Consultation in Corona Period-48

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"हम सबको तो अब यह लगता है कि यह काला जादू है। कोई हमारे परिवार की खुशहाली से खुश नहीं है इसलिए लगातार सालों से हम पर काला जादू कर रहा है। 


इसमें जरूर किसी तांत्रिक की मदद ली जा रही है। हमारे गुरु महाराज कहते हैं कि यदि पीला धतूरा और गरुड़ का बीज मिल जाए तो एक झटके में ही पूरी समस्या का समाधान कर सकते हैं और फिर हमारे परिवार में एक भी बच्चे का जन्म मानसिक विकलांग के रूप में नहीं होगा। 


क्या आप इन दोनों वनस्पतियों की व्यवस्था कर सकते हैं?"


कुछ वर्षों पूर्व दिल्ली से राजेश अपनी समस्या बता रहा था। 


उसने बताया कि वे तीन भाई हैं और तीनों ही मिलकर जड़ी बूटियों का व्यापार करते हैं। उन भाइयों में आपस में किसी भी प्रकार का कोई मतभेद नहीं है। वे संयुक्त परिवार के रूप में एक साथ रहते हैं।



 उसने आगे बताया कि उसके बड़े भाई ने 10 वर्ष पूर्व मुझसे संपर्क किया था। उस समय उनके दो बेटे थे और दोनों ही मानसिक रूप से विकलांग पैदा हुए थे। 


मुझे याद आता है कि जब राजेश के सबसे बड़े भाई ने मुझे यह समस्या बताई थी तो मैंने उनसे कहा था कि बस्तर के एक पारंपरिक चिकित्सक इस तरह की चिकित्सा में माहिर है। आप चाहें तो मैं उनका पता दे सकता हूं और आप स्वयं आकर उनसे मिल सकते हैं।


 दिल्ली से स्वयं उनके बड़े भाई आए थे और उन्होंने 2 साल तक के पारंपरिक चिकित्सक से दवाई ली थी। 


उसके बाद जब उनकी अगली संतान हुई तो वह भी मानसिक रूप से विकलांग थी अर्थात पारंपरिक चिकित्सक की दवा से किसी भी प्रकार का लाभ नहीं हुआ। 


उसके बाद मैंने उन्हें एक और पारंपरिक चिकित्सक के पास भेजा जो कि हिमाचल प्रदेश में थे। उन्होंने उन्हें सुभद्रा भोग नामक मेडिसिनल राइस के लंबे समय तक प्रयोग का सुझाव दिया। 


उस समय हमारे किसान इस राइस को उगा रहे थे। मैंने उनके लिए इस राइस की व्यवस्था की और वे लंबे समय तक इसका प्रयोग करते रहे। 


जब उनके छोटे भाई की शादी हुई तो उन्होंने इसी चावल का प्रयोग लंबे समय तक करने को कहा था ताकि उनके घर स्वस्थ बच्चों का जन्म हो।


पर राजेश के बड़े भाई यानी परिवार के मंझले भाई के घर जब बच्चों का जन्म हुआ तो फिर से मानसिक रूप से विकलांग बच्चे पैदा हुए। 


मेरे लाख समझाने के बावजूद उन्होंने गुरु महाराज का सहारा लिया और अब कह रहे थे कि उन्हें वनस्पतियों की आवश्यकता है। 


गुरु महाराज ने उनसे लाखों रुपए वसूल किए पर इस बात की गारंटी दी है कि इन दोनों वनस्पतियों के प्रयोग से उनकी समस्या पूरी तरह से ठीक हो जाएगी।


 इस बीच मैंने सभी भाइयों और उनकी पत्नियों की सारी रिपोर्ट मंगाई पर उसमें कुछ भी विशेष नजर नहीं आया। यह केस मेरे लिए और मुझसे जुड़े पारंपरिक चिकित्सकों के लिए एक चैलेंज के समान था

 और सारे प्रयासों के बाद भी किसी भी प्रकार की सफलता नहीं मिल रही थी। 


मैंने उन्हें बार-बार यह भी ढाढस बंधाने का प्रयास किया कि मानसिक विकलांगता आजकल अभिशाप नहीं है और बहुत सारे ऐसे विद्यालय हैं जहां इन बच्चों को पढ़ाया जा सकता है और सामान्य जीवन जीने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है।


पर उनका दुख भी सही था क्योंकि उनके परिवार में 7 बच्चे मानसिक रूप से विकलांग पैदा हुए थे। 


अब राजेश की बारी थी और वह इस डर में था कि कहीं उसके बच्चे भी मानसिक रूप से विकलांग न हो। दोनों ही वनस्पतियां दुर्लभ थी पर मैंने उनके लिए यह व्यवस्था कर दी।


 गुरु महाराज लंबे समय तक कई तरह के प्रयोग करते रहे। 


उसके बाद जब राजेश की पहली संतान हुई तो वह भी मानसिक रूप से विकलांग थी। 


अब वे पूरी तरह से निराश हो चुके थे। 


मैंने उनसे कहा कि अगर वह मेरे आने जाने की व्यवस्था करें तो मैं दिल्ली आने को तैयार हूं और फिर उनसे विस्तार से बात करके मैं अवश्य ही कोई ठोस उपाय इस बार सुझा पाऊंगा। 


वे इस बात के लिए तैयार हो गए और मैं दिल्ली में उनके घर गया। उसके बाद उनकी दुकान। 


उनकी दुकान जड़ी बूटियों से लदी पड़ी थी। वह एक प्रसिद्ध दुकान थी और दिन भर लोगों की भीड़ जमा रहती थी। 


बड़ा भाई थाईलैंड से कई प्रकार के रत्नों को भी लेकर आता था और उन्हें फिर ऊंची कीमत पर दिल्ली के लोगों को बेच देता था। 


रत्न भी दुकान में फैले पड़े हुए थे। 


तीनो भाई 3 पालियों में दुकान संभालते थे और उन्हें सांस लेने की भी फुर्सत नहीं रहती थी। 


मैंने राजेश से कहा कि दुकान में जितनी भी तरह की जड़ी बूटियां है उनकी सूची मुझे चाहिए और ये जड़ी बूटियां कितनी मात्रा में यह भी जानकारी मुझे चाहिए। 


कुछ समय लगा पर उसने पूरी जानकारी मुझे दे दी। 


जब मैंने इन जड़ी बूटियों का अध्ययन करना शुरू किया तब मुझे पता चला कि इनमें से ज्यादातर जड़ी बूटियां उग्र वीर्य की है और उनके संपर्क में लंबे समय तक रहने से वीर्य के बहुत सारे दोष उत्पन्न हो जाते हैं। 


ऐसा मुझे छत्तीसगढ़ के पारंपरिक चिकित्सकों ने बताया था।


 जब मैंने कई वर्षों पहले पारम्परिक चिकित्सकों से कहा था कि देशभर से जमा की गई जड़ी बूटियों को मैं अपने कमरे में सजा कर रखता हूं तब पारम्परिक चिकित्सकों ने कहा था कि इससे आप कई तरह के रोगों के शिकार हो सकते हैं इसलिए ऐसा कोई भी काम न करें। जहां इंसान रहते हैं वहां जड़ी बूटियां नहीं रखनी चाहिए।



 उसके लिए अलग से गोदाम होना चाहिए।


यही सिद्धांत यहां भी काम आया। मैंने राजेश से कहा कि दुकान के अंदर एक चेंबर बनाएं और उसके अंदर बैठकर दुकानदारी करें न कि जड़ी बूटियों के आसपास बैठकर। जड़ी बूटियों को देते समय हाथों में दास्तानों का प्रयोग करें। 


ऐसी कोशिश करें कि जड़ी बूटियों की गंध नाक के माध्यम से शरीर के अंदर न जाए। 


राजेश ने यह बात अपने दोनों भाइयों को बताई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने भी ऐसा कई बार सुना है पर मजबूरीवश वे इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाए पर इस बार उन्होंने इस बात को मानने का फैसला किया। 


उन्होंने कहा कि उग्र वीर्य वाली जड़ी-बूटियों को दुकान से हटाना संभव नहीं है और दिल्ली के इस बाजार में हमारे पास गोदाम भी उपलब्ध नहीं है इसलिए हम कोशिश करेंगे कि दुकान के अंदर एक चेंबर बनाकर उसी से ही फिर जड़ी बूटियां लोगों को देंगे। 


यह थोड़ा कठिन कार्य होगा पर हम आपकी बात मान कर देखेंगे ताकि राजेश को किसी भी प्रकार के विकार का सामना न करना पड़े। 


पिछले साल राजेश ने फोन पर सूचना देकर बताया था कि वह बाप बनने वाला है पर बहुत ज्यादा घबराया हुआ है। 


मैंने उसे आश्वस्त किया कि हो सकता है कि इस बार हमारे द्वारा किया गया उपाय कारगर साबित हो और स्वस्थ बच्चे का जन्म हो। 


जनवरी में जब कोरोनावायरस ने चीन में अपना आधिपत्य जमाना शुरू किया तब दिल्ली से एक खुशखबरी आई। 


राजेश को पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई है और वह पूरी तरह से स्वस्थ है। 


यह बहुत ही सुकून भरा समाचार था।


कई वर्षों पहले चित्रकूट के एक जड़ी बूटियों के व्यापारी की भी इसी तरह की समस्या थी। 


उसका कैंसर किसी भी तरह से ठीक नहीं हो रहा था और तेजी से फैलता जा रहा था। जब उसकी दुकान की पड़ताल की गई तो उसमें बहुत सारी ऐसी जड़ी बूटियां मिली जो कि विषाक्त थी और जिनका प्रयोग शोधन के बाद ही किया जाता है। 


शोधित करके जड़ी बूटियों को रखना उसके बस की बात नहीं थी इसलिए उसने ऐसे ही खुले में जड़ी बूटियों को रख लिया था जिनके संपर्क में आने से कैंसर तेजी से बढ़ता जा रहा था। 


सभी जड़ी बूटियां दुकान से हटा दी गई तो कैंसर का फैलाव रुक गया और उसका शरीर कैंसर से लड़ने के लिए तैयार हो गया।


 दुकान में रखी हुई जड़ी बूटियों से विकलांग बच्चे उत्पन्न होने की समस्या हमारे लिए नई बात थी।


 पर अब हमें पता चल गया था कि जब भी कोई जड़ी बूटियों का व्यापारी किसी स्वास्थ समस्या के लिए संपर्क करें तो सबसे पहले ध्यान इसी पर केंद्रित करना है।


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