह का उपचार करवाने के बाद जब वे मुझसे मिलने आए तो उनके चेहरे में खुशी के भाव थे। 


उन्होंने कहा कि सारी रोकथाम के बावजूद एक छोटा सा सियार जंगल में आ गया और मेरे बेटे को दूर से देखने लगा। 


इतने महीनों के बाद पहली बार मेरे बेटे ने मुझे आवाज दी और मुझे पास बुला कर बताया कि वहां एक सियार है जो कि चोरी चोरी उसे देख रहा है।


 मैंने बिना देरी के सभी पारंपरिक चिकित्सकों को इस प्रगति के बारे में बताया तो वे बड़े प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा कि अब ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ते की बात है आपका बेटा सामान्य स्थिति में लौट आएगा। 


वे सज्जन सचमुच बड़े प्रसन्न थे। उनका बेटा जो उनके साथ मेरे से मिलने आया था वह भी सक्रिय दिख रहा था। 


इतने लंबे समय में पहली बार उसने मुझे नमस्कार किया और मेरे आलेखों का जिक्र किया।


 उस रात उसने अपनी पत्नी से बात की, फिर अपनी मां से और फिर देर रात तक अपने बच्चों से बतियाता रहा।


 धीरे-धीरे जैसा कि पारंपरिक चिकित्सकों ने कहा था उसकी स्थिति में सुधार होने लगा और पूरी तरह से ठीक होकर पिता-पुत्र वापस अपने शहर लौट गए। 


मैंने उन्हें सलाह दी कि वे अपने बेटे को किसी भी प्रकार के दुख से पूरी तरह से बचा कर रखें और यदि संभव हो तो हर वर्ष कुछ हफ्तों का ऐसा ही उपचार करवाते रहें ताकि भविष्य में ऐसी किसी घटना के होने पर उसके दिमाग पर इतना अधिक बुरा असर न पड़े।


 उनके परिवार ने मुझे धन्यवाद ज्ञापित किया।


 सर्वाधिकार सुरक्षित

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