Consultation in Corona Period-34

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Pankaj Oudhia पंकज अवधिया


"न नाक में किसी प्रकार की सुगंध आती है और न ही मुंह में किसी प्रकार का स्वाद। मैं तो इस स्थिति से बुरी तरह से परेशान हो गया हूं।


 मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैं स्वयं एक डॉक्टर हूं और मुंबई में कोरोना वायरस के मरीजों की सेवा के लिए फ्रंट लाइन पर काम कर रहा हूं। 


जब मुझमें ये लक्षण दिखे तो मैंने तुरंत ही कोरोनावायरस की जांच करवाई दो बार पर दोनों बार रिपोर्ट नेगेटिव आई।


 लगातार यह विशेष लक्षण बना हुआ है पर कोरोनावायरस टेस्ट का पॉजिटिव न आना आश्चर्य में डालता है। 


मुझे तो लगता है कि मुझे इस वायरस ने पकड़ रखा है पर उसकी संख्या इतनी अधिक नहीं है जो कि टेस्ट में दिखाई दे। 


मैंने आपके बहुत सारे रिसर्च रिफरेंस देखे हैं कोरोनावायरस पर इसलिए आपसे संपर्क कर रहा हूं। आशा है आप मेरा मार्गदर्शन करेंगे।"


मुंबई से जब इस कोरोनावायरस वारियर का संदेश आया तो मैंने उनकी मदद करने का मन बनाया। 


मैंने उनसे पूछा कि क्या आप अभी कोरोना के लिए कोई दवा ले रहे हैं?


उन्होंने कहा कि सुरक्षा के रूप में मैं लगातार Hydroxychloroquine का उपयोग कर रहा हूं। 


मैंने उन्हें बताया कि बहुत से मामलों में Hydroxychloroquine के प्रयोग से ऐसे ही लक्षण आते हैं जैसे कि आपको आ रहे हैं। इसका कोरोना वायरस से कोई संबंध नहीं है।


 आप चाहे तो आप इस दवा को कुछ समय के लिए रोक सकते हैं और जांच सकते हैं कि आप के लक्षण कम हुए या नहीं। 


उन्होंने मेरी बात मानी और 5 दिनों के लिए Hydroxychloroquine का उपयोग करना बंद कर दिया पर उनके लक्षण नहीं गए। मतलब ये लक्षण इस दवा के कारण नहीं आ रहे थे। 


मैंने उन्हें बताया कि देश के बहुत से हिस्सों के पारंपरिक चिकित्सक इसके लिए नारायण प्रसाद नामक मेडिसिनल राइस का उपयोग करते हैं।


 इस मेडिसिनल राइस को गर्म गर्म जब परोसा जाता है तो उसमें काली हल्दी मिलाई जाती है और फिर इसे गरम-गरम ही खाने की सलाह दी जाती है। 


1 से 2 सप्ताह में इस तरह के लक्षण पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं। 


उन्होंने कहा कि इसके बारे में तो इंटरनेट में बिल्कुल भी जानकारी नहीं है और मैं यहां मरीजों की सेवा में लगा हुआ हूं।


 अगर आपके पास यह धान हो और काली हल्दी का प्रबंध हो तो आप मुझे भेजें। जो भी खर्च होगा मैं देने को तैयार हूं।


 मैंने उनके लिए पारंपरिक चिकित्सकों के माध्यम से इन दोनों का प्रबंध कर दिया और कुछ ही दिनों में वे इसका प्रयोग करने लगे।


 1 सप्ताह बाद उन्होंने बताया कि लक्षण बहुत हद तक कम हो गए हैं पर पूरी तरह से गए नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि वे अभी इसका प्रयोग जारी रखेंगे क्योंकि इससे उन्हें अन्य लाभ भी हो रहे हैं। 


1 सप्ताह और बीत गया।


 फिर उन्होंने कहा कि यह लक्षण पूरी तरह से नहीं गायब हुआ है। मैंने उनसे पूछा कि आप और कौन-कौन सी दवा ले रहे हैं? 


क्या आप किसी प्रकार का इम्यूनिटी बूस्टर ले रहे हैं? अगर ले रहे हैं तो उसके बारे में विस्तार से जानकारी दें।


 उन्होंने बताया कि इम्युनिटी बूस्टर का नाम पर मैं बहुत सारी दवाई नहीं ले रहा हूं। गिनी चुनी दवाई ले रहा हूं और जल्दी ही मैं आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी दूंगा। 


मैंने उन्हें बताया कि नाक से सुगंध न आने और मुंह में स्वाद न आने की शिकायत मुझे कई स्थानों से मिल रही है। खासकर उन स्थानों से जहां के लोग उत्तर पूर्व के पारंपरिक चिकित्सकों का एक इम्युनिटी बूस्टर फार्मूला प्रयोग कर रहे हैं कोरोना के विरुद्ध। 


मेरी यह बात सुनकर उन्होंने कहा कि वह फार्मूला मैं भी इस्तेमाल कर रहा हूं और मुझे लाभ हो रहा है। यह एक हर्बल फॉर्मूलेशन है और पीढ़ियों से वहां के पारंपरिक चिकित्सक इसका उपयोग कर रहे हैं। 


मैंने कहा कि जब से आप इस फार्मूले का उपयोग कर रहे हैं तब से आप के मल का रंग काला हो गया है तो उन्होंने कहा कि हां, हो गया है। 


क्या आपको इस फार्मूले के उपयोग करने के बाद ऐसा लगता है कि आपकी सुनने की शक्ति कुछ बदल गई है। उन्होंने कहा कि आप सही कह रहे हैं।


 मैंने आखरी प्रश्न पूछा कि क्या इस फार्मूले के प्रयोग के बाद से आपकी पिंडलियों में दर्द रहता है? उन्होंने कहा कि बिल्कुल। आपने सही पकड़ा।


 मैंने उन्हें विस्तार से समझाया है कि उत्तर पूर्व के पारंपरिक चिकित्सक इस फार्मूले में एक विशेष प्रकार की तितली (Butterfly) का प्रयोग करते हैं जो कि मेडिसिनल इंसेक्ट के रूप में दुनिया में जानी जाती है। 


वे भले ही इसे हर्बल फॉर्मूलेशन कहते हैं पर इसमे तितली का प्रयोग महत्वपूर्ण घटक के रूप में होता है। 


तितली की बात उन लोगों को नहीं बताई जाती जो इसका इस्तेमाल करते हैं। फार्मूले में इस तितली की बहुत अहमियत है पर इसका एक दोष भी है और वह दोष है इसके प्रयोग से नाक में गंध आना और मुंह में स्वाद आना खत्म हो जाता है। 


दरअसल तितली का प्रयोग उन फॉर्मूलेशंस में किया जाता है जिनका उपयोग उन लोगों के लिए होता है जो गन्ध के प्रति अति संवेदी होते हैं और जिन्हें मुंह में जरा सा भी तीखा लगने से परेशानी होने लग जाती है। 


जब तितली का प्रयोग किया जाता है दवा के रूप में तो यह समस्या ठीक हो जाती है। 


जब इस नुस्खे को उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिनकी नाक ठीक से काम करती है और मुंह भी तब उनमें यह  दोष उत्पन्न हो जाता है।


आप इस फार्मूले को कुछ समय तक बंद करके देखिए। मुझे विश्वास है आपकी समस्या का स्थाई तौर पर समाधान हो जाएगा।


ऐसा कहकर मैने अपनी बात पूरी की।


उन्होंने इस फार्मूले का उपयोग 1 सप्ताह तक बंद कर दिया और उसके बाद यह विशेष लक्षण पूरी तरह से समाप्त हो गया।


 उन्होंने मुझे धन्यवाद दिया और कहा कि वे खामोखा परेशान हो रहे थे कि उन्हें कोरोनावायरस ने पकड़ रखा है। 


पूरी तरह से ठीक होने के बाद उन्होंने कहा कि वे इस तितली के बारे में विस्तार से जानकारी चाहते हैं। इंटरनेट पर तो शायद यह उपलब्ध नहीं है।


 मैंने कहा कि इंटरनेट पर ऐसी तितलियों और दुनिया भर के हजारों मेडिसिनल इंसेक्ट के बारे में जानकारी उपलब्ध है। 


आप गूगल में Entomotherapy और Pankaj Oudhia सर्च करिए आपको सारी जानकारी मिल जाएगी। 


मेडिसिनल इनसेक्ट के क्षेत्र में हमारे देश में समृद्ध पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान हैं और सदियों से यह उपयोग होता रहा है। यह अलग बात है कि आम लोगों को इसके बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं है।


 उन्होंने फिर से धन्यवाद दिया और कहा कि वे अपने साथियों को इस बारे में बताएंगे और फिर देश भर में कोरोनावायरस का प्रकोप शांत हो जाने के बाद इस पर विस्तार से शोध करेंगे।


सर्वाधिकार सुरक्षित

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